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पुतिन-आपका स्वागत है

04:50 AM Dec 05, 2025 IST | Aditya Chopra
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

आज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच गए हैं। एक अच्छे और परखे हुए दोस्त पुतिन का भारत स्वागत करता है। भारत और रूस के संबंध बहुत पुराने हैं। भारत के बिग शोमैन राजकपूर ने जब पर्दे पर यह गाना गया।
‘‘मेरा जूता है जापानी, यह पतलून इंग्लिशस्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिन्दोस्तानी।”
यह गाना मास्को वासियों में इतना प्रख्यात हुआ कि राजकपूर को अंततः रूस जाना पड़ा और लाल टोपी पहन कर जब वह शहर में घुसे तो एक समां ही बंध गया। रूस तब सोवियत संघ कहलाता था। कालांतर में भारत और सोवियत संघ के रिश्ते इतने प्रगाढ़ हुए कि भारत-पाक युद्ध के दौरान जब भारत के वीर जवानों ने अमेरिकी पेटेंट टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया और पाकिस्तान को दिए गए सैबर जैटों को हमारे नेट विमानों ने दिन में तारे दिखा दिए तो जिस ढंग से रूस की मदद से भारत ने अपनी सुरक्षा को मजबूत किया। उसका कोई जवाब नहीं है। असल दोस्त वही होता है जो बुरे वक्त में साथ दें। भारत-रूस संबंधों का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि अतीत में भारत पर जब-जब मुसीबतें आईं तब-तब रूस ने हमारा साथ दिया। कौन नहीं जानता कि 1971 के युद्ध में जब अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ देते हुए अपना सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेजने का फैसला किया तब सोवियत संघ ने भारत की मदद के लिए अपना विध्वंसक बेड़ा भेज दिया था। सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल भी भारत के हक में किया। 1971 में ही भारत और सोवियत संघ ने एक शांति मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए जिससे दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग मजबूत हुआ। रूस ने भारत को सैन्य प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष क्षेत्र में व्यापक सहयोग दिया।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन 2021 में भी नई दिल्ली आए थे। भारत के प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति संबंधों के सम्पूर्ण पहलुओं की समीक्षा के लिए हर साल एक शिखर सम्मेलन आयोजित करते हैं। अब तक दोनों देशों में 22 शिखर वार्ताएं हो चुकी हैं। पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी वार्षिक ​शिखर बैठक के लिए मास्को गए थे। अब एक बार फिर दो दोस्तों का मिलन हो रहा है। विश्व के दो नेता पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों नेता विश्व व्यवस्था बदलने की क्षमता रखते हैं। पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-रूस से कच्चे तेल की खरीद रोकने के लिए अमेरिकी दबाव का सामना कर रहा है। रूस से हथियार खरीदने पर भी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत से चिढ़े बैठे हैं। ट्रंप ने भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगा रखा है। दूसरी तरफ यूक्रेन युद्ध जारी रहने से रूस पश्चिमी देशों के दबाव में है। यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल की कमाई को निशाना बनाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पुतिन की वार्ता पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं। इस बैठक को लेकर ट्रंप और पाकिस्तान के हुक्मरान शहबाज शरीफ और पाकिस्तान सेनाध्यक्ष मुनीर तनाव में हैं।
भारत दौरे पर आने से पहले ही रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमां ने भारत के साथ रक्षा भागीदारी को लेकर एक सैन्य सहमझौते को अपनी मंजूरी दे दी है। इस पर भारत और रूस की सहमति बनी तो रूस के 5 युद्ध पोत, 10 सैन्य विमान और 3000 सैनिक 5 साल के लिए भारतीय जमीन पर तैनात किए जा सकेंगे। साथ ही भारत के इतने ही सैनिक और युद्ध पोत रूसी जमीन पर तैनात किए जा सकेंगे। रूसी संसद ने रेलोस यानि इंडिया-रूस रेसीप्रोबलम एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक स्पोर्ट समझौते के तहत इसकी मंजूरी दी है। रेलोेस डील से दुनिया के कई देशों में हड़कंप मचा हुआ है। पुतिन ने कुछ दिन पहले ही आदेश दिया है कि रूस भारत द्वारा कच्चे तेल का भारी मात्रा में आयात ​किए जाने के कारण पैदा हुए व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए कदम उठाएगा। अब देखना होगा कि रूस व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए क्या-क्या कदम उठाता है। व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए रूस भारत से कृषि उत्पादों और दवाओं का आयात कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के जख्मों पर नमक की तरह काम करेगा। ट्रंप को लग रहा था कि 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से भारत का बाजार तबाह हो जाएगा। अगर भारत रूस को अपने कृषि और फार्मा उत्पादों की अधिक सप्लाई करना शुरू करेगा तो ट्रंप का सपना ख्याली पुलाव ही रह जाएगा। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकार्ड 68.7 विलियन डालर तक पहुंच गया है। इसमें भारत का निर्यात 4.88 ​विलियन डालर रहा। पुतिन इसी असंतुलन को दूर करने की बात कर रहे हैं। भारत अमेरिकी दबाव में रूस के साथ दोस्ती को नहीं छोड़ सकता। पिछले 25 वर्षों को छोड़ दें तो आजादी के बाद से ही अमेरिका अधिकतर समय भारत के खिलाफ ही रहा है। रूस ने भारत के औद्योगिक, रक्षा और परमाणु क्षेत्रों को महत्वपूर्ण सहायता दी है। 2000 में पुतिन की भारत यात्रा के दौरान भारत-रूस साम​रिक साझेदारी की स्थापना के साथ संबंधों को एक नया स्वरूप मिला। इसी के चलते भारत और रूस ब्रह्मोस मिसाइल और टी-19 टैंकों सहित कई डिफैंस टैक्नोलॉजी विकसित करने में कामयाब हुए। इसके अलावा दोनों देश हथियारों को संयुक्त उत्पादन, टैक्नोलॉजी ट्रांसफर में भी एक-दूसरे को सहयोग कर रहे हैं। अमेरिका के कड़े विरोध के बावजूद रूस ने भारत को एस-400 सुरक्षा कवच दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पुतिन की बैठक में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी तो मजबूत होगी ही साथ ही व्यापार, ऊर्जा, रक्षा सहित कई क्षेत्रों में समझौते होने की उम्मीद है। दोनों देशों का फोकस द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा देने पर केन्द्रित रहेगा। भारत यह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह अपने परखे हुए मित्र से दोस्ती कभी नहीं तोड़ेगा।

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