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महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सम्राट चौधरी ने दिया निर्देश- उनके प्रतिनिधि किसी बैठक में नहीं ले सकते भाग

त्रिस्तरीय पंचायत और ग्राम कचहरी की निर्वाचित महिला सदस्य की जगह उनके कोई प्रतिनिधि किसी बैठक में भाग नहीं लेंगे।

05:15 PM Jan 14, 2022 IST | Desk Team

त्रिस्तरीय पंचायत और ग्राम कचहरी की निर्वाचित महिला सदस्य की जगह उनके कोई प्रतिनिधि किसी बैठक में भाग नहीं लेंगे।

त्रिस्तरीय पंचायत और ग्राम कचहरी की निर्वाचित महिला सदस्य की जगह उनके कोई प्रतिनिधि किसी बैठक में भाग नहीं लेंगे। इसे सुनिश्चत कराने को लेकर पंचायती राज विभाग ने जिलों को निर्देश जारी किया है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने पदाधिकारियों से कहा कि इस निर्देश का कड़ाई से पालन कराएं, ताकि इस तरह की गतिविधियों पर पूर्ण रूप से रोक लगे। 
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मंत्री ने स्पष्ट कहा कि कोई भी निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि किसी बैठक में भाग लेने के लिए अपने स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को मनोनीत नहीं करेंगी। समय-समय पर इस तरह की शिकायतें विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होती हैं कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं की बैठक में महिलाएं स्वयं भाग न लेकर अपने प्रतिनिधि अथवा संबंधी के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराती हैं। 
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही आपत्तिजनक और नियम के विरुद्ध है, इसलिए महिला जनप्रतिनिधि की ही बैठकों में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सभी पदाधिकारी विशेष पहल करें। कोई अपने प्रतिनिधि के बैठक में भाग लेने को मनोनीत करे तो इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। 
पंचायती राज मंत्री ने जारी किया निर्देश
पंचायती राज विभाग मंत्री सम्राट चौधरी मंत्री ने त्रिस्तरीय पंचायत संस्थाओं एवं ग्राम कचहरी के निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों को लेकर एक निर्देश जारी किया है। मंत्री ने निर्देश दिया कि महिला जनप्रतिनिधि, पंचायतों से जुड़ी बैठक में भाग लेने के लिए अपने स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को मनोनीत नहीं करेंगी। उन्होंने पदाधिकारियों को इस आदेश का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। मंत्री का कहना है कि इसको लेकर पिछले कार्यकाल में लगातार शिकायतें मिल रही थी और इसलिए अब कार्यकाल शुरू होने के साथ ही ये निर्देश जारी कर दिया गया है।
समय-समय पर मिलती रहीं हैं शिकायतें
बिहार पंचायत चुनाव में महिलाओं को मिले 50 फीसदी आरक्षण ने राज्य में महिला पंचायत जनप्रतिनिधियों को बढ़ी संख्या में स्थानीय राजनीति में ला खड़ा किया है। आरक्षण ने महिलाओं के सिर पर मुखिया, सरपंच और समिति का ताज तो सजा दिया। लेकिन, पंचायत से जुड़े फैसलों और काम में उनकी असल भागीदारी अब भी नहीं हो पाई है। वजह यह है कि महिला जनप्रतिनिधियों की जगह अब भी गांव की सरकार को उनके रिश्तेदार उनके प्रतिनिधि के नाम पर काम कर रहे हैं।
कुछ महिला जनप्रतिनिधियों को छोड़कर अधिकांश महिला जनप्रतिनिधियों की असल हकीकत यही है। इसको लेकर लगातार शिकायतें भी सामने आती रहती है। इसे कहने को तो महिलाएं चुनकर असली जनप्रतिनिधि होती हैं, लेकिन पंचायत में उनकी भागीदारी धरातल पर देखने को नही मिली।
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