अपनी विरासत पर गर्व है...
आज अपनी विरासत पर गर्व करने के क्षण हैं। यह आत्मगौरव से भरे नए भारत का आगाज का समय है और भारत को आत्मनिर्भर, विश्व गुरु बनाने की ओर बढ़ते कदम हैं।
01:17 AM Sep 11, 2022 IST | Kiran Chopra
Advertisement
आज अपनी विरासत पर गर्व करने के क्षण हैं। यह आत्मगौरव से भरे नए भारत का आगाज का समय है और भारत को आत्मनिर्भर, विश्व गुरु बनाने की ओर बढ़ते कदम हैं।
Advertisement
इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा का अनावरण और कर्त्तव्यपथ का उद्घाटन गुलामी के प्रतीकों को मिटाने की शुरूआत हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्त्तव्यपथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। यह भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवन मार्ग है। यहां जब देश के लोग आएंगे तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मैमोरियल ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्त्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी। उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसका अर्किटैक्चर भी बदला है और इसकी आत्मा भी बदली है। वास्तव में आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर यानी अमृतकाल में गुलामी की मानसिकता को क्यों ढोयें इसलिए आज की पीढ़ी को भारत के सामर्थ्य आैर शक्ति का अहसास दिलाना बहुत जरूरी है। ताकि भावी पीढ़ी पर किसी तरह की हीन भावना नहीं आए। क्योंकि अंग्रेजों ने 200 साल राज किया और मुगलों ने अपने शासनकाल में बहुत अत्याचार किए। मंदिरों को तोड़ा, महिलाओं पर अत्याचार किए और अधिकतर सड़कों का नाम, स्टेडियमों, खेल के मैदान, चौराहों का नाम अपने समय के लोगों के नाम पर रखा। अब नई पीढ़ी को हमें यही सिखाना है यह उनकी गंदी सोच और मानसिकता थी जिसको बदलने के लिए हमें भारतीयता दिखानी है। इस कड़ी में सरकार ने बहुत कुछ किया है। कभी देश के अंडमान निकोबार द्वितीय समूह की बात होती थी, लेकिन उसका नाम बदलकर शहीद और स्वराजद्वीप किया जा रहा है।
Advertisement
इसी कड़ी में अगर शहीदों के नाम पर भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और नेताजी सुभाष को याद किया जाता है और उनके नाम पर नए-नए उदाहरण स्थापित किए जा रहे हैं तो यह एक अच्छा काम है। और पूरे देशवासियों के लिए गौरव की बात है। सरकार की बहुचर्चित सैंट्रल विस्टा प्रोजैक्ट जिसे पुनर्विकसित किया गया के तहत इंडिया गेट पर 28 फुट ऊंची नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण खुद श्री मोदी ने किया तो यह पूरे देश के लिए फक्र की बात है। उन्होंने साफ कहा कि नेता जी बोस को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे। ऐसा कह कर उन्होंने यह भी कहा कि अगर नेताजी को आजादी के बाद भुलाया न होता और देश उनकी राह पर चलता तो सचमुच वह और भी ऊंचाइयों पर होता। कहने का मतलब यह है कि आजादी के दीवानों का सम्मान होना चाहिए यह परम्परा होनी चाहिए तभी देशवासी आजादी के दीवानों को याद रखते हैं। तभी भावी पीढ़ियां आजादी का महत्व समझेंगी जब उन्हें यह याद रहेगा और मालूम पड़ेगा कि आजादी के लिए कितनी कुर्बानियां और शहीदियां हुईं इसीलिए प्रधानमंत्री ने लालकिले से विभाजन विभीषिका वाले दिन को याद करने के लिए कहा क्योंकि आज जिस आजाद भारत में हम सांस ले रहे हैं वो उन्हीं लोगों के कारण है जो देश की आजादी के लिए कुर्बान हो गए।
Advertisement
पीएम मोदी ने अभी पिछले दिनों हमारे विक्रांत जलपोत के अनावरण पर सर जॉर्ज क्रास को उस नौसेना के ध्वज से हटाया जो पुरानी दासता को प्रदर्शित कर रहा था। अब समुद्री विरासत में तिरंगा फहराएगा और नौसेना की शान में छत्रपति शिवाजी का ध्वज भी नजर आएगा, इसी कड़ी में यूपी में फैजाबाद का नाम अयोध्या करना, उर्दू बाजार को हिंदी बाजार कहना, हुमायूंपुर की जगह हनुमान नगर, मीना बाजार की जगह माया बाजार, अलीनगर की जगह आर्यनगर जैसे अनेक उदाहरण हैं कि जहां भारतीयता की खुशबु फैल रही है। आने वाले दिनों में अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ या आर्यगढ़ होगा। फिरोजाबाद का नाम चंद्रनगर होगा। कहने का मतलब स्पष्ट है कि देश का नाम अगर भारत है तो भारतीयता की झलक ऐसे ही नामों से मिलती है।
क्योंकि हमेशा कहा जाता है किसी भी व्यक्ति, संस्था देश का नाम का अर्थ अच्छा हो तो उससे भावना और जोश जुड़ता है, कर्त्तव्य पालन करना आता है, अपनापन आता है और हमारी विरासत, इतिहास जिसने दुनिया को सब कुछ सिखाया उस पर हमें गर्व होना चाहिए।

Join Channel