आरएसएस की पसंद का होगा नड्डा का उत्तराधिकारी
यह दिलचस्प है कि पिछले दो हफ्तों में नियुक्त किए गए सभी नौ नए भाजपा प्रमुख आरएसएस के कम प्रोफ़ाइल वाले कार्यकर्ता हैं। ऐसा लगता है कि हाईफाई नेताओं के बजाय धरातल पर काम करने वाले संघ के कार्यकर्ताओं को कमान देकर यह संदेश दिया गया है कि पार्टी के लिये काम करने वालों को संगठन में उचित सम्मान मिलेगा। जे.पी. नड्डा के उत्तराधिकारी के रूप में नए पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति में भी किसी ऐसे ही व्यक्ति को कमान दी जा सकती है जो चुपचाप काम करने में यकीन रखता हो। चुनाव प्रक्रिया में समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह देकर आरएसएस ने दिखाया है कि पार्टी और संगठन के लिये काम करने वालों का ध्यान रखा जाएगा।
संघ के समर्पित कार्यकर्ताओं में से ही राज्यों में भाजपा की कमान संभाली, जिसमें चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल भी शामिल है। भाजपा के हलकों में इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि आरएसएस नए पार्टी अध्यक्ष को लेकर मंथन कर रही है और भाजपा अध्यक्ष को लेकर संघ की राय अहम होगी। नड्डा का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो गया था लेकिन भाजपा अभी तक उनके उत्तराधिकारी का चयन नहीं कर पाई है। इस बार कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है।
ट्रंप के रवैये को लेकर सतर्कता बरत रही मोदी सरकार
मोदी सरकार ट्रम्प प्रशासन के साथ अपने व्यवहार में सावधानी बरतना सीख रही है। ऐसा तब हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्ष विराम की मध्यस्थता की थी। हाल ही में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अपने अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा राजनाथ सिंह की हेगसेथ के साथ अपनी बातचीत में तथ्यों का खास ध्यान रखा गया। इसीलिए इस बातचीत से जुड़ी रिपोर्ट में पाकिस्तान या पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का कोई उल्लेख नहीं था। इसमें आतंकवाद का व्यापक संदर्भ था, लेकिन किसी देश का नाम नहीं था। जाहिर है, रक्षा मंत्रालय सोच-समझ कर आगे बढ़ रहा है। इस संदर्भ में बस इतना कहा गया कि राजनाथ सिंह और हेगसेथ ने सभी तरह के आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता की पुष्टि की है। यह तथ्य उस समय उभर कर सामने आया जब खबर आई कि वाशिंगटन में क्वाड मीटिंग में आतंकवाद और हाल ही में पहलगाम नरसंहार के संदर्भ में पाकिस्तान का उल्लेख करने से परहेज किया गया था। क्वाड के संयुक्त बयान में आतंकवाद की निंदा की गई, लेकिन इस संदर्भ में पाकिस्तान या किसी अन्य देश का जिक्र नहीं किया गया। इन दिनों अमेरिका के साथ व्यवहार करते समय सावधानी बरतना नया मंत्र है। ट्रंप प्रशासन स्थापित कूटनीतिक नियमों के अनुसार चलने से इनकार करता है।
आदिवासियों के लिये शिवराज चौहान अपनी सरकार के सामने अड़े
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही शारीरिक रूप से दिल्ली में हों, लेकिन उनका दिल और दिमाग अभी भी मध्य प्रदेश में है, जहां वे तीन कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे। हालांकि उनके सहयोगी इस बात से इनकार करते हैं कि वे राज्य में शासन के मुद्दों में हस्तक्षेप कर रहे हैं, लेकिन चौहान जमीनी स्तर पर अपनी बात रखते हैं और अपने पास आने वाले लोगों की मदद करने के लिए आगे आते हैं। उनकी सबसे हालिया सक्रियता सीहोर और देवास जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों का समर्थन करना था, जब उनके घरों को प्रस्तावित सरदार वल्लभभाई वन्य जीव अभयारण्य बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की नाराजगी के बावजूद, चौहान प्रदर्शनकारियों के साथ उनसे मिलने भी गए। आदिवासियों के साथ चौहान की मुलाकात के बाद मोहन यादव ने अपने अधिकारियों को अभयारण्य की योजना को रोकने का आदेश दिया। चौहान को मध्य प्रदेश में मामा के नाम से जाना जाता था। जाहिर है, वे राज्य के लोगों के लिए बहुत प्यारे मामा हैं।