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SC ने चुनावी रैलियों, कुम्भ मेले के दौरान हस्तक्षेप किया होता, तो कोरोना से हालात इतने नहीं बिगड़ते: शिवसेना

शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों एवं हरिद्वार में कुम्भ मेले के आयोजन का समय पर संज्ञान लिया होता, तो देश में कोविड-19 संबंधी हालात इतने खराब नहीं हुए होते।

08:26 PM Apr 24, 2021 IST | Ujjwal Jain

शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों एवं हरिद्वार में कुम्भ मेले के आयोजन का समय पर संज्ञान लिया होता, तो देश में कोविड-19 संबंधी हालात इतने खराब नहीं हुए होते।

sc ने चुनावी रैलियों  कुम्भ मेले के दौरान हस्तक्षेप किया होता  तो कोरोना से हालात इतने नहीं बिगड़ते  शिवसेना
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शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों एवं हरिद्वार में कुम्भ मेले के आयोजन का समय पर संज्ञान लिया होता, तो देश में कोविड-19 संबंधी हालात इतने खराब नहीं हुए होते।न्यायालय ने आदेश पारित करके केंद्र से महामारी के बीच ऑक्सीजन आपूर्ति एवं टीकाकरण संबंधी राष्ट्रीय योजना के बारे में जानकारी मांगी है, जिसके बाद पार्टी ने यह बयान दिया है।
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शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘‘यह अच्छी बात है कि न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है। यदि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य नेताओं की पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों एवं रोडशो और हरिद्वार में धार्मिक सभाओं को लेकर भी समय पर हस्तक्षेप किया गया होता, तो लोगों के इस तरह तड़पकर मरने की नौबत नहीं आई होती।’’
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दिल्ली के एक अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव के कारण कोविड-19 के 25 मरीजों की मौत होने का जिक्र करते हुए पार्टी ने सवाल किया कि यदि केंद्र इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, तो फिर इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।पार्टी ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय राजधानी के हालात हैं। यदि केंद्र सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’’
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पार्टी ने ब्रिटेन के एक प्रमुख समाचार पत्र के उस शीर्षक का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि ‘‘भारत कोविड-19 का नरक बन गया है’’।शिवसेना ने कहा कि यदि केंद्र ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाए कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो हालात खराब नहीं होते।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले दल ने भंडारा, मुंबई, विरार और नासिक के अस्पतालों में हुई त्रासदियों में लोगों की मौत होने पर शोक व्यक्त किया।पार्टी ने कहा, ‘‘(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और उनके सहकर्मी भारत को स्वर्ग बनाना चाहते थे, लेकिन हमें आज केवल श्मशान और कब्रिस्तान ही दिख रहे हैं। कहीं सामुदायिक चिताएं जल रही हैं और कहीं अस्पताल मरीजों के साथ स्वयं जल रहे हैं। क्या यही नरक है?’’
इस बीच, शिवसेना के नेता संजय राउत ने स्वास्थ्य संकट के लिए देश के शीर्ष नेतृत्व को दोषी ठहराते हुए कहा, ‘‘हमारा नेतृत्व चुनाव जीतने और राजनीति करने के अलावा और कोई काम नहीं करना चाहता। उन्हें लगता है कि यही अंतिम सफलता है। यदि वैश्विक महामारी से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया जाता, तो हम ऐसी स्थिति में नहीं होते।’’
उन्होंने महाराष्ट्र में स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आगे रहकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वह चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए कहीं नहीं गए। वह लड़ रहे हैं, मुंबई में बैठे हैं और निर्देश दे रहे हैं। ठाकरे राजनीति नहीं कर रहे।’’
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