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पढ़े, हुनरमंद बनें और काम करना सीखें : नीतीश कुमार

पुलिस अधीक्षक उपेंद, शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, वरीय अधिकारी, महाविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय लोग उपस्थित थे।

09:57 PM Dec 16, 2018 IST | Desk Team

पुलिस अधीक्षक उपेंद, शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, वरीय अधिकारी, महाविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय लोग उपस्थित थे।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के युवाओं से पढ़ने, हुनरमंद बनने और काम करना सीखने की अपील करते हुये आज कहा कि यदि वे ऐसा करें तो उनका भविष्य उज्ज्वल होगा। श्री कुमार ने पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि में महावीर रामेश्वर इंटर कॉलेज में स्व। रामेश्वर प्रसाद एवं स्व।

महावीर प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि प्रतिशत के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा युवा भारत में हैं और भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो सबसे अधिक युवा बिहार में हैं। इसलिए, युवाओं से विशेष तौर पर अपील है कि पढें, हुनरमंद बनें और काम करना सीखें, इससे उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजय के हर जिले में जीएनएम संस्थान, पारा मेडिकल संस्थान, पॉलिटेक्निक कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), प्रत्येक अनुमंडल में एएनएम स्कूल, आईटीआई की स्थापना की जा रही है। साथ ही पांच नए मेडिकल कॉलेज और उनमें नर्सिंग कॉलेज की भी स्थापना की जा रही है।

इन संस्थानों के लिए जमीन उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के कई राज्यों में बिहार के छात्रों के बल पर ही संस्थान चलता था लेकिन अब बिहार में संस्थानों के खुलने से दक्षिण भारत के संस्थान बंद होने के कगार पर हैं। श्री कुमार ने कहा कि रोजगार की तलाश में लगे युवाओं को दो साल तक प्रत्येक माह एक हजार रुपये की मदद स्वयं सहायता भत्ता के जरिये दी जा रही है।

कुशल युवा कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को 240 घंटे का नि:शुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण के साथ-साथ व्यवहार कौशल और संवाद कौशल का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा उद्यमिता का भाव रखने वाले युवाओं को सहायता प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड की भी व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर 2005 में उनकी सरकार बनी, उसी समय से ही शिक्षा के विकास के लिए अनेक कदम उठाये। आंकलन कराया गया तो पता चला कि 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर हैं, जिसे देखते हुए 22 हजार नए स्कूलों की स्थापना करायी गयी। पुराने स्कूलों में नए क्लास रूम के निर्माण के साथ ही तीन लाख से अधिक शिक्षकों का नियोजन किया गया। इसके बाद पुन: आंकलन कराया तो पता चला कि सबसे अधिक महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि महादलित के बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए टोला सेवक तथा तालिमी मरकज बनाकर अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को विद्यालय पहुंचाया गया, जिसका नतीजा हुआ कि अब एक प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। यह सिलसिला निरंतर चल रहा है।

श्री कुमार ने कहा कि गरीबी के कारण माता-पिता बेटियों को प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद छठी कक्षा में नहीं भेजते थे क्योंकि वे अपने बच्चियों के लिए अच्छा कपड़ खरीदने में अक्षम थे, जिसे देखते हुए मध्य विद्यालय में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए बालिका पोशाक योजना शुरू की गई। इसके बाद सोचा कि सिर्फ आठवीं कक्षा तक लड़कियों के पढ़ने से काम नहीं चलेगा। कम से कम उन्हें मैट्रिक तक की पढ़ई ग्रहण करनी चाहिए। इसके लिए सरकार ने नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में साइकिल योजना शुरू की गई। उस समय नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या एक लाख 70 हजार से भी कम थी, जो अब बढ़कर नौ लाख के करीब पहुंच गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लड़कियों का सशक्तिकरण हुआ और उनके अरमानों को पंख लग गये। उसके बाद जगह-जगह से छात्रों ने भी मांग शुरू की, जिसको देखते हुए लड़कों को भी साइकिल योजना का लाभ दिया जाने लगा। उन्होंने कहा कि अब तो मध्य विद्यालय में कहीं-कहीं लड़कियों की संख्या लड़कों से भी ज्यादा है और उच्च विद्यालय में लड़कों के बराबर लड़कियों की संख्या है। उन्होंने कहा कि इंटर के बाद आगे की पढ़ई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बिहार में काफी कम थी, जिसके कारण बिहार का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 13.9 प्रतिशत था जबकि देश का औसत 24 प्रतिशत है। बिहार ज्ञान की भूमि रही है इसलिए उनकी सरकार ने जीईआर को राष्ट्रीय औसत से भी आगे 30 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है।

श्री कुमार ने कहा कि इसके लिए सरकार ने सात निश्चय योजना की शुरुआत कर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से इंटर से आगे की पढ़ई करने वाले विद्यार्थियों के लिए चार लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण का प्रावधान कराया। अक्टूबर 2016 में प्रत्येक जिले में डीआरसीसी की स्थापना की गई। बैंकों के ढुलमुल रवैये के कारण बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम बनाकर चार प्रतिशत के साधारण ब्याज पर शिक्षा ऋण मुहैया कराया जा रहा है ताकि उच्च शिक्षा की ओर अधिक से अधिक बच्चे आकर्षित हो सके।

इसमें लड़कियों, दिव्यांगों एवं ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को एक प्रतिशत ब्याज पर शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वित्त निगम के प्रति युवाओं का आकर्षण बढ़ है, जिसका नतीजा है कि तीन से चार महीने के अंदर 25 हजार आवेदकों को इसका लाभ दिया जा चुका है जबकि बैंकों से डेढ़ साल में मात्र नौ हजार आवेदकों को इसका लाभ मिला था। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से मिलने वाली ऋण को 82 किश्तों में भुगतान करना है और यदि उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में उनका ऋण भी माफ किया जाएगा।

समारोह को मोतिहारी जिले के प्रभारी एवं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा, पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह, पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद कुशवाहा, भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेन्द, गुप्ता एवं विन्देश्वरी प्रसाद यादव ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर विधायक श्याम बाबू यादव, विधायक राजू तिवारी, विधायक सचीन्द, प्रसाद सिंह, विधान पार्षद, सतीश कुमार, विधान पार्षद, राजेश गुप्ता उर्फ बबलू, विधान पार्षद, खालिद अनवर, जनता दल यूनाईटेड के जिला अध्यक्ष भुवन पटेल, राज्य खाद्य निगम के सदस्य नंदकिशोर कुशवाहा, निदेशक सूचना एवं जन-संपर्क विभाग अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, आयुक्त तिरहुत प्रमंडल नर्मदेश्वर लाल, पुलिस महानिरीक्षक सुनील कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक ललन मोहन प्रसाद, जिलाधिकारी रमण कुमार, पुलिस अधीक्षक उपेंद, शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, वरीय अधिकारी, महाविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय लोग उपस्थित थे।

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