W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

दैनिक समाचार पत्रों को पढ़ना ही लोगों की पसंद

04:45 AM Sep 21, 2025 IST | Kiran Chopra
दैनिक समाचार पत्रों को पढ़ना ही लोगों की पसंद
पंजाब केसरी की डायरेक्टर व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा
Advertisement

पिछले साल की बात है हांगकांग से मेरे सहपाठी का मुझे फोन आया कि किरण मुझे पंजाब केसरी चाहिए तो मैंने उसे कहा कि रोज भेजना महंगा पड़ेगा तो तुम ई-पेपर पढ़ लिया करो, उसका जवाब था कि जो आनंद अखबार को पढ़कर आता है वो ई-पेपर में नहीं, न किसी सोशल ​मीडिया पर। ऐसे ही लंदन से मेरे जानने वालों का फोन था कि क्या उन्हें अखबार रोज मिल सकता है। क्योंकि सोशल मीडिया पर बड़ी उटपटांग खबरें दिखती हैं, जो मालूम ही नहीं पड़ता सच है या झूठ। समझ आ रहा था कि कहीं के भी निवासी हों वो अखबार पढ़ना पसंद करते हैं। सोशल मीडिया देखकर एक महिला गलत सेहत के नुस्खों का पालन करते आईसीयू में पहुंच गई। ऐसे बहुत से किस्से हैं जो सोशल मीडिया के हत्थे चढ़ रहे हैं।
इस बार ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन (एबीसी) ने जनवरी-जून 2025 की ऑडिट अवधि के लिए प्रमाणित प्रसार संख्याएं जारी कीं। एबीसी के महासचिव ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि दैनिक समाचार पत्रों के प्रसार से अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है, जो प्रिंट मीडिया उद्योग के लिए एक स्वस्थ वृद्धि को दर्शाता है। अखबारों की प्रसार संख्या आए दिन बढ़ रही है, क्योंकि आज सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें ज्यादा हैं इसलिए लोग भरोसेमंद खबरों के लिए अखबार पढ़ना अधिक पसंद करते हैं। यही नहीं अखबार में समाचार पूरी जानकारी और विश्लेषण के साथ मिलता है। सिर्फ हेडलाइन नहीं। अखबार राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक खबरें देने के साथ शहर और मौहल्ले की खबरें भी देता है जो ऑनलाइन नहीं मिलतीं। यही नहीं अखबार पढ़ने से शब्दावली अच्छी होती है। रोजगार और अवसर- विज्ञापन, नौकरी और सरकारी योजनाओं की जानकारी ​िमलती है। सही और ताजी जानकारी मिलती है। सोचने-समझने की शक्ति बढ़ती है।
यह सच है कि आज की दुनिया में जिस तेजी से बदलाव हो रहा है वह पहले कभी नहीं था। जब से कंप्यूटर देश और दुनिया में सक्रिय हुआ तब से इसका प्रभाव उद्योग से जुड़ी हर गतिविधि पर देखा जा सकता है। कई बार तो लोग कह भी देते हैं कि जमाना कंप्यूटर का है और इसी कंप्यूटर से उत्पन्न सोशल मीडिया, यूट्यूब, मोबाइल, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्वीट्र के बारे में भी यही राय बन रही है। अखबारी दुनिया की अगर हम बात करें तो मेरा यह मानना है कि टेक्नोलॉजी के जमाने में अगर आज भी लोगों का भरोसा प्रिंट मीडिया पर बढ़ रहा हो और अखबारों की बिक्री में आठ लाख से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी हो तो हम गर्व से कह सकते हैं कि प्रिंट मीडिया के प्रति लोगों की विश्वसनीयता बढ़ती ही जा रही है। दरअसल सोशल मीडिया का तेजी से उभार और फिर इस पर लाखों चीजों के बारे में जानकारी चाहे वह तथ्यों पर आधारित है या नहीं, का प्रसार हो जाना सचमुच हैरान कर देने वाला था। इस दृष्टिकोण से लोगों का मीडिया के प्रति भरोसा बरकरार रहना एक सुखद एहसास है।
