बेटों को बचाओ...
अभी तक हम यही कहते आ रहे हैं बेटी बचाओ,पर आजकल की घटनाओं को देखते हुए कहना पड़ रहा है
अभी तक हम यही कहते आ रहे हैं बेटी बचाओ, पर आजकल की घटनाओं को देखते हुए कहना पड़ रहा है बेटों को बचाओ, क्योंकि जो बेटियों को बचाने के लिए कानून बने थे उनका कहीं न कहीं दुरुपयोग हो रहा है। जहां पहले लड़कियां प्रताड़ित होती थीं, आजकल लड़के और उनके मां-बाप हो रहे हैं। मुझे तो लगता है आने वाले समय में लोग मन्नतें मांगेंगे कि हमारे घर लड़की हो, क्योंकि लड़कों के होने पर जितनी खुशियां मनाई जाती हैं, उतना ही उनको पढ़ाया-लिखाया जाता है। जिन्दगी में सैट किया जाता है और अगर शादी के बाद पति-पत्नी में न बने तो माता-पिता पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है। आजकल तो नया ही शुरू हो गया कि लड़के की मुसीबतें ऐसी बन जाती हैं कि ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हो रहे हैं। असल में हमेशा मैं यह कहती हूं कि शादी में लिखित लोग होने चाहिए जो लेन-देन को लिखें, जिम्मेदारी लें और जब न बने तो एक-दूसरे से एमीकेबली यानी रजामंदी से अलग हो जाए ताकि बूढ़े मां-बाप परेशान न हों, न लड़की परेशान हो, न लड़का, न माता-पिता। नहीं तो यह घटनाएं नहीं रुकेंगी।
ऐसी क्या बात है कि मानवीय रिश्ते तार-तार हो रहे हैं और पति-पत्नी के बीच कड़वाहट इतनी ज्यादा भर चुकी है कि पति अपना दर्द बयां करने के लिए वीडियो बनाता है और फिर सुसाइड कर लेता है। क्रूर मौत को लेकर पिछले दिनों दिल दहला कर रख देने वाले दोनों किस्से हमारे रिश्तों की संवेदनशीलता को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। लगभग पन्द्रह दिन पहले बैंगलुरू में अतुल सुभाष नाम के एक व्यक्ति ने जो कि पेशे से इंजीनियर था ने अपनी पत्नी से दु:खी होकर अपनी दर्द से भरी दास्तां वीडियो में कैद की और सुसाइड कर ली। इसी कड़ी में अब दिल्ली के एक कारोबारी पुनीत खुराना ने बिल्कुल इसी तरह पत्नी के खिलाफ वीडियो बनाया, अपना दु:ख-दर्द बयां किया और आत्महत्या कर ली। मॉडल टाउन इलाके में हुई इस घटना ने सचमुच दिल्ली की संवेदनशीलता को हिलाकर रख दिया। दोनों ही मामलों में पति पक्ष पत्नियों के मायके से पीडि़त थे और दोनों ही मामलों में पुलिस वीडियो को सबूत बनाकर जांच कर रही है।
दिल्ली के केस में पुनीत खुराना अपनी पत्नी मनिका पाहवा से परेशान थे और दोनों के बीच में तलाक का मामला चल रहा था। हालांकि एक-दूसरे से अलग होने की दोनों के बीच सहमति थी। बैंगलुरू के अतुल सुभाष-निकिता केस में पुलिस कड़ियां जोड़ रही है और ऐसा ही दिल्ली के पुनीत खुराना और मनिका पाहवा के केस में चल रहा है। यहां तक हर कोई जानता है लेकिन मैं कई चैनलों पर चलते हुए डिबेट को देखकर और उनके तर्क-वितर्क को सुनकर हैरान हो जाती हूं। दोनों ही मामलों में लोग आत्महत्या करने जैसे क्रूर मौत का मार्ग चुनने को लेकर हिम्मत की बात कर रहे थे। ऐसी डिबेट नहीं होनी चाहिए। दो पतियों की जान चली गई है और उनकी दु:ख भरी व्यथा को उन्होंने लोगों तक पहुंचाया। मेरी चिंता इस बात की है कि पति-पत्नी जैसे पवित्र रिश्ते के बीच में अविश्वास की भावना बढ़ने के कारण क्या हैं? इस बारे में कुछ न कुछ किया जाना चाहिए।
मैंने यह महसूस किया है कि आज के जमाने में संयुक्त परिवारों की बातें होती हैं। संयुक्त परिवार सही मायनों में छोटे-बड़े सभी सदस्यों और घर के अन्य भाई-बहन, जीजा या फिर चाचा-चाची, ताया-ताई से हल्की नोकझोंक के बावजूद रिश्ते जोड़े रखते हैं लेकिन यह टैक्नोलॉजी का कसूर है कि आपस में लड़ाई के दौरान इस कद्र कड़वाहट भर जाती है कि दुनिया में पत्नी के जुर्म को वीडियो से उजागर करने की नौबत आ गयी। बड़े बुजुर्ग लोग हर मामले को शांत करा देते हैं। लड़ने वालों को शांत करा देते हैं और समझाबुझा कर शांत करना चाहते हैं। अगर पति-पत्नी बहुत ही ज्यादा एडवांस हैं तो मेरा मानना है कि उन्हें आपस में समझौते के लिए किसी प्लेटफार्म पर मायका या ससुराल पक्ष से जुड़े बुजुर्गों को शामिल कर लिया जाए तो कभी कुछ नहीं होगा। एक-दूसरे को समझना और समझाना बहुत अच्छी बात है। गुस्सा एक चांडाल है जिसकी वजह से बहुत घर बिगड़ जाते हैं लेकिन अगर इस पर काबू कर लिया जाए तो सब कुछ सम्भल जाता है। अब दिल्ली के केस में पति कैफे चलाता था और बिजनेस में पत्नी पार्टनर भी थी।
सबकुछ रजामंदी से ही हुआ होगा। अब जाने वाला तो चला गया लेकिन इस क्रूर मौत के लिए जिम्मेवार कौन है? समय आ गया है कि इस पर सामाजिक तौर पर एक-दूसरे को समझाने-बुझाने के लिए कोई कॉमन प्लेटफार्म बनाकर पहल कर ली जानी चाहिए। अपने आपको बिजनेस के तनाव से मुक्ति के लिए पति-पत्नी आपसी रजामंदी के द्वारा घर से बाहर निकलने का प्रयास करें लेकिन कड़वाहट बढ़ते-बढ़ते इस कद्र हावी हो जाती है कि रास्ता ही मौत का चुन लिया जाता है। जिन परिवारों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गयी हैं वहां तहकीकात चल रही है। दो जानें गयी हैं, वीडियो सबूत है तो जिनके खिलाफ केस दर्ज है उनकी भी जिंदगी लगभग तबाह ही है। क्यों ना इससे बचें और शांतिपूर्वक जीवन बिताया जाए। याद रखें विवाह से बड़ा गठबंधन धर्म कोई नहीं है और सुसाइड से बढ़कर कोई अधर्म नहीं है। इसलिए मेरी हर किसी से अपील है कि धर्म का रास्ता चुनें। अधर्म से खुद को दूर रखें।