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पबजी बैन...भारत आत्मनिर्भरता की ओर

मोबाइल में मनोरंजन के लिए, लेटेस्ट अपडेट्स के लिए पूरी दुनिया में एप्स का क्रेज है। कोई फिल्में देख रहा है, कोई और जानकारी ले रहा है।

12:56 AM Sep 06, 2020 IST | Kiran Chopra

मोबाइल में मनोरंजन के लिए, लेटेस्ट अपडेट्स के लिए पूरी दुनिया में एप्स का क्रेज है। कोई फिल्में देख रहा है, कोई और जानकारी ले रहा है।

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पबजी बैन   भारत आत्मनिर्भरता की ओर
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मोबाइल में मनोरंजन के लिए, लेटेस्ट अपडेट्स के लिए पूरी दुनिया में एप्स का क्रेज है। कोई फिल्में देख रहा है, कोई और जानकारी ले रहा है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर नये-नये एप्स के बारे में क्या कुछ वायरल हो रहा है उस पर अपनी विचार अभिव्यक्त करते हैं तो यह उनका अपना निजी जीवन है। मैं जिस पर फोकस हो रही हूं वह खास एप्स को लेकर है। चाहे वह टिक-टॉक हो या फिर पब्जी तक। इन दोनों के अलावा 150 से ज्यादा चीनी और  कोरियाई एप्स मोदी सरकार बैन कर चुकी है। तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। बड़ी बात यह है कि टिक-टॉक, पब्जी या अन्य कोई भी एप्स हो, ये हमारे लिये मनोरंजन साधन के साथ-साथ जानकारी उपलब्ध कराने का एक बड़ा माध्यम है लेकिन यह भी तो एक सच है कि चीन जैसी सोच रखने वाली कंपनियां इन एप्स के माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी को इन्हें देखने की एक लत लगा देती हैं जिससे फिर आदमी कहीं का नहीं रहता।
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सातवीं कक्षा के एक बच्चे को उसकी माता ने पब्जी देखने से मना किया तो उसने पंखे से फांसी लगा ली। एक अन्य केस में अस्पताल में दाखिल एक लड़की ने मोबाइल मांगा ताकि वह टिक-टॉक पर कुछ शेयर कर सके। इंकार किया गया तो उस लड़की ने हाथों की नसें काट ली। एक लड़का कार चला रहा है, कार में उसने मोबाइल खोल रखा है, पब्जी चल रहा है और उसकी कार टकरा जाती है। एक पिककिन स्पाॅट पर बहुत से छात्र-छात्राएं अपने-अपने पसंदीदा एप्स देखने में व्यस्त हैं कि पानी आ जाता है और हादसा हो जाता है। कहने का मतलब यह है कि खाली युवा पीढ़ी को लत लगाकर अपने एप्स को प्रमोट करना ही चीनी कंपनियों का एजेंडा नहीं बल्कि बड़ी बात तो यह है कि इन एप्स के जरिये हमारे देश की जासूसी भी की जा रही थी। हमारे देश की सुरक्षा इन एप्स के जरिये खतरे में पड़ रही थी, इसलिए मोदी सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से यह एक सही पग है लेकिन यह एक वास्तविकता है कि हमारी युवा पीढ़ी आजकल केवल सोशल मीडिया की गुलाम होकर रह गयी है, हमें इससे बचना चाहिए।
