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यहां गर्व की बात... वहां शर्म की बात

हमारे देश में महिला और पुरुष एक बराबर हैं। इस तथ्य के बावजूद यह रिकार्ड कागजों में ज्यादा मजबूूत दिखाई देते हैं और महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जे का अधिकार देखने को मिला।

12:18 AM Jan 30, 2022 IST | Kiran Chopra

हमारे देश में महिला और पुरुष एक बराबर हैं। इस तथ्य के बावजूद यह रिकार्ड कागजों में ज्यादा मजबूूत दिखाई देते हैं और महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जे का अधिकार देखने को मिला।

यहां गर्व की बात    वहां शर्म की बात
हमारे देश में महिला और पुरुष एक बराबर हैं। इस तथ्य के बावजूद यह रिकार्ड कागजों में ज्यादा मजबूूत दिखाई देते हैं और महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जे का अधिकार देखने को मिला। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर अभी चार दिन पहले ही राजपथ पर देश का 73वां गणतंत्र दिवस जिस शानोशौकत से मनाया गया तो वहां राष्ट्रीय परेड में देश की बेेटियों ने अपना दमखम दिखाया। शिवांगी ने राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट का गौरव पाया तो वहीं  आर्मी ओ​र्डिनेंस की लैफ्टिनेंट मनीषा वोहरा ने एक पुरुष दल का नेतृत्व किया। बड़ी बात यह रही कि इंडियन नेवी की झांकी का नेतृत्व लेफ्टिनेंट प्रीति ने किया। सीमा सुरक्षा बल की सीमा भवानी के नेतृत्व में बाइकर टीम  ने गणतंत्र दिवस परेड में हैरतअंगेज कारनामे दिखाए। महिलाओं की ताकत राष्ट्रीय परेड में एक आकर्षण का केंद्र बनी रही और इसका महत्व इसलिए भी ज्यादा है कि राष्ट्रीय परेड राष्ट्रपति के सामने होती है। शक्ति से लवरेज बेटियों पर देश को नाज है। बाद में लेफ्टिनेंट मनीषा वोहरा ने कहा कि यह हम सभी के लिए सम्मान की बात है कि हम राष्ट्रीय परेड में शिरकत कर रहे हैं। इसके लिए हमने मेहनत भी की है। देश ने हमें सेवा का मौका दिया है और हम इसमें कई कसर नहीं छोड़ेंगे।
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कहने का मतलब यह है कि जिस देश में कभी महिलाओं को अबला कहा जा​ता था और कई स्थानों पर तो उन्हें घरों से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी, अब यही लड़कियां सही मायनों में देश का नाम रोशन कर रही हैं। समय बता रहा है कि लड़कियों को पुरानी रू​ढ़ीवादी सोच के तहत कैद करके नहीं रखा जा सकता। इसमें भी कोई शक नहीं कि ये बेटियां जो आज इस ऊंचे मुकाम पर पहुंची हैं  तो यह महज एक दिन का जलवा नहीं है बल्कि अगर इन बेटियों का इतिहास हम झांकें तो यह बरसों से अपनी ताकत दिखाने के लिए डटी हुई हैं। उदाहरण के तौर पर वाराणसी की शिवांगी जिसने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल उड़ाया है, 2017 में भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुकी थी। कभी वह एनसीसी की ओर से 2013 में इसी गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा ले चुकी थी लेकिन अगर संकल्प मजबूत हो तो देश की बेटियां सब कुछ कर सकती हैं। बड़ी बात यह है कि यही शिवांगी राजस्थान में भारत-पाक बार्डर पर एक एयरबेस पर भी ड्यूटी निभा चुकी है।
