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संघ के खिलाफ दुष्प्रचार

अमृत महोत्सव पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को तिरंगा विरोधी करार दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा सरकार के मंत्रियों और नेताओं ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर में तिरंगा लगाया है।

05:18 AM Aug 09, 2022 IST | Aditya Chopra

अमृत महोत्सव पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को तिरंगा विरोधी करार दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा सरकार के मंत्रियों और नेताओं ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर में तिरंगा लगाया है।

अमृत महोत्सव पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को तिरंगा विरोधी करार दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा सरकार के मंत्रियों और नेताओं ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर में तिरंगा लगाया है। बहुत शोर मचाया जा रहा था कि संघ नेताओं ने अपनी डीपी पर तिरंगा नहीं लगाया। सोशल मीडिया पर संघ को तिरंगा विरोधी बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है लेकिन सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार और कई अन्य नेताओं ने अपने ट्विटर प्रोफाइल पर​ तिरंगे की डीपी लगा दी है और भ्रम फैलाने वाले राजनीतिक दलों को संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत के वायरल वीडियो से करारा जवाब भी मिल गया है। मुझे लगता है कि अब संघ को निशाना बनाए जाने का नाहक विवाद अब खत्म हो जाना चाहिए।  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ऐसा संगठन है जिसे किसी को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है। आज यह कहना उचित होगा ​कि इसके आलोचक ही इसकी मुख्य पहचान हैं। जब आलोचक संघ की कड़वी आलोचना करते नजर आते हैं तब-तब संघ और मजबूत होता दिखाई पड़ता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 52 वर्षों तक अपने मुख्यालय में तिरंगा नहीं लहराया था, इस प्रकार का दुष्प्रचार कांग्रेस और वामपंथियों द्वारा प्रायः किया जाता है। परिणामस्वरूप कई बार लोगों में भ्रम का माहौल बन जाता है लेकिन संघ प्रमुख के बयान से इस दुष्प्रचार की हवा निकल गई है।
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संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषा की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि संघ तिरंगे का जन्म से ही सम्मान करता है। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी कहानी भी सुनाई कि किस तरह तिरंगे की रस्सी की गुत्थी सुलझाने वाले युवक किशन सिंह राजपूत अभिनंदन करने की योजना कांग्रेस ने केवल इसलिए खारिज की क्योंकि वह संघ की शाखाओं में जाता था। तब डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार राजपूत से मिलने जलगांव पहुंच गए। तब संघ की शाखाओं ने तिरंगे झंडे के साथ पथ संचलन कर राजपूत के अभिनंदन के प्रस्ताव कांग्रेस को भेजे थे। संघ का कहना है कि जिस दिन से भारत की संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकारा तो उस दिन से सिर्फ संघ ही क्या वह पूरे देश के लिए तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज हो गया। 2004 तक निजी तौर पर तिरंगा लगाने को लेकर कई तरह की पाबंदियां थी। 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में निर्णय लिया तब से संघ कार्यालय पर भी राष्ट्र ध्वज फहराया जा रहा है। संघ का उद्देश्य ही राष्ट्र के लिए है, जब संघ ने संविधान को स्वीकार किया तो उससे जुड़ी हर चीज को भी स्वीकार किया। संघ प्रमुख और संघ के अनेक नेता, स्वयंसेवक और संस्थाएं राष्ट्रध्वज फहराते ही रहते हैं। 1950 में भारत सरकार ने प्रतीक और नाम अधिनियम लागू ​किया था, जिसके तहत निजी तौर पर राष्ट्रध्वज कैसे और कब  फहराया जाएगा के नियम  बनाए गए थे। सांसद नवीन जिंदल नेे सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कोई भी व्यक्ति अपने घर पर या कार्यालय पर तिरंगा फहरा सकता है। कांग्रेस केवल संघ को निशाना बनाकर राजनीति कर रही है। कुछ दिन पहले संघ प्रमुख भोपाल में तिरंगा फहराने गए तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर उन्हें रोकने की कोशिश की थी। जहां तक संघ के भगवा ध्वज का सवाल है कार्यक्रमों में संघ उसे फहराता है।
इतिहास गवाह है कि आजादी के पूर्व अंग्रेजी शासन में बिहार के कुछ युवओं ने पटना सचिवालय में तिरंगा फहराने का प्रयास किया था और पुलिस फायरिंग में 6 युवकों ने शहादत दी थी जिसमें दो संघ कार्यकर्ता थे। गोवा दमन दीव की आजादी के लिए दादरनगर हवेली और सिलवासा के पुर्तगाली केंद्रों पर हमला कर तिरंगा फहराने वाले भी संघ कार्यकर्ता ही थे। संघ भगवा ध्वज को गुरु मानता है। संघ की आलोचना केवल इसलिए नहीं की जा सकती कि उसका ध्वज भगवा है। इस देश में संगठनों और दलों के अपने-अपने ध्वज हैं। संघ के सबसे प्रमुख विचारक एमएस गोलवलकर ने 14 जुलाई 1946 को नागपुर में संघ मुख्यालय में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कहा था कि भगवान ध्वज भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। ये ईश्वर का प्रतीक है। संघ भगवा ध्वज को नमन कर एक परंपरा का निर्वाह करता है।
स्वतंत्रता प्राप्ति  के बाद संघ पर प्रति​बंध भी लगाए गए लेकिन संघ से हर बार प्रतिबंध हटाना पड़ा। संघ की सराहना तो महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर बड़े-बड़े आलोचक करते रहे हैं। संघ की देश भक्ति पर कभी किसी ने संदेह नहीं किया। 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय संघ के काम से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संघ को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का न्यौता भेजा था तब दो दिन पूर्व सूचना पर तीन हजार से ज्यादा स्वयं सेवकों ने परेड में हिस्सा लिया था। देश में कोई भी आपदा हो स्वयं सेवक मदद के लिए तुरंत पहुंच  जाते हैं। बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप सरीखी​ विपदाओं में स्वयं सेवकों की ओर से मदद का सिलसिला बरकरार है। संघ की ओर से देश की सभ्यता और संस्कृति के लिए चलाए गए अभियानों ने काफी सराहना बटोरी है। पर दुखद ही रहा कि देश के तथाकथित  धर्म निरपेक्ष दलों ने भगवा आतंकवाद का ढिंढोरा पीट संघ को बदनाम करने की कुचेष्ठा की। संघ की विचारधारा में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, राष्ट्रप्रेम, अखंड भारत जैसे विषय देश को समरसता की ओर ले जाते हैं। राष्ट्रहित ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए सर्वोपरि है।
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