रेखा गुप्ता : भाजपा की सर्वस्पर्शी राजनीति का परिणाम
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने रेखा गुप्ता को कमान सौंप दी है।
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने रेखा गुप्ता को कमान सौंप दी है। रेखा गुप्ता के चयन ने एक बार फिर जहां पॉलिटिकल पंडितों को हैरान किया वहीं गुटों में बंटी दिल्ली में रेखा गुप्ता का चयन पार्टी के अनुशासन और नया नेतृत्व तैयार करने की प्रक्रिया को दर्शाता है। रेखा गुप्ता वैश्य समाज से आती हैं। भाजपा को लंबे समय तक ब्राम्हण व बनियों की पार्टी कहा जाता था, यह वर्ग हमेशा भाजपा के प्रति प्रतिबद्ध रहा है लेकिन सभी जातियों को साधने की राजनीति के दौर में इस वर्ग से बड़ा नेतृत्व खड़ा नहीं किया जा सका। ऐसे में रेखा गुप्ता का चयन भाजपा का अपने कोर वोटर की ओर लौटने के साथ सर्वस्पर्शी राजनीति का परिणाम है।
रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं, उन्होंने रामलीला मैदान में अपने पद की शपथ ग्रहण की। यह भारतीय जनता पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। क्योंकि 27 साल बाद पार्टी दिल्ली की सत्ता में वापस आई है, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी के बाद रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं। रेखा गुप्ता के चयन को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने नई पीढ़ी के नेता तैयार करने की कवायद के रूप में भी देखा जाना चाहिए। एक महिला के हाथ में राज्य की कमान दी, वहीं अब जब सत्ता में आई है तो पार्टी इस बहस को ही समाप्त करना चाहती है। रेखा गुप्ता एक जाति से हैं लेकिन उससे पहले महिला हैं। दिल्ली समेत कई राज्यों में भाजपा की जीत में महिलाओं की भूमिका अहम रही है। आज के दिन अकेले भाजपा यह दावा करेगी कि उसने एक महिला के हाथ में राज्य की कमान दी है। रेखा गुप्ता का सफर पार्टी की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो उन लोगों को आगे बढ़ाती है जिन्होंने लगातार अपनी क्षमता साबित की है। संगठन की ताकत पर जोर देना और समर्पित कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत करना।
आपको बता दें कि रेखा गुप्ता शालीमार बाग से पहली बार बीजेपी की विधायक चुनी गई हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी की नेता वंदना कुमारी को शिकस्त दी थी। दिल्ली में बीजेपी के साथ लंबे समय से जुड़ी रही हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय की सक्रिय छात्र राजनीति का हिस्सा रही हैं। एबीवीपी की सचिव रह चुकी हैं, इसके अलावा पार्षद रहीं और पार्टी के महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष भी। यानी दिल्ली की वास्तविक जरूरतों को रेखा गुप्ता भी भली-भांति जानती और समझती हैं। उन्होंने दिल्ली की सड़कों पर उतर जमीनी लड़ाइयां लड़ी हैं, ऐसे में उन्हें दिल्ली की सीएम बनाने से पार्टी को जो कई लाभ मिलेंगे उनमें सबसे पहला तो यही होगा कि राजधानी में बीजेपी का जनाधार पहले से और भी मजबूत होगा। पार्टी दूरगामी विजन को साध सकेगी।
दिल्ली में तकरीबन 46 फीसदी महिला मतदाता हैं। बीजेपी को प्रचार अभियान के दौरान ग्राउंड जीरो पर यह फीड बैक मिला कि महिलाओं की एक बड़ी तादाद अब भी आम आदमी पार्टी की तरफ है। हालांकि नतीजों से यह बात सामने आई कि जिन 40 सीटों पर महिलाओं का वोटिंग फीसदी ज्यादा रहा, उनमें से 29 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली, इसके बावजूद बीजेपी ने महिला चेहरे को ही बतौर मुख्यमंत्री सामने रखा है। बीजेपी पर अक्सर यह आरोप लगते रहे हैं कि महिला चेहरे को सीएम के तौर पर नहीं मौका दिया जाता या फिर उसकी सत्ता बदल दी जाती है। मध्य प्रदेश में उमा भारती का मसला हो या दिल्ली में सुषमा स्वराज का। यहां तक कि राजस्थान में भी वसुंधरा राजे सिंधिया को इस बार सत्ता से दूर रखा गया और दीया कुमारी को डिप्टी सीएम पद तक सीमित रखा गया। इस तरह दिल्ली में महिला को सीएम बनाकर बीजेपी ने इन हमलों से खुद को फिलहाल बचा लिया है। देश में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद दूसरी महिला सीएम रेखा गुप्ता ही होंगी।
इस प्रकार रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी ने दिल्ली ही नहीं बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल तक निशाना साधा है। दिल्ली में करीब 7 फीसदी वैश्य वोट हैं, रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं। दिल्ली में बनिया होने के नाते भी अरविंद केजरीवाल के प्रति वैश्य वोट का झुकाव रहा है। अब रेखा गुप्ता के सीएम बनने से तस्वीर बदल सकती है। इसके अलावा एक खास संयोग यह भी देखें कि बनिया समुदाय से आने वाली रेखा गुप्ता का संबंध भी हरियाणा से है तो उन्हीं के समाज से आने वाले अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। यानी किसी भी मोर्चे पर बीजेपी ने मैदान को खाली नहीं छोड़ा है।
1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कालेज से पढ़ाई करते हुए वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी व 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष बनी। वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुड़ी रही। वो 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की दिल्ली प्रदेश मंत्री और 2006 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव भी रही। वे 2007 में उत्तरी पीतमपुरा से निगम पार्षद रही। वे 2009 में दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा की महामंत्री और और राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य भी रही। उन्होंने 2015 में शालीमार बाग से विधानसभा का चुनाव लड़ा परन्तु वो चुनाव हार गई। 2021 में भारतीय महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रभारी रही। 2022 में शालीमार बाग क्षेत्र से पार्षद भी रही। महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहते हुए वो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में महिला मोर्चा की प्रभारी रही।