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Rajasthan: गहलोत सरकार ने परिसंपत्तियों की ‘जिओ टैगिंग’ कर मैप से जोड़ने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने राज्य के विभिन्न विभागों और उपक्रमों की परिसंपत्तियों, योजनाओं एवं कार्यों की भौगोलिक सूचना प्रणाली के माध्यम से ‘जिओ टैगिंग’ (Geo tagging) कर उन्हें मैप से जोड़ने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।

08:29 PM Oct 18, 2022 IST | Desk Team

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने राज्य के विभिन्न विभागों और उपक्रमों की परिसंपत्तियों, योजनाओं एवं कार्यों की भौगोलिक सूचना प्रणाली के माध्यम से ‘जिओ टैगिंग’ (Geo tagging) कर उन्हें मैप से जोड़ने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने राज्य के विभिन्न विभागों और उपक्रमों की परिसंपत्तियों, योजनाओं एवं कार्यों की भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System) के माध्यम से ‘जिओ टैगिंग’ (Geo tagging) कर उन्हें मैप से जोड़ने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।
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अशोक गहलोत की इस स्वीकृति से अब राज्यव्यापी GIS  प्रणाली के माध्यम से सभी विभाग अपनी परिसंपत्तियों, सुविधाओं, योजनाओं व कार्यक्रमों का भू-स्थानिक डाटा GIS आधारित मंच से जोड़ सकेंगे। इससे संसाधन संग्रहण तथा वितरण, विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के नीति नियोजन के संबंध में फैसला लेने और उनके निरीक्षण में आसानी होगी।एक सरकारी बयान के मुताबिक  इसके लिए  प्रारंभ में 153.80 करोड़ रूपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है।
महामारी के दौरान संसाधनों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा
GIS एक ऐसी प्रणाली है जिसे पृथ्वी की सतह पर भौगोलिक स्थितियों के संबंध में डाटा एकत्रित करने, संशोधन करने, संग्रहित करने और विश्लेषण करने के लिए बनाया गया है। साथ ही, इस प्रणाली से डाटा प्रबंधित करने तथा प्रस्तुत करने का काम  भी किया जा सकता है।इससे विभिन्न विभागीय योजनाओं तथा कार्यों के भू-चिन्हित सर्वेक्षण से क्षेत्रीय स्तर पर सेवा प्रदायगी बेहतर हो सकेगी। महामारी या आपदा के दौरान संसाधनों का बेहतर प्रबंधन भी इस प्रणाली के माध्यम से हो सकेगा। साथ ही, राज्य के सभी राजकीय भवन एक ही मैप पर उपलब्ध होंगे तथा आमजन के लिए इन भवनों तक पहुंचना आसान हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि जिओ-टैगिंग (Geo tagging) के अंतर्गत एक मोबाइल ऐप विकसित किया गया है। विभिन्न विभागों जैसे महिला एवं बाल विकास विभाग, भू-जल विभाग, पीएचईडी,  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आदि द्वारा ऐप का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
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