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दक्षिणपंथी उग्रवाद पर रोक लगायें प्रधानमंत्री : उपेन्द्र कुशवाहा

झारखंड में भीड़ की पिटाई से तबरेज अंसारी की मौत हो गई तो बंगाल में भीड़ ने एक मौलवी मोहम्मद शहरुख हलदर को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया।

02:37 PM Jun 26, 2019 IST | Desk Team

झारखंड में भीड़ की पिटाई से तबरेज अंसारी की मौत हो गई तो बंगाल में भीड़ ने एक मौलवी मोहम्मद शहरुख हलदर को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया।

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 पटना : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी-रालोसपा के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने हाल में झारखंड और बंगाल में भीड़ मॉब लिंचिंग पर गहरी चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे दक्षिणपंथी उग्रवाद पर काबू पाने के लिए तत्काल कदम उठाएं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भीड़ मुसलमानों से जय श्रीराम का नारा लगाने को कहती है और फिर उन पर हमला करती है। झारखंड में भीड़ की पिटाई से तबरेज अंसारी की मौत हो गई तो बंगाल में भीड़ ने एक मौलवी मोहम्मद शहरुख हलदर को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया। इसी तरह दिल्ली के रोहिणी में जय श्रीराम नहीं कहने पर मौलाना मोमिन को कार से कुचलने की कोशिश की गई। 
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि कुशवाहा ने पहले भी इस तरह की घटनाओं पर चिंता जताते हुए जरूरी कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी। मल्लिक के मुताबिक कुशवाहा ने कहा कि यह प्रवृति खतरनाक है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर रोक लगाने को कहा था लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार को इस पर फौरन ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात तो कही। लेकिन उनके इस नारे की धज्जियां दक्षिणपंथी उग्रवादी लगातार उड़ा रहे हैं और प्रधानमंत्री खामोश हैं और गृह मंत्री अमित शाह चुप हैं। उन्हें अपनी चुप्पी तोडऩी चाहिए। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार को तीन तलाक की शिकार महिलाओं की तो बड़ी फिक्र है लेकिन उन मुसिलम महिलाओं की नहीं जिनके पतियों को दक्षिणपंथी गुंडे हत्या कर विधवा बना रहे हैं। 
मल्लिक के मुताबिक कुशवाहा ने सरकार से कहा है कि सरकार को तत्काल जल्द कड़े कदम उठाने चाहिए, ताकि देश का हर नागरिक खुद को सुरक्षत महसूस कर सके। उन्होंने प्रधानमंत्री से गुहार की कि सिर्फ सबका विश्वास कह भर देने से विश्वास नहीं पनपता, उस पर अमल भी जरूरी है, जो अभी दिख नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से यह प्रवृति बढ़ी है और दोबारा केंद्र में एनडीए की सरकार आने के बाद इस तरह का उन्माद और बढ़ा है और देश के लिए यह ठीक नहीं है।
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