प्रोफेसर निकला हैवान... तंग आकर छात्रा ने लगाई खुद को आग, बचाने के लिए दौड़े लड़के
नैशनल डैस्क : ओडिशा के बालेश्वर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने सबके रौंगटे खड़े कर दिए। दरअसल, फकीर मोहन (एफएम) कॉलेज की एक छात्रा ने खुद को आग के हवाले इसलिए कर दिया क्योंकि वह कई समय से प्रोफेसर की हरकतों से परेशान थी। मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न से तंग आकर कॉलेज परिसर के बाहर छात्रा ने खुद को आग लगा ली।
बचाने के लिए दौड़े लड़के
सारी घटना कॉलेज के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे छात्रा आग की चपेट में है और फिर इधर-उधर भाग रही है। हालांकि, वहां कुछ लड़कों ने हिम्मत भी दिखाई और छात्रा को बचाने के लिए पूरी कोशिश की। घटना के बाद छात्रा को बचाने दौड़ा एक अन्य छात्र भी गंभीर रूप से जल गया। दोनों को पहले बालेश्वर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से हालत नाजुक होने पर एम्स भुवनेश्वर रेफर कर दिया गया। छात्रा करीब 90 प्रतिशत जल चुकी थी।
प्रोफेसर पर लगाए गंभीर आरोप
छात्रा ने अपने विभाग के एचओडी समीर कुमार साहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने कहा कि उसका काफी समय से प्रोफेसर द्वारा शोषण किया जा रहा था। इसको लेकर कॉलेज प्रशासन से कई बार शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।फिलहाल, बालेश्वर टाउन थाना पुलिस कॉलेज पहुंची और आरोपी शिक्षक समीर कुमार साहू को हिरासत में ले लिया है। प्रिंसिपल के मुताबिक घटना वाले दिन छात्रा उनसे मिली थी और उन्होंने गलती मानी थी, लेकिन कुछ देर बाद छात्रा ने कॉलेज परिसर में खुद को आग लगा ली।
वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कुमार घोष ने कहा है कि ‘पीड़ित छात्रा समेत कई छात्राओं ने अध्यापक पर मानसिक उत्पीड़न और एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था. हमने इंटरनल कंप्लेंट कमिटी गठित की थी, जिसमें कॉलेज के वरिष्ठ अध्यापक, छात्र प्रतिनिधि और बाहर के प्रतिनिधि शामिल थे। कमिटी ने 15 दिन मांगे थे, पर 7 दिन में ही रिपोर्ट तैयार कर दी थी और मुझे दो दिन पहले ही मुझे रिपोर्ट मिली थी। हमने कहा था कि जांच रिपोर्ट पढ़कर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन छात्रा चाहती थी कि कार्रवाई जल्दी हो।' इस घटना से पूरे कॉलेज परिसर में तनाव का माहौल है। छात्र संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सड़कों पर उतर आए हैं. उनका कहना है कि अगर छात्रा की शिकायतों को पहले गंभीरता से लिया गया होता तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती।