Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये Katha, संतान सुख के साथ बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा
Putrada Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी और उसकी Katha का काफी बड़ा महत्व है। हर एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए काफी अहम और खास होती है। इस दिन लोग सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की सेवा करने से शुभ फलों का प्राप्ति होती है। इस दिन सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है।
बता दें कि साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, प्रत्येक माह में दो एकादशी होती हैं। हर एकादशी एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में आती है और अधिकमास (मलमास) होने पर 26 एकादशी भी हो सकती हैं। आज 5 अगस्त है और आज पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) है। आज के दिन लोग संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्मु से प्रार्थना करते हैं।
इसके साथ ही लोग जीवन में अच्छे के लिए भी इस व्रत को रख सकते हैं। आज के दिन लोग लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं और संतान या पुत्र की प्राप्ति के लिए इस एकादशी का व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से दंपती को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। 5 अगस्त 2025 यानी आज पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ सावन की पुत्रदा एकादशी मनाई जा रही है।
इस बार रवि योग और गजलक्ष्मी राजयोग का संयोग एकादशी को और भी खास बना रहा है। इसके साथ ही आज के दिन इस व्रत को सच्चे मन से करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस दिन व्रत करने से जीवन में ग्रह दोषों से भी निवारण मिलता है।
Putrada Ekadashi Vrat Katha का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। पद्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार यह कथा भूतपूर्व काल के एक राजा की है। द्वापर युग के दौरान एक नगर में सच्चा, न्याय करने वाला और महान प्रतापी राजा था। प्रतापी राजा की चर्चा तीनों लोक में और देवी-देवताओं में भी थी, जिनका नाम राजा महीजित था। वह माहिष्मती नगरी के राजा थे। राजा महीजित को कोई भी संतान नहीं थी।
एक बार इसी विषय को लेकर वह जब काफी चिंता में थे तो उन्होंने तुरंत प्रजा की भलाई और उत्तराधिकारी की चिंता को लेकर एक सभा बुलाई। इस सभा में कई महान और वरिष्ठ मंत्री और प्रजा के लोग उपस्थित हुए। इसके बाद राजा ने अपनी चिंता को सभी लोगों के समक्ष रखा। दुखी होकर राजा ने अपनी प्रजा से कहा कि-मैनें आज तक कोई अपराध नहीं किया और न ही किसी के हृदय को आहत किया है।
न ही मैंने आज तक किसी के साथ अन्याय किया है और न ही किसी को दुख पहुंचाया है। मैंने सदा अपनी प्रजा के हित और भले के लिए दिन और रात कठीन परिश्रम किया है। इसी प्रजा से स्नेह मिला तो तब जाकर इस साम्राज्य को मैंने खड़ा किया। हालांकि, मुझे अब यह चिंता हो रही है कि अगर कोई योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिला, तो प्रजा के साथ न्याय कौन करेगा और इस राज्य की रक्षा कौन करेगा।
राजा महीजित ने संतान न होने के इस गंभीर विषय को लेकर कई ऋषि-मुनियों से परामर्श लिया। लेकिन आखिर में एक महर्षि लोमश ने राजा महीजित श्रावण शुक्ल एकादशी की के बारे में बताया। महर्षि लोमश ने राजा महीजित इस एकादशी का महत्व समझाया और उन्हें व्रत रखने की सलाह दी। इसके बाद राजा महीजित और उनकी धर्म पत्नी ने पूरे विधि-विधान से इस पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और सभी नियमों का पालन किया।
साथ ही रात के समय जागरण कर भगवान विष्णु का कीर्तन और भजन भी किया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें जल्दी ही संतान सुख की प्राप्ति हुई। उसी दिन से इस एकादशी को ‘पुत्रदा’ के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जिन दंपती को संतान नहीं है उन्हें भी संतान सुख की प्राप्ति होती है।
Putrada Ekadashi की पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद किसी साफ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उसके पास शंख में जल लेकर उस प्रतिमा का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं और भगवान विष्णु की चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें।
इसके बाद उनकी प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान को पीले वस्त्र और मौसमी फलों के साथ आंवला, लौंग, नींबू, सुपारी भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें और पूरे दिन उपवास रखें।
इस दिन रात को प्रतिमा के पास ही जागरण करना चाहिए और भगवान के भजन गाने चाहिए। इसके बाद अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं या जरूरतमंदो को दान दें। इसके बाद व्रत का पारण करें। इस तरह व्रत और पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
Putrada Ekadashi के दिन करें इन नियमों का पालन
पुत्रदा एकादशी के दिन कुछ खास नियमों का पालन हर भक्त को करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए। इस दिन किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए। इस दिन सत्य और अहिंसा का पालन करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए। ऐस करने से व्यक्ति के पूरे वंश का नाश हो जाता है। इस दिन सुबह के समय जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए।
पुत्रदा एकादशी के व्रत को दौरान अपने खान-पान से लेकर अपने व्यवहार पर संयम रखना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विकता का पालन भी करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले भक्त को किसी से भी बात करते समय कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
ऐसा करने से पुत्रदा एकादशी के फल नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त नहीं होती है। इसके साथ ही इस दिन किसी के ऊपर क्रोध नहीं करना चाहिए और किसी से भी कुछ छिपाने के लिए झुठ नहीं बोलना चाहिए।
पद्म पुराण में कहा गया है कि- जो कोई भी इस व्रत को सच्ची श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है उसे उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही इस व्रत को करने से विद्यार्थियों, गृहस्थों और मोक्ष की की प्रार्थना करने वालों को उनकी इच्छानुसार फल मिलते हैं।
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