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देश के लिए जिये ‘रतन’

04:00 AM Oct 11, 2024 IST | Aditya Chopra
देश के लिए जिये ‘रतन’

जाने-माने उद्योगपति टाटा ग्रुप के मुखिया रतन टाटा के निधन के साथ ही एक ऐसे युग का समापन हो गया जाे युग स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारत में शुरू हुआ था। टाटा समूह एक ऐसा घराना रहा जिसने आजादी से पहले ही भारत के विकास की नींव रखी और आजादी के बाद इस समूह ने विकास और व्यापार को पंख लगा दिए। टाटा समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ और इस ग्रुप को ऊंचाई तक ले जाने में रतन टाटा की सबसे बड़ी भूमिका रही। घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाले नमक से लेकर आसमान की बुलंदियों पर उड़ने वाले हवाई जहाज तक का सफर तय किया। रतन टाटा का जीवन और जीवन यात्रा का तरीका पूरी दुनिया में साकारात्मक प्रभाव डालता है और व्यापारिक घरानों को मूल्यवान सबक प्रदान करता है। यह सबक न केवल बड़े उद्योगपतियों के लिए प्रासंगिक है, बल्कि ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद है जो दुनिया में कुछ कर दिखाने की क्षमता रखते हैं। एक प्रमुख बिजनेस टाइकून ने जिन मूल्यों और नीतियों के साथ जीवन जीया वह भी सभी के लिए प्रेरणादायक है। रतन टाटा ने अपनी जिन्दगी में बहुत सारी उपलब्धियां हासिल कीं और उन उपलब्धियों को शब्दों में​ लिख पाना शायद सम्भव नहीं है। वे न केवल एक सफल व्यवसायी बल्कि एक शानदार व्यक्तित्व, दानवीर और लाखों लोगों के लिए आशाओं के प्रतीक बन गए थे। वे देशवासियों के लिए आदर्श के रूप में स्थापित हुए। उनके असाधारण कौशल ने देशभर की पीढ़ियों को प्रेरित ​किया। अपनी विनम्रता, दयालुता व साधारण आैर सादगीपूर्ण जीवनशैली के चलते उन्होंने भारत में अपनी प्रतिष्ठा हासिल की। रतन टाटा ने 1962 में टाटा ग्रुप ज्वाइन कर लिया था। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर प्रगति की। 1991 में उन्हें टाटा ग्रुप की होल्डिंग कम्पनी टाटा सन्स का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। उनके पिता नवल टाटा ने उन्हें पारिवारिक बिजनेस की बागडोर सौंप दी थी।
टाटा का प्रोडक्ट आज देश के घर-घर में इस्तेमाल हो रहा है। चाहे अपर क्लास हो या लोवर या मिडिल क्लास। रतन टाटा का टाटा ग्रुप सबके लिए कोई न कोई प्रोडक्ट लेकर आया। इस तरह रतन टाटा की कंपनी ने नमक से लेकर स्टील प्लांट, नैनो कार और एयरलाइंस जैसे कई प्रोडक्ट उन्होंने देश को दिए हैं। साल 1983 में देश में पहली बार लाया गया आयोडीन वाला टाटा नमक का पैकेट आज हर घर में अपनी जगह बना चुका है। साल 2008 में रतन टाटा की कंपनी ने दुनिया की सबसे सस्ती कार 'नैनो कार' को लॉन्च किया। महज एक लाख रुपए की ये कार आम आदमी के बजट की थी और लोगों ने काफी पसंद किया। इस कार के जरिये रतन टाटा ने हर आम आदमी का सपना पूरा कर दिया। हालांकि, कम बिक्री के कारण कंपनी ने 2018 में इसका उत्पादन बंद कर दिया। टाटा ग्रुप कई दिग्गज ब्रांड्स का मालिक है। टाटा ग्रुप के प्रमुख ब्रांड्स में एयर इंडिया, टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा नमक, टाटा चाय, जगुआर लैंड रोवर, टाइटन, फास्ट्रैक, तनिष्क, स्टारबक्स, वोल्टास, ज़ारा, वेस्टसाइड, कल्टफिट, टाटा एआईजी, टाटा एआईए लाइफ, टाटा प्ले, टाटा वनएमजी और टाटा कैपिटल जैसे नाम शामिल हैं।
रतन टाटा अकेले ऐसे व्यवसायी थे जो अपना बैग और फाइलें खुद उठाकर चलते थे। उन्हें वक्त की पाबंदी के लिए भी जाना जाता रहा है। वे अत्यंत गहराइयों वाले शख्स थे जिन्होंने भारत की गरीबी का अध्ययन किया था। उनके दौर के उद्योगपतियों और पत्रकारों का कहना है कि उनका जीवन सादगी भरा रहा। वर्तमान में भारतीय अरबपतियों की तुलना में रतन टाटा की जीवनशैली बहुत नियंत्रित और दिखावे से कहीं दूर थी। रतन टाटा ने समाज में परोपकारी योगदान देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने सर दोराब जी टाटा ट्रस्ट की स्थापना की। उन्होंने अर्जित प्रोफिट में से 65 प्रतिशत को धर्माथ उद्देश्यों के लिए दान किया। शिक्षा के क्षेत्र में भी रतन टाटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
रतन टाटा ने टाटा समूह के संस्थापक जमसेतजी टाटा की विरासत को आगे बढ़ाया। उच्च शिक्षा के लिए जेएन टाटा एंडोमेंट भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करता है। टाटा ट्रस्ट शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों को संबोधित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें सीमांत समुदायों से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान दिया गया है। उनका उद्देश्य महत्वपूर्ण विचार, समस्या-समाधान, सहयोगी शिक्षण और प्रौद्योगिकी के प्रयोग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण अनुभव प्रदान करना है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में टाटा समूह के व्यापार और उद्योग ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रतन टाटा काे राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के ​लिए पद्म विभूषण आैर पद्म भूषण सहित अनेक सम्मानों से नवाजा गया। एक दूरदर्शी व्यक्ति दयालुु आत्मा और बेहतरीन इंसान के तौर पर रतन टाटा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज भी भारतीय ट्रक चालक अपने वाहनों के पीछे ओके टाटा ​िलखवाते हैं ताकि यह पता चल सके कि यह ट्रक टाटा का है। टाटा के ब्रांडों पर आज भी देशवासियों का भरोसा है। अब तो दुनिया टीसीएस सॉफ्टवेयर कम्पनी पर अटूट भरोसा करने लगी है। वास्तव में राष्ट्र निर्माण के लिए जिये रतन टाटा। देश के रतन को पंजाब केसरी परिवार श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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