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NCR में वायु प्रदूषण को लेकर प्रधान सचिव ने की बैठक, पराली जलाने की समस्या पर हुई बातचीत

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए गठित उच्चस्तरीय कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ साथ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, मंत्रालयों के सचिवों को इस बारे में निर्देश दिये।

11:04 PM Sep 19, 2020 IST | Shera Rajput

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए गठित उच्चस्तरीय कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ साथ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, मंत्रालयों के सचिवों को इस बारे में निर्देश दिये।

केंद्र सरकार ने सर्दी के मौसम में वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के लिए मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और अन्य जरूरी एहतियाती कदम उठाने पर जोर दिया है। 
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए गठित उच्चस्तरीय कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ साथ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, मंत्रालयों के सचिवों को इस बारे में निर्देश दिये। 
बैठक में केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, कृषि, सड़क और पेट्रोलियम मंत्रालयों के अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 
श्री मिश्रा ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण के कारणों से निपटने के लिए उचित एहतियाती एवं निवारक उपाय सुनिश्चित करने के लिए फसल की कटाई और सर्दियों के मौसम की शुरुआत से काफी पहले ही जरूरी तैयारी की जानी चाहिए। उन्होंने वायु प्रदूषण के मुख्य ह्मोतों, राज्य सरकारों एवं विभिन्न मंत्रालयों द्वारा किए गए उपायों की गई प्रगति और उनकी समीक्षा की गई। बैठक में इस मुद्दे पर गौर किया गया कि पिछले दो वर्षों के दौरान पराली को जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और अच्छे एक्यूआई वाले दिनों की संख्या में वृद्धि हुई है। 
फसलों के अवशेष जलाने की रोकथाम के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों द्वारा किए गए प्रयासों एवं उनकी योजनाओं पर विस्तार से गौर किया गया। इसमें फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए जमीनी स्तर पर मशीनों की तैनाती एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। 
इस बात पर जोर दिया गया कि इन मशीनों तथा संयंत्रों को हाल में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राथमिकता वाले ऋण क्षेत्र में शामिल किए जाने के बाद ऐसे संयंत्रों की तेजी से तैनाती के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को संयुक्त रूप से एक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए। फसल के विविधीकरण और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की गई।
श्री मिश्रा ने राज्यों द्वारा कृषि मंत्रालय की फसल अवशेष योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि चालू वर्ष के दौरान तैनात की जाने वाली नई मशीनरी कटाई के मौसम की शुरुआत से पहले किसानों तक पहुंच जाए। कृषि मंत्रालय को इस संबंध में सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए निर्देश दिया गया था। 
पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए इस बात पर जोर दिया गया कि पर्याप्त संख्या में टीमों को जमीनी स्तर पर तैनात किया जाए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की कोई घटना न हो। इन राज्यों को विशेष रूप से संबंधित जिलों में अतिरिक्त प्रयास करने और उपयुक्त प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। 
दिल्ली सरकार से प्रदूषण के स्थानीय ह्मोतों को नियंत्रित करने के उपाय सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया था। प्रधान सचिव ने कहा कि खुले में कचरे को जलाने को नियंत्रित करने के लिए टीमों की तैनाती की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैकेनिकल रोड स्वीपरों की आईटी- समर्थ निगरानी करने, निर्माण सामग्री एवं मलबे की उपयोगिता में सुधार लाने और चिन्हित हॉट स्पॉट के लिए कार्य योजना को विशेष तौर पर लागू करने के लिए टीमों की तैनाती पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश एनसीआर के अंतर्गत आने वाले अपने क्षेत्रों में समान कार्य योजना तैयार करेंगे और उन्हें लागू करेंगे। 
प्रधान सचिव ने जोर देकर कहा कि जिन उपायों की कल्पना की गई है उन्हें गंभीर स्थिति आने से पहले ही अच्छी तरह से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग द्वारा उत्सर्जन मानदंडों के पालन पर भी ध्यान रखने की आवश्यकता है।
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