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लोकसभा में पहली बार प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने पहले ही प्रयास में वायनाड सीट से भारी जीत दर्ज की, जो उनके राजनीतिक कौशल और जनसमर्थन को दर्शाता…

10:50 AM Nov 30, 2024 IST | Kiran Chopra

प्रियंका गांधी ने अपने पहले ही प्रयास में वायनाड सीट से भारी जीत दर्ज की, जो उनके राजनीतिक कौशल और जनसमर्थन को दर्शाता…

लोकसभा में पहली बार प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने पहले ही प्रयास में वायनाड सीट से भारी जीत दर्ज की, जो उनके राजनीतिक कौशल और जनसमर्थन को दर्शाता है। उनकी जीत का अंतर 4.1 लाख वोटों का रहा, जो अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है प्रियंका गांधी को नया नेतृत्व और कांग्रेसियों के लिए नई प्रेरणा के रूप में देखा जा सकता है और आने वाले समय में उनकी भूमिका बड़ी परिवर्तनकारी रहेगी। उन्हें कांग्रेस के ​िलए संकटमोचक और एक सक्षम रणनीतिकार माना जाता है। लोकसभा में उनकी उपस्थिति कांग्रेस के लिए नई ऊर्जा का संचार कर सकती है। खासतौर पर महिला नेतृत्व के लिए।

प्रियंका गांधी और मेरी पिछले 25-26 सालों से बहुत दोस्ती है। हम लगभग 13 साल एक-दूसरे के पड़ोसी थे। उनका आवास 35 लोधी स्टेट था, मेरा 34, हम दोनों परिवारों को सिक्योरिटी की वजह से कोठियां मिली हुई थीं। उसके बच्चे मेरी गोदी में आैर मेरे बच्चे उसकी गोदी में खेले हैं। भले ही हम दोनों के परिवार अलग-अलग विचार रखते हों, परन्तु हमने अपनी दोस्ती में कभी राजनीति को नहीं आने ​दिया। हमेशा एक-दूसरे को प्यार दिया और अश्विनी जी की बीमारी और उसके बाद भी उसने हर पल दोस्ती निभाई। उसका स्वभाव भी बहुत मिलनसार और स्पष्ट है।

प्रियंका का एक अपना ही अपनी दादी की तरह अलग से ओरा और करिश्मा है। उसकी अपनी दादी इंदिरा गांधी की छवि और प्रभावशाली भाषण देने की क्षमता है। मेरे ​हिसाब से वह संसद में ​िवपक्ष की आवाज को और मजबूत बनाएंगी, जो एक लोकतंत्र प्रणाली के​ लिए आवश्यक है। उसका अपनी पार्टी के प्रति समर्पण है और लोगों के साथ सीधा सम्पर्क रखती हैं, जो उसे आगे चलकर भी बनाए रखना होगा। जैसे कि उसने चुनाव जीतने के बाद वायनाड के नागरिकों को भरोसा दिलाया कि वे उनकी आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी और उनकी आवाज बनेंगी, तो उसको उसके लिए काफी मेहनत करनी होगी। जहां तक मैं उसे जानती हूं उसमें काम करने का जुनून है, मेहनत करने की क्षमता भी है।

उसने पहले दिन ही केरला की परम्परागत साड़ी पहनकर अपनी सूझबूझ का परिचय दिया। अभी कि वह राजनीति में बड़े-छोटे होते से कूद पड़ी थी परन्तु सीधे तरीके से पहली बार चुनकर आई हैं। अभी कि हम पिछले कई सालों से दोनों भाई-बहनों को कांग्रेस के पुनःउत्थान के लिए बहुत मेहनत करते देख रहे हैं। जो कांग्रेस हाशिये पर चली गई थी उसको ऊपर लाने के ​िलए दोनों की मेहनत छुपी नहीं है।

परन्तु फिर भी प्रियंका के लिए बहुत सी चुनौतियां हैं, उसे उसका सामना करना पड़ेगा। सबसे पहले ​तो प्रियंका का संसद में पहला कार्यकाल है। संसद में बहुत ही धाकड़ लोग बैठे हैं, जो आजकल संसद में जो हाल है वो हर कोई देख सकता है। पहले संसद में पक्ष-विपक्ष के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते थे, विचारधारा अलग-अलग होती थी, परन्तु माहौल अच्छा रहता था। अब तो कोई एक-दूसरे की बात सुनने को तैयार नहीं। सो राष्ट्रीय मुद्दों पर विपक्षी दलों द्वारा सवालों का कारण बन सकती है। यही नहीं गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों का संसद में होना एक तरफ कांग्रेस की विरासत को दिखाता है लेकिन इसे विपक्षी दल परिवारवाद का मुद्दा बनाकर इसे घेरने की कोशिश भी करेंगे। यही नहीं कहीं-कहीं उसके पति को लेकर भी कई आलोचक आलोचना करेंगे, परन्तु जहां तक मैं उसे जानती हूं वो हर आलोचना, हर बात के लिए उत्तर देने में सक्षम है, बहुत बहादुर है।

इस समय पार्टी के वर्तमान कमजोर हालात में प्रियंका से अपेक्षाएं काफी अधिक हैं। सबकी नजरें उस पर रहेंगी यह देखने के लिए की वह कांग्रेस को ​िकतनी मजबूती दे पाएंगी।

प्रियंका गांधी का लोकसभा में प्रवेश भारतीय राजनीति के ​िलए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। उनका सकारात्मक दृष्टिकोण आैर जनता के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें एक प्रभावी नेता बना सकती है, लेकिन चुनौतियों को पार करना उनके लिए आवश्यक होगा, परन्तु आसान नहीं होगा। क्योंकि सही मायने में देखा जाए तो उसकी सही रास्ते से एंट्री लेट हुई है। जनता के बीच प्रियंका गांधी की छवि सकारात्मक हो सकती है लेकिन उसके सामने कांग्रेस की पुरानी कमजोरियों को पूरा करने और खुद को एक स्वतंत्र और प्रभावी नेता के रूप में स्थापित करने की चुनौती बनी रहेगी। खास करके जब संसद में बहुत सी नई प्रतिभावान महिलाएं चुन कर आई हैं।

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Kiran Chopra

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