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क्यों नहीं कर सकते एक ही गोत्र के लड़का-लड़की शादी, जानिए इसके पीछे की वजह

शादी को बेहद ही पवित्र हिंदू धर्म में माना गया है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में कुंडली मिलाना विवाह से पहले जरूरी होता है।

12:39 PM Oct 17, 2019 IST | Desk Team

शादी को बेहद ही पवित्र हिंदू धर्म में माना गया है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में कुंडली मिलाना विवाह से पहले जरूरी होता है।

शादी को बेहद ही पवित्र हिंदू धर्म में माना गया है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में कुंडली मिलाना विवाह से पहले जरूरी होता है। कुंडली मिलाने के दौरान ग्रहों के साथ-साथ लड़के और लड़की के गोत्र का भी खास महत्व होता है। एक ही गोत्र में शादी करना ब्राहम्‍ण और दूसरे हिंदू समुदायों में अनुचित माना गया है। ज्योतषियों के अनुसार अपशगुन होता है एक ही गोत्र में शादी करना। चलिए कई कारण हैं एक ही गोत्र में ना शादी करेंगे जिसे हम जानते हैं। 
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1. गोत्र का महत्व हिंदुओं में बहुत माना जाता है। वेदों के मुताबिक विश्वामित्र, जगदग्रिन, भारद्वाज,गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप और अगस्‍त्य इन सभी महान ऋषियों के मनुष्य वशंज हैं। 
2.मान्यताओं के अनुसार, हर ऋषि की एक प्रतिष्ठा है। अगर एक ही गोत्र में कोई भी शादी करता है तो ऐसे में वह एक ही परिवार के हो जाते हैं। 
3. शास्‍त्रों में ऐसा कहा गया है कि हिंदू धर्म में एक ही वंश के लोगों की शादी को पाप माना गया है। ऋषियों के मुताबिक ऐसा करके वह गोत्र की परंपरा को तोड़ रहे हैं। 
4. धार्मिक मान्यताओं में ऐसा माना गया है कि एक ही गोत्र में शादी से विवाह दोष व्यक्ति पर लग जाता है। एक ही गोत्र में शादी करने से पति-पत्नी के रिश्ते के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। 
5. इस मामले पर कई विद्वानों ने कहा है कि जिन लोगों की शादी एक ही गोत्र में होती है उनकी संतान को बहुत सारे कष्ट उठाने पड़ते हैं। कई तरह के अवगुण और रोग उत्पन्न होने का खतरा भी इन बच्चों में बन जाता है। 
6. रक्त संबंधों से गोत्र परंपरा का नाता होता है। एक ही गोत्र में शादी करने से शारीरिक दोष के साथ-साथ चरित्र और मानसिक दोष भी इन संतानों में होने का खतरा होता है। 
7. कई तरह के कुल एक ही गोत्र में पाए जाते हैं। इसी वजह से हर समुदाए की  अपनी परंपराएं होती हैं। जैसे एक वंश में जहां 4 गोत्र टालते हैं तो वहीं दूसरे वंश में 3 गोत्र ही टालने का नियम होता है। किसी भी तरह का दोष ऐसे में विवाह में नहीं आता है। 
8. परंपराओं की मानें तो स्वयं का पहला गोत्र होता है। दूसरा गोत्र मां का होता है तो तीसरा गोत्र दादी का होता है। बता दें कि नानी के गोत्र का भी कई लोग पालन करते हैं। 
9. वैदिक संस्कृति में एक ही गोत्र में शादी करने को वर्जित माना गया है। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि एक ही गोऋ के लड़का-लड़की भाई और बहन बन जाते हैं। 
10. मान्यताओं की मानें तो एक ही गोत्र में शादी करने वालों के बच्चों की सोच में किसी तरह का नयापन नहीं होता है। उनकी विचाराधारा में पूर्वजों की झलक दिखाई देती है। 
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