भारत को राष्ट्रगान देने वाले रवींद्रनाथ टैगौर की पुण्यतिथि आज, जानें उनके बारे में 10 खात बातें
Rabindranath Tagore Death Anniversary: भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता और कविता, कहानी, संगीत, नाटक, निबंध जैसी साहित्यिक कृतियों के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि आज है। रवींद्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को हुआ था। टैगोर न केवल एक महान रचनात्मक व्यक्ति थे, बल्कि वे पहले व्यक्ति भी थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के बीच सेतु बनने का काम किया। उनका जन्म 7 मई 1861 को जोड़ासाँको में हुआ था।
Rabindranath Tagore Biography
रवींद्रनाथ टैगोर की असाधारण प्रतिभा का अहसास लोगों को बचपन से ही होने लगा था। उन्होंने अपनी पहली कविता मात्र 8 वर्ष की आयु में लिखी थी और उनकी पहली लघु कहानी मात्र 16 वर्ष की आयु में प्रकाशित हुई थी। टैगोर का जन्म कलकत्ता के एक सुप्रसिद्ध और प्रभावशाली टैगोर परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की, जो उनके परिवार के बौद्धिक वातावरण से प्रभावित थी। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन सहित कई स्कूलों में पढ़ने के बावजूद, उन्होंने औपचारिक स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की। उन्होंने स्व-निर्देशित शिक्षा को प्राथमिकता दी और उपनिषदों जैसे भारतीय शास्त्रीय साहित्य और पश्चिमी साहित्य, विशेष रूप से शेक्सपियर से गहराई से प्रभावित थे।

Rabindranath Tagore Awards
टैगोर संभवतः दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों का राष्ट्रगान बनाया गया है। उन्हें उनकी रचना 'गीतांजलि' के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। उन्होंने दो हज़ार से ज़्यादा गीतों की रचना की। टैगोर ने लगभग 2,230 गीतों की रचना की। रवींद्र संगीत बंगाली संस्कृति का अभिन्न अंग है।

रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
- यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद कर दोगे तो सच अपने आप बाहर बंद हो जाएगा.
- जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय है.
- विश्वविद्यालय महापुरुषों के निर्माण के कारखाने हैं और अध्यापक उन्हें बनाने वाले कारीगर हैं.
- संगीत दो आत्माओं के बीच अनंत भरता है.
- तथ्य कई हैं, लेकिन सच एक ही है.
- आप समुद्र के किनारे खड़े होकर और उसके जल को घूरकर पार नहीं कर सकते हैं.
- जो लोग अच्छाई करने में स्वयं को ज्यादा व्यस्त रखते हैं, वह स्वंय को अच्छा बनने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं.
- आस्था वो पक्षी है जो भोर के अँधेरे में भी उजाले को महसूस करता है.
- जब हम विनम्र होते हैं तो तब हम महानता के सबसे नजदीक होते हैं.
- कलाकार खुद को कला में उजागर करता है कलाकृति को नहीं.
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