बीएसएफ की सीमा भवानी महिला बाइकर टीम की हैड बनकर 26 जनवरी की परेड में उतरी। इनकी टीम में सभी महिलाओं ने जो करतब बाइक पर बैठ कर दिखाए वह राष्ट्रीय गौरव है क्योंकि राष्ट्रीय परेड का हिस्सा बनना ही एक गौरवशाली बात है लेकिन युद्ध के दौरान युद्धस्थल तक साजोसामान अगर दुर्गम स्थलों से होते हुए कहीं ले जाना है और जहां चारपहिया वाहन नहीं जा सकते तो वहां कच्ची-पक्की पहाड़ी पग​डंडियों पर बीएसएफ की यह बेटियां अपनी ड्यूटी जान पर खेल कर निभाती हैं।  सीट पर योगा करते हुए या सीट पर एक सीढ़ी रखकर बाइक चलाना यह काम आसान नहीं है। दिन में 6-6 घंटे प्रैक्टिस करनी पड़ती है तब कहीं जाकर आप देश की शान बनती हैं। कुल मिलाकर बेटियों के ये हैरतअंगेज कारनामे हमारी आने वाली लड़कियों की पीढ़ी को देश सेवा में आने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। देश की बेटियों को जब-जब अवसर मिला उन्होंने अपना योगदान​ दिया है और प्रमाणित कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं हैं। ऐसे में पीएम मोदी का यह नारा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ बहुत ही सारगर्भित दिखाई देता है।
यहां उल्लेख​नीय बात यह है कि इसी 26 जनवरी को जब देश की बेटियां राष्ट्रीय गौरव की गाथा लिख रही थीं तो हमारी दिल्ली के शाहदरा स्थित कस्तूरबा नगर में एक शर्मनाक झांकी देखने को मिली जहां एक 20 वर्षीय बेटी का अपहरण  दबंगों ने किया। अपहर्ताओं ने उसका गैंग रेप किया, बाल काट दिए और उसके चेहरे पर कालिख पोत दी, गले में जूते-चप्पलों की माला डाल दी। वह बेटी गिड़गिड़ाती रही, खुद को छोड़ देने की गुहार लगाती रही। आत्मा को भी झकझोर कर रख देने वाला क्षण तब सामने आया जब इस शर्मनाक कांड में महिलाएं शामिल थीं और सारी हैवानियत का खेल देखती रहीं।
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कितनी शर्म की बात है कि जब महिलाएं ही महिला पर जुर्म होता हुआ देखती रहें और कुछ करने का साहस न करें तो फिर कोई क्या कर सकता है। यद्यपि समाज में अनेक समाजिक संगठन इस मामले को लेकर सक्रिय हो रहे हैं। खुद दिल्ली महिला आयोग ने भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है लेकिन असली बात यह है की दोषियों के खिलाफ अगर केस दर्ज हो गया है तो गिरफ़्तारी से लेकर चार्ज शीट और फिर अदालत में इंसाफ की लड़ाई ज्यादा लंबी न चले। हमारे यहां तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख एक परंपरा बन चुकी है। ठीक ही कहा है कि जुर्म करना और  जुर्म सहना एक बराबर है। उस दिन की घटना में इस युवती के अपमान की झांकी के साथ चलने वाली भीड़ तमाशा देखती रही और सारी वारदात का वीडियो बनाती रही। आखिरकार पुलिस पहुंची तो इसने इस बेटी को बचाया और थाने ले गई। बताया जाता है कि एक परिवार के यहां से 16 वर्षीय लड़के ने लगभग 2 महीने पहले इस लड़की से कथित प्रेम-प्रसंग को लेकर ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दी थी। यह सारा मामला इस युवती से कनैक्टिड था या नहीं यह पुुलिस काे पता लगाना है लेकिन लड़के के परिवार ने इस लड़की को जिम्मेवार माना है हालांकि पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है।  देश की बेटियां देश का गौरव हैं। गरीब की बेटी और अमीर की बेटी सब बराबर हैं। यह संदेश कभी नहीं दिया जाना चाहिए कि कोई कानून को अपने हाथ में ले ले इसलिए ठोस व्यवस्था हमलावरों पर तुरंत एक्शन लेकर देश की बेटी को इंसाफ दिया जाना चाहिए।
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