'पहली से पांचवी तक हिंदी भाषा पढ़ा कर दिखाएं...', CM Fadnavis को Raj Thackeray ने दी चुनौती
Raj Thackeray: महाराष्ट्र में मराठी भाषा विवाद के बीच देवेंद्र Fadnavis सरकार के फैसले पर मनसे चीफ राज ठाकरे ने आपत्ति जताई है. राज्य सरकार ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 2025-26 से राज्य के मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी. इस फैसले को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शालेय पाठ्यक्रम आराखड़ा 2024 के अनुसार महाराष्ट्र में पहली कक्षा से ही हिंदी अनिवार्य कर दी गई है. उन्होंने साफ कहा कि "MNS इस ज़बरदस्ती को कभी स्वीकार नहीं करेगी."
'हिंदी, राष्ट्रभाषा नहीं है'
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि हिंदी, देश की एक राज्यभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं. ऐसे में उसे महाराष्ट्र में क्यों अनिवार्य किया जा रहा है? उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश में राज्यों का गठन भाषाई आधार पर हुआ है, तो फिर किसी अन्य राज्य की भाषा को यहां थोपने का प्रयास क्यों? (Raj Thackeray)
'त्रिभाषा फॉर्मूला शिक्षा पर न थोपें'
राज ठाकरे का मानना है कि जो त्रिभाषा नीति है, वह केवल सरकारी कामकाज तक सीमित रहनी चाहिए, न कि स्कूली शिक्षा पर थोपी जाए. उनका कहना है कि हर भाषा की अपनी गरिमा होती है, और जिस राज्य की भाषा है, उस भाषा का उसी राज्य में सम्मान होना चाहिए. (Fadnavis)
'मराठी व्यक्ति दूसरे राज्य में भी भाषा का सम्मान करे'
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि जब कोई मराठी व्यक्ति किसी अन्य राज्य में जाता है, तो वह वहां की भाषा का सम्मान करता है. उसी तरह महाराष्ट्र में भी मराठी भाषा को प्रमुखता मिलनी चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ और हिंदी को ऊपर रखा गया, तो यह संघर्ष को जन्म देगा.
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'सरकार का इरादा संघर्ष पैदा करने का है'
Raj Thackeray ने आशंका जताई कि सरकार जानबूझकर इस मुद्दे को उभार रही है ताकि चुनावी (Fadnavis) फायदा मिल सके. उन्होंने कहा कि शायद सरकार मराठी बनाम गैर-मराठी विवाद खड़ा करना चाहती है. साथ ही गैर-मराठी लोगों से भी अपील की कि वे सरकार की इस राजनीति को समझें. वहीं राज ठाकरे ने अंत में कहा, "हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं हैं." यदि महाराष्ट्र में जबरन हिंदी थोपने की कोशिश की गई, तो उसका विरोध जरूरी होगा. (Fadnavis)