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धार्मिक स्वतंत्रता : पाकिस्तान और चीन

भारत कई वर्षों से पाकिस्तान में हिन्दुओं, सिखों पर हो रहे जुल्मों के संबंध आवाज उठाता रहा है। पाकिस्तान से लगातार हिन्दू परिवार भारत आकर शरण लेते हैं और भारत उन्हें नागरिकता भी प्रदान करता है।

12:10 AM Dec 09, 2020 IST | Aditya Chopra

भारत कई वर्षों से पाकिस्तान में हिन्दुओं, सिखों पर हो रहे जुल्मों के संबंध आवाज उठाता रहा है। पाकिस्तान से लगातार हिन्दू परिवार भारत आकर शरण लेते हैं और भारत उन्हें नागरिकता भी प्रदान करता है।

धार्मिक स्वतंत्रता    पाकिस्तान और चीन
भारत कई वर्षों से पाकिस्तान में हिन्दुओं, सिखों पर हो रहे जुल्मों के संबंध आवाज उठाता रहा है। पाकिस्तान से लगातार हिन्दू परिवार भारत आकर शरण लेते हैं और भारत उन्हें नागरिकता भी प्रदान करता है। पाकिस्तान में हिन्दुओ का निरंतर उत्पीड़न और शोषण किया जाता है।
अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमले और उनके धर्मस्थलों को निशाना बनाने की खबरें बहुत आम हैं। लगभग दो माह पहले अक्तूबर में सिंध प्रांत में स्थानीय पुलिस ने हिन्दू समुदाय के मंदिर को तोड़ डाला। सिंध के बदीन  जिला के घनौर शहर में भी मंदिर तोड़ा गया था। पाकिस्तान के पेशावर स्थित प्राचीन हिन्दू मंदिर पंज तीर्थ को पिछले वर्ष राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया था मगर दो पक्षों के विवादित दावों की वजह से मंदिर को दोबारा खोलने का काम रोक दिया गया।
नवरात्र के दौरान ब्लूचिस्तान इलाके में शक्ति पीठ माने जाने वाली हिंगलाज माता का मं​िदर तोड़ा गया था। हिन्दुओं की लड़कियों के जबरदस्ती धर्मांतरण कराए जाने और मुस्लिम युवकों से शादी करने की खबरें भी आती रहती हैं। हिन्दू लड़कियों से रेप किए जाते हैं। अल्पसंख्यकों के घरों को निशाना बनाया जाता है।
पाकिस्तान का मानवाधिकार आयोग इसकी निंदा तो करता है लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल है। मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस के अनुसार पाकिस्तान में हर वर्ष एक हजार से ज्यादा हिन्दू और ईसाई लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति-रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है।
पीड़ितों में से ज्यादातर की उम्र 12 वर्ष से 25 साल के बीच होती है। ये आंकड़े आैर भी ज्यादा हो सकते हैं क्योकि ज्यादातर मामलों को पुलिस दर्ज ही नहीं करती। अगवा होने वाली लड़कियों में से अधिकतर गरीब तबके से जुड़ी होती हैं। जिनकी कोई खोज खबर लेने वाला नहीं होता।
1951 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी पाकिस्तान में 1.6 फीसदी हिन्दू जनसंख्या थी, जबकि पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगलादेश) में 22.05 फीसदी थी। 1998 की पाकिस्तान की जनगणना में इस बात का उल्लेख है कि केवल 2.5 लाख ही हिन्दू जनसंख्या बची है। 2020 तक आते-आते हिन्दुओं की संख्या कितनी बची होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान इस्लामी देश हैं। 1970 के दशक में पाकिस्तान ने अहमदिया लोगों को गैर मुस्लिम घोषित कर दिया था। इसके साथ ही 40 लाख की आबादी वाला यह समूह देश का सबसे बड़ा गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक बन गया। बंगलादेश में भी धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों से भेदभाव किया जाता है।
अफगानिस्तान में गैर मुस्लिम समूहों में हिन्दू, सिख, बहाई और ईसाई हैं। ये वहां की आबादी के 0.3 फीसदी से भी कम हैं। 2018 में वहां ​िसर्फ 700 सिख ही बचे थे। वहां चल रहे संघर्ष की वजह से वे भी पलायन कर गए हैं। इसीलिए भारत ने इन देशों से आने वाले हिन्दुओं, सिखों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक पारित किया है।
अब अमेरिका ने हांगकांग की स्वायत्तता पर बीजिंग के अधिकारियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के साथ चीन आैर उसके ​मित्र पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में घेरा है। अमेरिका ने पाकिस्तान और चीन में धार्मिक स्वतंत्रता के अतिक्रमण को लेकर गम्भीर चिंता जाहिर की है। हालांकि इस सूची में चीन और पाकिस्तान के अलावा 8 अन्य देशों का नाम भी है।
अमेरिका के विदेश विभाग ने इन देशों को निगरानी सूची में डाल दिया है। भारत द्वारा पाकिस्तान के संबंध में कही जाने वाली बातें सही हैं। अमेरिका के इस कदम से इसकी पुष्टि ही हुई है और यह भारत की एक और कूटनीतिक जीत है। जिन देशों को निगरानी सूची में रखा गया है उनमें चीन, पाकिस्तान के अलावा म्यांमार, ईरान, नाइजीरिया, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, इरीट्रिया और  तुर्कमेनिस्तान प्रमुख हैं।
क्यूबा, निकारागुआ, कोमोरोस और रूस को भी एक विशेष निगरानी सूची में रखा गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का कहना है कि अमेरिका  दुनिया में इस भेदभाव के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेगा और उसका यह प्रयास होगा कि दुनिया के हर कोने पर प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार सुनिश्चित हो। जहां तक चीन का संबंध है, वह ​आधिकारिक तौर पर एक नास्तिक देश है, हालांकि ​पिछले 5 दशकों में धार्मिक गतिविधियां बढ़ी हैं।
चीन का संविधान वैसे तो किसी भी धर्म का पालन करने की आजादी देता है लेकि इसके बावजूद चीन में धर्म के रास्ते में कई पाबंदियां हैं। सरकार का मानना है कि धार्मिक आस्था से वामपंथ की विचारधारा कमजोर होती है। चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग ने धर्म को नष्ट करने की को​शिश की थी। जो चीन पाकिस्तान का दोस्त बना बैठा है, उसने अपने देश में मुस्लिमों पर कई तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं।
शिनजियांग प्रांत में हिजाब पहनने, दाढ़ी बढ़ाने और रमजान के महीने में रोजा रखने तक की मनाही है। चीन इस्लाम और ईसाई धर्म की अपेक्षा बौद्ध धर्म के प्रति ज्यादा सहिष्णु है। भारत में हर धर्म का सम्मान किया जाता है। मुस्लिमों और ईसाइयों को भी पूरी धार्मिक स्वतंत्रता है। सिख धर्म तो भारत का गौरव है। अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है।
-आदित्य नारायण चोपड़ा
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