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Sawan Putrada Ekadashi 2025: संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

08:58 AM Aug 04, 2025 IST | Neha Singh
Sawan Putrada Ekadashi 2025

Sawan Putrada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हर माह में दो एकादशी होती हैं, लेकिन सावन मास की पुत्रदा एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है।  पवित्रा एकादशी का व्रत करने से जीवन के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्यों की वृद्धि होती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती को संतान, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Putrada Ekadashi 2025 Vrat Kab Hai: तिथि व शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 04 अगस्त को सुबह 11:41 बजे से शुरू होगी। वहीं, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 अगस्त को दोपहर 01:12 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी 05 अगस्त को मनाई जाएगी।  ऐसे में पुत्रदा एकादशी व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा और व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को किया जाएगा। पारण का समय 6 अगस्त को सुबह 05:45 से 08:26 बजे तक बताया गया है।

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Sawan Putrada Ekadashi 2025

Putrada Ekadashi 2025 Puja Vidhi

  1. स्नान और संकल्प: व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  2. व्रत और उपवास: इस दिन उपवास रखकर केवल फलाहार या जल ग्रहण करें। कई श्रद्धालु निर्जला व्रत भी करते हैं।
  3. भगवान विष्णु की पूजा: पूजा स्थल को स्वच्छ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। तुलसी दल, पंचामृत, फूल, दीपक और धूप से पूजा करें।
  4. व्रत कथा श्रवण: पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है।
  5. आरती और भजन: दिनभर भगवान विष्णु का नामस्मरण और भजन-कीर्तन करें। रात्रि में जागरण का भी विशेष महत्व होता है।
Sawan Putrada Ekadashi 2025

Putrada Ekadashi ka Mahatva

‘पुत्रदा’ का अर्थ है ‘संतान प्रदान करने वाली’। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन का व्रत करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि संतान अगर कष्ट में हो तो उसकी रक्षा भी होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पितरों को भी शांति मिलती है और वंश की वृद्धि होती है। इस एकादशी का पालन श्रद्धा, नियम और संयम के साथ करें, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और संतान-सुख की प्राप्ति हो सके।

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