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मॉरीशस में तीसरी बार रामगुलाम

भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत और मॉरीशस के संबंध स्थापित हुए थे, तब वो रिश्ता एक उपनिवेश का दूसरे उपनिवेश से था।

10:30 AM Nov 13, 2024 IST | Aditya Chopra

भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत और मॉरीशस के संबंध स्थापित हुए थे, तब वो रिश्ता एक उपनिवेश का दूसरे उपनिवेश से था।

मॉरीशस में तीसरी बार रामगुलाम
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भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत और मॉरीशस के संबंध स्थापित हुए थे, तब वो रिश्ता एक उपनिवेश का दूसरे उपनिवेश से था। मॉरीशस में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर भारतीय मजदूरों को ले गए जिन्हें गिरमिटिया कहा जाता था। गिरमिटिया का अर्थ एक तरह से गुलाम मजदूर ही था। सन् 1800 में बिहार के भोजपुर जिले का एक परिवार गिरमिटिया मजदूर बनकर मॉरीशस गया था आैर वह वहां की मिट्टी में ऐसा घुलमिल गया कि उस परिवार का बेटा तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बन गया है। गिरमिटिया लोगों की मेहनत ने न केवल मॉरीशस की सूरत बदल दी बल्कि भारत के साथ भावनात्मक रिश्तों की नींव भी डाली। मॉरीशस में हुए संसदीय चुनावों में नवीन रामगुलाम ने प्रचंड जीत हासिल की है और उनकी पार्टी ने मौजूदा प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ को करारी हार दी है। मॉरीशस संसद की 70 सीटें हैं, जिनमें से 62 पर चुनाव हुए। रामगुलाम की लेबर पार्टी के एलायंस टू चेंजमैंट को 60 सीटों पर विजय हासिल हुई। प्रविंद जुगनाथ की पार्टी को कोई सीट नहीं मिली। एक अन्य पार्टी ओआरपी को दो सीटें मिली हैं।

चुनावों से एक महीना पहले मॉरीशस में सोशल मीडिया पर कुछ ऑडियो टेप वायरल हुए थे, जिनमें सरकार पर भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लगाए गए थे। इससे सारा चुनावी माहौल ही बदल गया था। हालांकि प्रविंद जुगनाथ भी ऐसे परिवार से आते हैं जिसने 1968 में ब्रिटेन से आजादी के बाद मॉरीशस की सियासत में अपना दबदबा कायम किया था। नवीन रामगुलाम शिवसागर राम गुलाम के बेटे हैं जिन्होंने मॉरीशस को आजादी ​िदलाई थी। भारत ने मॉरीशस से उसकी आजादी से पहले ही बेहतर संबंध बनाए रखे हैं। इसका महत्वपूर्ण कारण वहां पर भारतीय मूल के लोगों की आबादी का वर्चस्व है। लगभग 12 लाख की आबादी में 70 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं। मॉरीशस ऐसा देश है जहां सत्ता परिवर्तन ने भारत के लिए कोई चिंता पैदा नहीं की है।

नवीन रामगुलाम भारत समर्थक हैं और पड़ोसी देशों में मॉरीशस ही बचा है, भारत के जिसके साथ काफी अच्छे संबंध हैं। देश की दोनों ही पार्टियां भारत समर्थक हैं और मौजूदा प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ भी भारत के दोस्त ही हैं। पिछले दिनों वह अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने आए थे। भारत के लिए इस बार मालदीव और श्रीलंका के विपरीत, विपक्ष के सत्ता में आने पर दृष्टिकोण में बदलाव को लेकर बहुत अधिक चिंता नहीं है। पिछले साल भारत के दो समुद्री पड़ोसियों, श्रीलंका और मालदीव ने नए नेताओं का चुनाव किया। कोलंबो में वामपंथी अनुरा कुमारा दिसानायके और माले में ‘चीन समर्थक’ मोहम्मद मुइज्जू। मालदीव के साथ तनाव के बाद अब धीरे-धीरे संबंध सुधरे हैं, वहीं श्रीलंका के साथ संबंध स्थिर बने हुए हैं, हालांकि अडानी अक्षय ऊर्जा परियोजना का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।

भारत ने हमेशा मॉरीशस की हर सम्भव सहायता की। दोनों देशों के करीबी संबंधों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मॉरीशस सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नई दिल्ली द्वारा नामित एक सेवा निवृत्त भारतीय सुरक्षा अधिकारी रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने गम्भीर रूप से बीमार राम गुलाम को दिल्ली के एम्स ले जाने के लिए मॉरीशस में विमान ​किराये पर लिया था। नवीन रामगुलाम यह कहते हैं कि भारत ने उनकी जान बचाई है। मॉरीशस में रह रहे भारतीय बड़े गर्व से यह कहते हैं कि उनके पूर्वज भारत से आए थे।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता से वे आज भी जुुड़े हुए हैं। हिन्दी भाषा के प्रति उनमें सम्मान है और वह हिन्दी से प्यार करते हैं। मॉरीशस के मंदिरों में शिव, राम-सीता, राधा-कृष्ण, की प्रतिमाएं स्थापित हैं। पहाड़ी की चोटी पर गंगा तालाब है और उसके किनारे मां गंगा की प्रतिमा स्थापित है। मॉरीशस के चारों और भारत की झलक दिखाई देती है। मॉरीशस के साथ भारत के संबंधों की नए दौर की शुरूआत 1970 के दशक में हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने मॉरीशस का दौरा किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी मॉरीशस की यात्रा की थी।

मुक्त अर्थव्यवस्था के दौर में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बेहतर हो गए। 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मॉरीशस का दौरा कया था तब से दोनों देश विकास की राह पर हैं। चागोस द्वीप समूह का कब्जा लेने के मुद्दे पर भी भारत ने मॉरीशस का समर्थन ​किया था। आज भारत और मॉरीशस व्यापारिक साझेदार बनकर उभरे हैं। दोनों देशों के गहरे संबंधों ने समुद्री सुरक्षा विकास साझेदारी क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता के क्षेत्र में सुगम रास्ते बनाए हैं। तेजी से बदलती भू-राजनीति में भारत ने मॉरीशस को विशेष आर्थिक पैकेज दिए और वहां अस्पताल, आवास परियोजना और कई अन्य परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हिन्द महासागर क्षेत्र में खतरे कोे देखते हुए दोनों देश चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक साथ खड़े हैं। भारत को गर्व है कि बिहार का बेटा आज मॉरीशस का प्रधानमंत्री बना है।

आदित्य नारायण चोपड़ा

Adityachopra@punjabkesari.com

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