सोशल मीडिया पर जब अपनी बात कहने की और अपने वीडियो बनाने की सुविधा आसानी से मिल जाये तो युवा पीढ़ी एक-दूसरे को ऑडियो और वीडियो मैसेज से ही बहुत कुछ कह देती है और इसके अच्छे और बुरे प्रभाव पड़ते हैं। अगर कुछ विद्वान लोग या कुछ मित्र या कुछ अन्य सोसायटी के लोग ग्रुप बनाकर चैट करते हैं तो कोई बुरी बात नहीं लेकिन यह भी तो सच है कि इन ग्रुप्स में किसी को भी टारगेट किया जाता रहा है। लड़कियों की शारीरिक बनावट को अगर कोई खास ग्रुप बनाकर इसका जिक्र करता है, वीडियो शेयर करता है तो बताइये इसे क्या कहेंगे? आप इसे टैक्नालोजी का दोष कहकर तो बच नहीं सकते न। सवाल संस्कारों का है और हमारी युवा पीढ़ी को शिक्षा के प्रति समर्पित रखने का है। स्कूल या कॉलेज में मोबाइल रखना एक फैशन है, इस मोबाइल ने हमें कई सुविधाएं भी दी हैं। उदाहरण के लिए इसी मोबाइल ने आज ऑनलाइन क्लासेज में एक क्रांतिकारी सुविधा स्टूडेंट्स को प्रदान की है। जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। यह एक अच्छा काम है लेकिन जैसा कि कहा जा रहा है कि मर्यादित तरीके से अगर एप्स का प्रयोग करें तो फिर यह ज्ञानवर्धक है लेकिन जब व्यक्तिगत चाहत या रूसवाईयां या फिर अफेयर को लेकर चर्चा चलेगी तो इसे दुष्प्रचार ही कहा जायेगा। निश्चित रूप से एप्स वाली कंपनियों की ऐसी सोच हो सकती है कि भारत की युवा पीढ़ी को आदत लगा दी जाये और इसके साथ ही देश की सुरक्षा को भी टारगेट किया जाये। यह भी सच है कि पूरी दुनिया में टिक-टॉक और पबजी का जोर है। उससे भी बड़ा सच यह है कि भारत द्वारा टिक-टॉक और पबजी पर बैन के बाद अमरीका जैसे देश भी अपने यहां इन्हें प्रतिबंध की श्रेणी में ले आये हैं।
एक अहम बात यह है कि माता-पिता को मोबाइल के मामले में बच्चों पर नजर जरूर रखनी चाहिए। देर रात तक मोबाइल क प्रयोग स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक तो है ही, सामाजिक दृष्टिकोण से भी ठीक नहीं।
पबजी को बैन करने के साथ ही मोबाइल गेमिंग के फैन परेशान थे कि अब क्या करें, परन्तु भारत के खिलाड़ी किसी से कम नहीं। सबसे बड़ा लोगों का प्रिय मि. खिलाड़ी अक्षय कुमार, जिसने ट्वीट कर ऐलान कर दिया कि अक्तूबर तक गूगल व एप्पल स्टोर पर होगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आत्मनिर्भर अभियान के तहत वे इस गेम को पेश करेंगे क्योंकि अक्षय कुमार की इमेज बहुत बड़े जांबाज एक्शन हीरो की है। इसलिए अक्षय इसके मेंटोर बनाए गए हैं। बेंगलुरु की कम्पनी इसे बना रही है, इससे होने वाली आमदनी 20 फीसदी  ‘भारत के वीर ट्रस्ट’ को दान में दी जाएगी। क्योंकि अक्षय कुमार इस ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं और ये देश के शहीदों के परिवारों के लिए काम करती है। यह एक मल्टीप्लेयर एक्शन गेम होगा और देश को बाहरी-भीतरी ताकतों से मिलने वाली चुनौतियों से जूझने वाले जवानों का थीम इसमें होगा।
वाह! मोदी जी आपके आह्वान पर भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। यही नहीं मेरे 8 साल के पोते ने कहा दादी मैं टॉय  बना सकता हूं। मैंने पूछा क्यों नहीं पर क्यों बनाना चाहते हो तो झट से जवाब दिया मोदी जी ने कहा है और वह पेपर से बना खिलौना मेरे पास ले आया कि यह देखो मैंने बनाया है और मैं सोच रही थी अगर छोटे बच्चों की सोच इस ओर चल पड़ी है तो मोदी जी के आत्मनिर्भरता के सपने की मजबूत नींव बन रही है।
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Kiran Chopra

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