जनवरी से लेकर जून 2025 के बीच ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन ने देशभर के दैनिक समाचार पत्रों की बिक्री को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन छपने वाले अखबारों की औसतन बिक्री 29744148 कॉपियों तक पहुंच गयी है इससे पहले 2024 के दिसंबर तक यह आंकड़ा 28941876 था और इस प्रकार इसमें 2025 की रिपोर्ट आते-आते 3 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है जिसका मतलब यह हुआ कि 802272 कॉपियों की वृद्धि हो चुकी है। मेरा यह मानना है कि लोगों का भरोसा, उनका प्यार और उनका खुद का आत्मसम्मान अखबारों के लिए एक धरोहर बन जाता है। आज भी समाचार पत्र पूरी तरह से जांच-परख के बाद ही तथ्यों का मूल्यांकन करते हैं और फिर खबर छापते हैं। ऑडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन के आंकड़ों में और भी बहुत कुछ कहा गया है। एबीसी के मुताबिक भारत में लोग अखबार को ज्यादा विश्वसनीय मान रहे हैं और इसलिए वह यह कहते हैं कि प्रिंट मीडिया गहराई वाले कंटेंट सबके सामने प्रस्तुत करता है। इसी कंटेंट के दम पर प्रिंट मीडिया की पकड़ मजबूत हो रही है। कुल मिलाकर आज भी भारत में अखबार विश्वसनीय सूचना का स्रोत माना जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक आज भी विज्ञापनदाताओं के लिए अखबार एक मजबूत प्लेटफार्म बनकर अपना काम कर रहा है तभी तो अखबारी जगत का सर्कुलेशन बढ़ रहा है।
कितनी भी घटनाएं हुई हों, भंडाफोड़ या घोटालों की खबरें हाें या फिर राजीव हत्याकांड या किसी नेता या हस्ती की मृत्यु की न्यूज हो लोग अगले दिन का अखबार इसलिए पढ़ते हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा कंटेट तथा ज्यादा डिटेल्स चाहिए। अखबारों को लेकर पीएचडी कर रही एक युवती ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लोग एक ही खबर का रेपीटेशन नहीं चाहते, जैसा कि सोशल मीडिया कर रहा है। लोग किसी भी कटंट विषय की अतिरिक्त जानकारी के अखबार की कटिंग्स तक सम्भाल कर रखते हैं। यह प्रिंट मीडिया के प्रति लोगों की विश्वसीयता और आस्था है। सच बात तो यह है कि एक अखबार में काम करने वाले पत्रकार भी जुनून में काम करते हैं। एक टीम वर्क की तरह तभी तो समाचार पत्र हर सुबह सबकी पहली पसंद बनते हैं।
सोशल मीडिया के बारे में मैं एक और बात कहना चाहूंगी कि किसी भी जानकारी को या घटना को या इवेंट वायरल कर देना ही पत्रकारिता नहीं है। उदाहरण के तौर पर कई हादसे पिछले दिनों उत्तराखंड, कश्मीर, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा में हुए। इसकी जानकारी सोशल मीडिया ने जिस ढंग से दी उनमें कईयों ने तो वर्षों पुरानी फोटो छाप दी या वर्षों पुराने वीडियो छाप दिए। ये सब तथ्य परख नहीं था। फैक्ट चैक के माध्यम से सच्चाई सामने आ ही जाती है। सोशल मीडिया अपनी अच्छी पहुंच रखता है लेकिन विश्सनीयता के मामले में अगर इससे जुड़े लोग तथ्यों के साथ चलें और कंटेंट से छेड़छाड़ न करें तो बहुत ही अच्छा है। सोशल मीडिया से जुड़े हुए जितने भी स्वरूप हैं वे देश के मान-सम्मान और गरीमा के बारे में अवश्य सोचकर चलें क्योंकि यह तय है कि एक जानकारी अगर गलत ढंग से दी जाये और वह वायरल हो जाये तो बात बिगड़ जाती है। कितने ही लोग सोशल मीडिया पर ऐसे कंटेंट के दम पर चीजें प्रस्तुत कर देते हैं जिनका गलत असर पड़ता है। वह जीवन के किसी भी क्षेत्र से हो सकता है। सोशल मीडिया की गलत प्रस्तुतिकरण या गलत कंटेंट को लेकर अगर कोई शिकायत सामने आती है तो उसका तुरंत संज्ञान लिया जाना चाहिए और जो दोषी हो उन्हें कानून की जद में लाकर कुछ न कुछ पग जरूर उठाना चाहिए। इस कड़ी में सोशल मीडिया के तहत यूटयूबर्स ने जो किया वह किसी से छिपा नहीं है। सोशल मीडिया भी आगे बढ़े और अपनी पहचान तथ्यों के साथ बनाए तो हम इसका समाचार पत्रों की तरह ही सम्मान करेंगे जिसने अपनी पठनियता और विश्वसनीयता दोनों बढ़ाई है।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Kiran Chopra

View all posts

Advertisement
×