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पुतिन ने पलट दी बाजी

05:45 AM Aug 18, 2025 IST | Aditya Chopra
पुतिन ने पलट दी बाजी

अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। ऐसी आशंकाएं पहले ही व्यक्त की जा रही थीं कि इस बैठक से कुछ ठोस नहीं निकलने वाला। उधर बैठक खत्म हुई कि रूसी सेना ने यूक्रेन के दो और गांव पर कब्जा जमा लिया। बैठक के दौरान भी रूस और यूक्रेन के बीच हमले जारी रहे। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध फरवरी 2022 से चल रहा है। इस युद्ध को तीन साल से भी ज्यादा समय हो गया है। यूक्रेन तबाही की ओर बढ़ रहा है तो रूस को भी काफी नुक्सान झेलना पड़ रहा है। अलास्का बैठक के बाद यद्यपि ट्रम्प और पुतिन दोनों ने गोलमोल जवाब दिये। अगली बैठक के लिए पुतिन ने ट्रम्प को मास्को आमं​त्रित किया। कुछ दिन पहले ट्रम्प पुतिन को पानी पी-पी कर कोस रहे थे। युद्ध नहीं रोके पर रूस को गम्भीर परिणामों की धमकियां दे रहे थे लेकिन अलास्का में ट्रम्प ने पुतिन से ऐसी दोस्ती दिखाई जैसे बिछड़े हुए दो दोस्त वर्षों बाद मिल रहे हों। ट्रम्प ने पुतिन के लिए रेड कार्पेट ​बिछाया और ऐसा शानदार स्वागत किया, जैसा एक राष्ट्र अध्यक्ष दूसरे राष्ट्र अध्यक्ष का स्वागत करता है। जो दृश्य दिखाई दिए उससे एक बार फिर धारणा कायम हुई कि क्या ट्रम्प यूक्रेन को धोखा दे रहे हैं।

कूटनयिक क्षेत्रों में इस बात की चर्चा है कि पुतिन से बातचीत के बिन्दुओं को लेकर ट्रम्प ने जेलेंस्की को भागीदार तक नहीं बनाया। जब बातचीत हो चुकी तो जेलेंस्की को बातचीत के लिए वाशिंगटन बुला ​लिया। यह दस्तूर है कि बड़ी शक्तियां हमेशा आपस में समझौता कर लेती हैं और नुक्सान हमेशा छोटे देशों को भुगतना पड़ता है। अलास्का बैठक के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों में ट्रम्प की आलोचना हो रही है कि जिस पुतिन को वे युद्ध अपराधी करार दे रहे थे उसी के साथ अब दोस्ती क्यों। बैठक के बाद ट्रम्प का यह बयान भी चर्चा का विषय है कि यूक्रेन को रूस से समझौता करना चाहिए। रूस बहुत बड़ा देश है। ट्रम्प चाहते हैं कि जेलेंस्की रूस को कब्जाई हुई जमीन देकर शांति समझौता कर ले। कुल मिलाकर अलास्का बैठक में पुतिन ने बाजी मार ली है। व्लादिमीर पुतिन पूरी तैयारी के साथ अमेरिका पहुंचे थे। उनका विजन एकदम साफ था। वह अपने साथ कारोबारियों और आर्थिक सलाहकारों का प्रतिनिधिमंडल लेकर भी पहुंचे थे। ऐसा लगता था कि वह यूक्रेन पर बात करने नहीं बल्कि किसी बिजनेस डील के लिए अमेरिका गए थे। एक तरफ अमेरिका रूस के साथ व्यापार करने वाले भारत पर भड़ककर टैरिफ लगा रहा है तो दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका और रूस के बीच व्यापार में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों के व्यापार में 20 फीसदी की बढ़ाैतरी दर्ज की गई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिका और रूस दोनों के ही पास एक दूसरे के लिए कई ऑफर हैं।

ट्रम्प इस समय लीडर कम और ट्रेडर ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। भारत की इस बैठक पर नजर थी और उसने बैठक का स्वागत भी किया था। भारत बैठक के नतीजों का इंतजार कर रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि बैठक से कुछ दिन पहले अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने धमकी दी थी कि अगर ट्रम्प और पुतिन की बातचीत में कुछ नतीजा निकल कर नहीं आया तो भारत पर और अतिरिक्त टैरिफ लगाया जा सकता है लेकिन पुतिन किसी दबाव में आने को तैयार नहीं। ट्रम्प की दलील यह थी कि जितना भारत पर दबाव बनाया जाएगा उतना ही पुतिन झुकेंगे। पुतिन ने अलास्का बैठक में शामिल होकर अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी कूटनीतिक छवि फिर से बहाल कर ली है। पुतिन अब कह सकते हैं कि वह वैश्विक राजनीति की मुख्यधारा में लौट आए हैं। उन्हें कितना भी अलग-थलग करने की कोशिश की जाए वह सफल नहीं हो सकती। रूस भी यह अच्छी तरह जानता है कि अगर उसे ट्रम्प का समर्थन मिल जाए तो वह यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी मदद रोक देंगे और अमेरिका और रूस आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार होंगे। ट्रम्प शांति के साथ-साथ व्यापार समझौते भी चाहते हैं। ट्रम्प अपनी ही बातों में उलझ कर भारत को ब्लैकमेल कर रहे हैं।

पुतिन की बातों से स्पष्ट है कि वह अपनी शर्तों पर ही ट्रम्प के साथ बात को आगे बढ़ाना चाहते हैं। पुतिन जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प हर मुद्दे को व्यापार के लैंस से देखते हैं। इसलिए व्लादिमीर पुतिन भी फायदे का सौदा दिखाकर डोनाल्ड ट्रम्प के साथ डील करना चाहते हैं। पुतिन का पहला लक्ष्य है सुरक्षा का आश्वासन हासिल करना। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन की सुरक्षा जरूरी है और हम मिलकर उसे बचाने के लिए तैयार हैं। इसका मतलब है कि पुतिन नहीं चाहते कि नाटो देशों की उपस्थिति यूक्रेन में हो। भारत पर ज़्यादा टैरिफ लगाना ट्रम्प की बातचीत की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें हमेशा एक ही पैटर्न रहा है। दूसरे पक्ष काे परेशान करने के लिए लगातार टैरिफ की बड़ी संख्या थोपते रहो और फिर बातचीत की मेज पर बढ़त हासिल करो। चीन को भी 145 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ा, जिसके बाद टैरिफ घटकर 30 प्रतिशत पर आ गया और यूरोपीय संघ को अपनी अंतिम टैरिफ वार्ता से ठीक पहले 30 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी गई, जो समझौता होने के बाद घटकर 15 प्रतिशत रह गया। कुल मिलाकर पुतिन ट्रम्प की बाजी पलटने में सक्षम दिखाई दे रहे हैं। ट्रम्प कह सकते हैं कि वह शांति की दिशा में आगे बढ़े हैं। अब मास्को में होने वाली बैठक का इंतजार है। मानवता की रक्षा के​ लिए युद्ध खत्म होना ही चाहिए। भले ही वह रूस की शर्तों पर हो।

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