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राजनाथ की ‘खरी-खरी’

श्री राजनाथ सिंह ने यह कह कर पाकिस्तान को सावधान किया है कि वह अब जो भी

04:34 AM Jun 01, 2025 IST | Aditya Chopra

श्री राजनाथ सिंह ने यह कह कर पाकिस्तान को सावधान किया है कि वह अब जो भी

राजनाथ की ‘खरी खरी’

श्री राजनाथ सिंह ने यह कह कर पाकिस्तान को सावधान किया है कि वह अब जो भी आतंकवादी कार्रवाई करने की जुर्रत करेगा उसे भारत युद्ध की कार्रवाई ही समझेगा और माकूल जवाब देगा। अतः पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री शाहबाज शरीफ जो भारत से बातचीत की रट लगाये हुए हैं, उन्हें समझना होगा कि भारत अब आतंकवाद को किसी भी रूप में नहीं सहेगा इसलिए पहले उन्हें अपनी फौज के सरपराह फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को ही यह समझाना होगा कि उनकी फौज आतंकवादियों को पालने-पोसने की आदत छोड़े। क्योंकि पाकिस्तान की हालत अब एेसी हो गई है कि आतंकवादी और फौजी में फर्क करना मुश्किल हो गया है। जिस देश की फौज आतंकवादियों के जनाजे में शामिल होकर उन्हें सलामी ठोकती हो उसके बारे में और क्या कहा जा सकता है। विगत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी कांड का जवाब भारत ने आॅपरेशन सिन्दूर की मार्फत दिया है जो अभी खत्म नहीं हुआ है।

वैसे 1999 में जब केन्द्र में भाजपा नीत एनडीए वाजपेयी सरकार थी तो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ ने भारत को वचन दिया था कि पाकिस्तान अपनी धरती का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवाद पनपाने में नहीं होने देगा। उस वर्ष प्रधानमन्त्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर गये थे। दोनों देशों के बीच हुए इस अहद को लाहौर घोषणापत्र के नाम से जाना जाता है। इसमें शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व का समझौता किया गया था। मगर पाकिस्तान में इसी वर्ष सत्ता पलट हो गया और हुकूमत पर पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ ने कब्जा कर लिया और इसके बाद दोनों देशों के बीच कारगिल युद्ध हुआ। कारगिल संघर्ष के बाद मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी बन गये। राष्ट्रपति बनने के बाद मुशर्रफ ने पहली विदेश यात्रा भारत की ही की मगर यहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि भारत ने साफ कह दिया कि वार्तालाप होगी तो केवल आतंकवाद पर ही होगी। इसके बाद पाकिस्तान से आये आतंकवादी भारत में कई कांडों में शामिल रहे और नवम्बर 2008 में तो उन्होंने सारी सीमाएं लांघ दीं और मुम्बई में 166 नागरिकों का कत्लेआम किया। तब केन्द्र में डा. मनमोहन सिंह की सरकार थी। मगर इसके सात महीने बाद ही स्व. मनमोहन सिंह ने अचानक भारत के रुख में परिवर्तन किया और मिस्र के शर्म अल शेख शहर में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ बातचीत की और संयुक्त विज्ञप्ति जारी की जिसमें आतंकवाद को एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बताया गया और इसका शिकार खुद पाकिस्तान को भी कहा गया। इस विज्ञप्ति में पाकिस्तान के प्रान्त बलूचिस्तान का भी जिक्र किया गया जहां पाक विरोधी हिंसा होती रहती थी। भारत ने यहां की हिंसा की जांच कराने की मांग भी स्वीकार कर ली। भारत के रुख में यह गुणात्मक परिवर्तन था क्योंकि इससे पहले भारत ने कभी यह स्वीकार नहीं किया था कि बलूचिस्तान में भारत की किसी भी प्रकार की भूमिका है। तब पाकिस्तान में पीपुल्स पार्टी की सरकार थी जिसके नेता आजकल बिलावल भुट्टो हैं। मगर यह 2025 का भारत है और केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार है जिसका पाकिस्तान के बारे में सख्त रवैया पूरी दुनिया को मालूम है। अतः श्री राजनाथ सिंह जो कह रहे हैं वह पत्थर की लकीर है और पाकिस्तान के चेतने के लिए काफी है। मोदी सरकार पाक की आतंकवादी हरकतों का जवाब उसके घर में घुसकर एक बार नहीं बल्कि तीन बार दे चुकी है। पाकिस्तान सरीखे आतंकवादी मुल्क के लिए रक्षामन्त्री का यह कहना काफी है कि इस बार यदि पाकिस्तान भारत में कोई आतंकवादी घटना करता है तो भारतीय नौ सेना अपने शौर्य का प्रदर्शन कर सकती है और इस मुल्क को दो नहीं बल्कि चार टुकड़ों में बांट सकती है क्योंकि भारतीय नौसेना जब 1971 के बंगलादेश युद्ध के दौरान हरकत में आयी थी तो पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया था।

रक्षामन्त्री श्री राजनाथ सिंह ने यह कहकर भारत का रुख साफ कर दिया है कि पाकिस्तान यदि भारत से वार्ता चाहता है तो उसे सबसे पहले हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी सरगनाओं को भारत को सौंपना होगा जिससे उन्हें कानून के दरवाजे तक ले जाया जा सके। हाफिज सईद मुम्बई में 26 नवम्बर, 2008 को हुई कत्लोगारत का मुखिया साजिशकार है और आतंकवादी संगठन लश्करे तैयबा का सरपरस्त रहा है। जिसका नाम बदल कर अब ‘जमात-उद-दावा’ कर दिया गया है जबकि ‘मसूद अजहर’ जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है। रक्षामन्त्री के इस कथन का मन्तव्य यह है कि भारत पाकिस्तान से तभी बात कर सकता है जब वह पहले आतंकवाद छोड़ने के लिए राजी हो और अपनी सरजमीं का इस्तेमाल इसके लिए न होने देने की कसम उठाये। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी है कि यदि उसने अपने यहां आतंकवादियों को फलने-फूलने की इजाजत दी तो एक दिन वह खुद ही बरबाद हो जायेगा। राजनाथ सिंह बहुत नाप-तोल कर बोलने वाले नेता माने जाते हैं अतः उनके कथन को पाकिस्तान को बहुत गंभीरता से लेना होगा और सोचना होगा कि बिना आतंकवाद छोड़े वह भारत को बातचीत के लिए राजी नहीं कर सकता। साथ ही उसे अपने कब्जे वाले कश्मीर के बारे में भी बातचीत करनी होगी जिस पर 1947 से ही उसने अवैध कब्जा किया हुआ है।

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Aditya Chopra

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