Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

राहत पैकेज और आम आदमी

सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केन्द्र सरकार ने कार्पोरेट कर की प्रभावी दरों को घटाकर अच्छा फैसला किया है और सरकार के कदम का बाजार पर अच्छा प्रभाव भी पड़ा है।

04:49 AM Sep 24, 2019 IST | Ashwini Chopra

सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केन्द्र सरकार ने कार्पोरेट कर की प्रभावी दरों को घटाकर अच्छा फैसला किया है और सरकार के कदम का बाजार पर अच्छा प्रभाव भी पड़ा है।

सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केन्द्र सरकार ने कार्पोरेट कर की प्रभावी दरों को घटाकर अच्छा फैसला किया है और सरकार के कदम का बाजार पर अच्छा प्रभाव भी पड़ा है। कार्पोरेट टैक्स सरकार के लिए हर वर्ष के राजस्व का एक अहम जरिया होता है। इसलिए इसकी कटौती से राजस्व प्रभावित होगा। कार्पोरेट टैक्स की दरें घटाने से सरकारी राजस्व में एक वर्ष में 1.45 लाख करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान लगाया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि घरेलू कम्पनियों पर बिना किसी छूट के इन्कम टैक्स 22 फीसदी होगा जबकि सरचार्ज और सेस जोड़कर प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगी, पहले यह दर 30 फीसदी थी। 
Advertisement
कार्पोरेट टैक्स में छूट और कैपिटल गेन पर टैक्स खत्म कर दिए जाने के ऐलान को शेयर बाजार ने सकारात्मक रूप से लिया और बाजार में दस वर्ष की रिकार्ड तेजी देखी गई। एक दिन में निवेशक मालामाल हो गए। कार्पोरेट सैक्टर को पैकेज देने के बाद अहम सवाल यह है कि इससे आम आदमी को क्या फायदा मिलेगा। क्या रोजगार के क्षेत्र में नौकरियाें के अवसरों का सृजन होगा? उम्मीद तो की जा रही है कि जॉब सैक्टर में रौनक आएगी। उत्सवों के सीज़न में कम्पनियां लोगों को रोजगार दे सकती हैं। 
कंज्यूमर, रिटेल, इंडस्ट्रियल मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों को मुनाफा होता है तो कम्पनियां अधिक लोगों को काम पर रखेंगी। वर्ष 2008-09 की मंदी के दौरान व्यय और उपभाेग बढ़ाने के लिए भी पैकेज दिया गया था लेकिन इस बार का पैकेज उससे बहुत अलग है। क्योंकि अब सीधा कम्पनियों का मुनाफा बढ़ेगा और वे उत्पादों के दाम घटाएंगी जिससे बाजार से मांग बढ़ेगी। पिछली कुछ तिमाहियों से रोजगार बाजार में सुस्ती बनी हुई है। खासतौर पर ऑटो जैसे क्षेत्र दो दशक से अधिक समय से सबसे बड़ी सुस्ती का सामना कर रहे हैं। कम्पनियों ने हजारों कर्मचारियों की छंटनी की है। 
कार्पोरेट करों की दरों में कटौती से सरकारी राजस्व को नुक्सान की भरपाई भी जरूरी है। सरकार इसके लिए भी योजना बना रही है। घाटे की भरपाई के लिए सरकार कई कम्पनियों के विनिवेश की योजना पर काम कर रही है। योजना के अनुसार नई कम्पनियों में सरकार की 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की जा सकती है। विनिवेश के दायरे में एयर इंडिया, शिपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया जैसी कम्पनियां सबसे ऊपर हैं। जीसीटी की दरों में कुछ कटौती की गई जिससे होटल उद्योग को फायदा होगा। सरकार ने रियल एस्टेट सैक्टर के लिए भी अच्छा खासा पैकेज दिया है। अन्य सैक्टरों की तरह रियल एस्टेट सैक्टर में भी कामकाज ठप्प पड़ा हुआ है। 
राहत पैकेज अर्थव्यवस्था को गति देने में कितना सहायक रहेगा, इसका आकलन अभी नहीं हो सकता। इसके लिए हमें चार-पांच महीने इंतजार करना होगा। अहम सवाल यह भी है कि जिन कम्पनियों को लाभ होगा, क्या वह अपने लाभ का हिस्सा उपभोक्ताओं को देने के लिए  तैयार होंगी? ऐसी उम्मीद तो कम ही लगती है। कम्पनियां अपने उत्पादों की कीमत घटाने को तैयार नहीं होंगी। जीसीटी लागू होने के बाद भी ऐसा ही देखा गया था। जिन उत्पादों पर जीएसटी की दरें घटी थीं, उनकी कीमत कम होनी चाहिए थी, लेकिन निर्माताओं ने अपने उत्पादों की न्यूनतम कीमत ही बढ़ा दी। आम बजट के बाद ऐसा अनुमान था कि इसके प्रावधान राजस्व बढ़ाने वाले होंगे परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं हुआ। 
सवाल यह भी है कि घोटालों और एनपीए संकट से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने काफी समय से ऋण देना ही बन्द कर दिया था, क्या वह अब उदार ढंग से ऋण उपलब्ध कराएंगे? बड़े उद्योगों के साथ-साथ रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले सामान का उत्पादन करने वाले छोटे उद्योगों का ध्यान रखना भी जरूरी है। कपड़ा और हथकरघा क्षेत्र में भी हालत अच्छी नहीं है। रेटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि कार्पोरेट करों में कटौती से सरकार का राजकोषीय जोखिम बढ़ेगा। सरकार का राहत पैकेज अल्पावधि ग्रोथ के लिए अनुकूल नजर नहीं आ रहा। एजेंसी का कहना है कि ग्रोथ के लिए अन्य कारकों की परिस्थितियां अब भी ठीक नहीं हैं। 
यह भी देखना होगा कि कम्पनियां अपनी अतिरिक्त कमाई का कितना पुनर्निवेश करती हैं या उसका इस्तेमाल कर्ज कम करने के लिए करती हैं। शेयर बाजार के निवेशकों की कमाई का रोजगार से कोई सम्बन्ध नहीं है। सरकार को ऐसे दीर्घकालीन उपाय करने होंगे ताकि रोजगार के अवसरों का सृजन हो, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के खर्च करने की क्षमता बढ़े। इसके लिए कार्पोरेट के साथ-साथ लघु उद्योगों, फैक्ट्रियों की ओर भी ध्यान देना होगा ताकि आम आदमी को राहत मिले।
Advertisement
Next Article