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जीएसटी में क्रांतिकारी बदलाव

04:15 AM Aug 22, 2025 IST | Aakash Chopra
जीएसटी में क्रांतिकारी बदलाव
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आकाश चोपड़ा

वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी में बदलाव लाने की जो घोषणा की है, वह बेहद महत्वपूर्ण है। इस सुधार को प्रधानमंत्री ने उचित ही ‘नेक्स्ट जैनरेशन जीएसटी’ बताया है। वर्ष 2017 में लागू की गयी वस्तु एवं कर सेवा को और सरल बनाने की इस प्रक्रिया के तहत जीएसटी के मौजूदा चार स्लैब में से 12 और 28 प्रतिशत वाले स्लैब हटा दिये जायेंगे तथा पांच व 18 फीसदी के दो ही स्लैब रहेंगे। इससे 12 फीसदी के दायरे में आने वाली मक्खन, फ्रूट जूस, ड्राई फ्रूट्स जैसी वस्तुएं पांच फीसदी के दायरे में आ जायेंगी, तो 28 फीसदी टैक्स के दायरे में आने वाली सीमेंट, एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसी वस्तुएं 18 फीसदी के स्लैब में आ जायेंगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में सुधार के लिए केंद्र सरकार के प्रस्ताव साहसिक और समयानुकूल हैं। सरकार का दावा है कि इनसे मध्यम वर्ग और व्यापारिक समुदाय को लाभ होगा। 12 प्र​ितशत वाले स्लैब में शामिल 99 प्र​तिशत वस्तुओं को 5 प्रतिशत कर दर में और 28 प्रतिशत वाले स्लैब में शामिल 90% वस्तुओं को 18 प्रतिशत कर दर में बदलने से अधिकांश उपभोक्ताओं पर कर का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा। स्लैब की संख्या को युक्तिसंगत बनाने और समान उत्पादों को एक ही स्लैब में स्थानांतरित करने से अस्पष्टता और मुकदमेबाजी भी कम होगी जो वर्तमान जीएसटी व्यवस्था में व्यवसायों के लिए प्रमुख समस्याएं हैं। इसके अलावा, जहां अधिकांश ध्यान दरों के पुनर्गठन प्रस्तावों पर केंद्रित है, वहीं पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने और रिफंड से संबंधित प्रक्रियात्मक सुधार भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
जीएसटी को सरल बनाने का मतलब केवल दरों की बहुलता को कम करना ही नहीं है, बल्कि करदाताओं के लिए प्रणाली को समझना आसान और कम समय लेने वाला बनाना भी है। इसलिए पंजीकरण को आसान बनाना, रिटर्न को सरल बनाना और रिफंड में तेजी लाना केंद्र द्वारा किए जा रहे स्वागत योग्य सुधार हैं। नए आयकर विधेयक और इस वर्ष के बजट में आयकर स्लैब में फेरबदल के साथ ये जीएसटी सुधार 2025 को कर सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष के रूप में उजागर करेंगे। साबुन, तेल, रेडीमेड गारमेंट, जूते पर टैक्स मौजूदा 12 प्रतिशत से घटकर पांच फीसदी होने से भी आम लोगों को राहत मिलेगी। इससे छोटी कारें भी सस्ती हो सकती हैं। लोगों की मांग थी कि स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाले 18 फीसदी टैक्स को कम करके पांच फीसदी किया जाये जिससे वरिष्ठ नागरिकों को राहत और बीमा उद्योग को बढ़ावा मिले। आगामी सितंबर में जीएसटी काउंसिल की बैठक में सरकार यह प्रस्तावित बदलाव कर सकती है। दो स्लैब हटाने से राजस्व में करीब 4,000 करोड़ के नुक्सान का अनुमान है लेकिन खपत बढ़ने से राजस्व में इस नुक्सान की भरपाई हो सकती है। वर्तमान में सभी यात्री वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ-साथ इंजन क्षमता, लंबाई और बॉडी प्रकार के आधार पर 1 प्रतिशत से 22 प्रतिशत तक का क्षतिपूर्ति उपकर लगता है जिससे कुल देय कर 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इलेक्ट्रिक कारों पर 5 प्रतिशत कर लगता है, जिसमें कोई क्षतिपूर्ति उपकर नहीं लगता है। दोपहिया वाहनों पर जीएसटी 28 प्रतिशत है। 350 सीसी तक की इंजन क्षमता वाले मॉडलों पर कोई क्षतिपूर्ति उपकर नहीं है और 350 सीसी से अधिक क्षमता वाले मॉडलों पर 3 प्रतिशत उपकर है।
संशोधित जीएसटी संरचना से 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की कर दरें समाप्त होने की उम्मीद है जिससे आम कारों और दोपहिया वाहनों को लाभ होगा। हालांकि, कुछ हानिकारक वस्तुओं, जैसे लग्जरी कारों पर 40 प्रतिशत कर लग सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को कम करने के उद्देश्य से एक योजनाबद्ध जीएसटी सुधार के माध्यम से नागरिकों को इस दिवाली दोहरा लाभ मिलेगा। सरकार को विश्वास है कि खपत में वृद्धि और कर आधार का विस्तार राजस्व के अधिकांश नुक्सान की भरपाई कर देगा। बड़ी संख्या में वस्तुओं पर केवल 5 प्रतिशत कर लगाने के साथ, इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटालों और कर चोरी के लिए प्रोत्साहन भी काफी हद तक समाप्त हो जाएगा। जीएसटी के जरिये कर संग्रह का लक्ष्य पूरा हो गया है और पिछले पांच साल में जीएसटी वसूली दोगुनी हो चुकी है। सरकार द्वारा टैक्स में कमी करने का यह भी एक कारण हो तो आश्चर्य नहीं।
जीएसटी में इस सुधार से कर व्यवस्था सरल होगी, टैक्स दर में कमी आयेगी, कारोबारियों व उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बताया यह भी जा रहा है कि धीरे-धीरे यह मॉडल 2047 तक एकल कर दर यानी सिंगल टैक्स स्लैब की ओर बढ़ेगा। तात्कालिक तौर पर इसे अमेरिकी टैरिफ से मुकाबले की तैयारी भी माना जा रहा है। यानी इससे टैरिफ के खतरों को कम करने में भी मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सुधार से सामान की कीमतें कम होंगी ​जिससे उपभोक्ता मांग बढ़ेगी और खपत आधारित विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत की जीडीपी ग्रोथ भी बढ़ेगी। हालांकि जीएसटी को लेकर राज्यों की चिंता बढ़ गई है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद राज्यों को हर साल लगभग 7,000 से 9,000 करोड़ रुपए तक का राजस्व नुक्सान होने की आशंका जताई है। राज्यों का कहना है कि पहले ही सीमित आय स्रोतों के कारण उनकी वित्तीय स्थिति दबाव में है आैर यदि घाटा हुआ तो सामाजिक विकास योजनाओं और प्रशासनिक खर्च पर असर पड़ेगा।

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