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राजस्थानः राज्यपाल ने जोधा-अकबर विवाह को बताया झूठा दावा

राज्यपाल ने जोधा-अकबर विवाह को बताया ऐतिहासिक मिथक

04:29 AM May 29, 2025 IST | Aishwarya Raj

राज्यपाल ने जोधा-अकबर विवाह को बताया ऐतिहासिक मिथक

राजस्थानः राज्यपाल ने जोधा अकबर विवाह को बताया झूठा दावा

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने महाराणा प्रताप की जयंती पर उदयपुर में आयोजित संगोष्ठी में कहा कि अकबर और जोधा के विवाह की कहानी ऐतिहासिक तथ्य नहीं है। उन्होंने दावा किया कि राजा भारमल ने अकबर का विवाह एक दासी की बेटी से कराया था, न कि अपनी राजकुमारी जोधा से।

महाराणा प्रताप की जयंती के उपलक्ष्य में बुधवार को उदयपुर स्थित प्रताप गौरव केंद्र में आयोजित संगोष्ठी में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने ऐतिहासिक तथ्यों पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अकबर और आमेर की राजकुमारी जोधा के विवाह की कथा ऐतिहासिक रूप से झूठ है। बागडे ने दावा किया कि राजा भारमल ने अकबर का विवाह एक दासी की बेटी से कराया था, न कि अपनी राजकुमारी से। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का प्रारंभिक इतिहास विदेशियों द्वारा लिखा गया, जिसमें कई तथ्य तोड़-मरोड़कर पेश किए गए। उन्होंने बताया कि अकबर की आत्मकथा “अकबरनामा” में भी अकबर और आमेर की राजकुमारी के विवाह का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा, “मैंने सुना है, लेकिन स्वयं पढ़ा नहीं है, पर यह बात स्पष्ट है कि इतिहास में कई भ्रांतियां फैलाई गई हैं।”

महाराणा प्रताप के योगदान को किया नजरअंदाज

राज्यपाल बागडे ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में अकबर के बारे में अधिक और महाराणा प्रताप के बारे में बहुत कम पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा, “महाराणा प्रताप ने अपने आत्मसम्मान से कभी समझौता नहीं किया। पर दुर्भाग्यवश हमारे बच्चे आज उनके योगदान से अनभिज्ञ हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस असंतुलन को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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अकबर को संधि प्रस्ताव भेजने की बात भी गलत

राज्यपाल ने इस बात का भी खंडन किया कि महाराणा प्रताप ने अकबर को कभी संधि का प्रस्ताव भेजा था। उन्होंने इसे पूर्ण रूप से भ्रामक बताया और कहा कि यह इतिहास की एक और गलत व्याख्या है। राज्यपाल ने भारत-पाक सीमा पर बसे गांवों के लोगों की बहादुरी की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब सीमा पर गोलियां चलती हैं, तब यही ग्रामीण “भारत माता की जय” के नारे लगाकर सैनिकों का हौसला बढ़ाते हैं। उन्होंने इन लोगों को “असली भारत” की संज्ञा दी।

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