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शाह ने दक्षिण भारतीय राज्यों से किया अनुरोध - नदी जल बंटवारे के मुद्दों का संयुक्त समाधान तलाशने का करें प्रयास

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को दक्षिण भारतीय राज्यों से अनुरोध किया कि वे नदी जल बंटवारे के मुद्दों का संयुक्त समाधान तलाशने का प्रयास करें।

10:56 PM Sep 03, 2022 IST | Shera Rajput

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को दक्षिण भारतीय राज्यों से अनुरोध किया कि वे नदी जल बंटवारे के मुद्दों का संयुक्त समाधान तलाशने का प्रयास करें।

शाह ने दक्षिण भारतीय राज्यों से किया अनुरोध   नदी जल बंटवारे के मुद्दों का संयुक्त समाधान तलाशने का करें प्रयास
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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को दक्षिण भारतीय राज्यों से अनुरोध किया कि वे नदी जल बंटवारे के मुद्दों का संयुक्त समाधान तलाशने का प्रयास करें।
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सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अपने लंबित मुद्दों को आपसी सहयोग से सुलझाने को कहा। इस बैठक में दक्षिण भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों और संघ शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों ने हिस्सा लिया।
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बयान के अनुसार, ‘‘गृहमंत्री ने दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद के सभी राज्यों से जल बंटवारे से जुड़े मुद्दों का संयुक्त समाधान तलाशने को कहा।’’
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दक्षिण भारत में राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर कई विवाद हैं, जैसे… तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी जल विवाद।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय परिषद की बैठक का मुख्य लक्ष्य… केन्द्र और राज्यों के बीच, तथा राज्यों के बीच के विवादों को परस्पर सहमति से समभाव के साथ सुलझाना, राज्यों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, समान राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए मंच मुहैया कराना और सभी पक्षों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के लिए सहयोगी तंत्र स्थापित करना है।
बैठक में भाग लेने वाले मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों ने अपने-अपने क्षेत्र के लिए विभिन्न मांग रखीं।
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक आज तिरुवनंतपुरम में हुई , जिसमें कुल 26 मुद्दों पर चर्चा हुई, नौ मुद्दों का समाधान निकला, 17 मुद्दों पर आगे चर्चा की जाएगी, जिनमें से नौ मुद्दे आंध्र प्रदेश के पुनर्गठन से जुड़े हुए हैं।’’
विज्ञप्ति के अनुसार, शाह ने अनुरोध किया कि ‘‘आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अपने लंबित मुद्दों को पारस्परिक रूप से सुलझाएं।’’
इस बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल, लक्ष्यद्वीप के प्रशासक, दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद राज्यों के मुख्य सचिवों, केन्द्रीय गृह सचिव अंतर-राज्यीय परिषद सचिवालय के सचिव और राज्य तथा केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
अपने संबोधन में विजयन ने कहा कि सहकारी संघवाद में विभिन्न पक्षों के बीच विचारों के लगातार आदान-प्रदान की जरूरत होती है। क्षेत्रीय परिषद की बैठक दक्षिण भारतीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लिए थी।
विजयन ने कहा, ‘‘कठिनाई हो सकती है, लेकिन बातचीत और चर्चा के माध्यम से मतभेद के मुद्दों को कम करने पर सहमति बनायी जा सकती है। यह स्वस्थ संघीय लोकतंत्र का सार है।’’
उन्होंने कोविड-19 के बाद की परिस्थतियों से निपटने में राज्यों द्वारा अपनाई गई सहयोगी भावना को याद किया।
वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने केन्द्र से अनुरोध किया कि वह तमिलनाडु और पड़ोसी राज्यों के कुछ जगहों को जोड़ते हुए हाई-स्पीड रेल गलियारा बनाए। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, ऊर्जा की खपत कम होगी और विमानों तथा कारों के मुकाबले कम प्रदूषण फैलाएगा।
आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे राज्य के वित्त मंत्री बंग्गना राजेन्द्रनाथ ने कहा कि 2014 में राज्य के पुनर्गठन के बाद हैदराबाद और औद्योगिक रूप से विकसित अन्य क्षेत्रों के अलग हो जाने से उनके राज्य के विकास की संभावनाओं में कमी आयी है।
पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सुन्दरराजन ने संघ शासित प्रदेश में हवाई अड्डे के विस्तार सहित बुनियादी ढांचे की अन्य परियोजनाओं के लिए केन्द्र सरकार से 2,200 करोड़ रुपये की मदद मांगी है।
अपने संबोधन में शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में क्षेत्रीय परिषद की प्रकृति में बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले क्षेत्रीय परिषद की साल में औसतन दो बैठकें हुआ करती थीं, जबकि अब औसतन 2.7 बैठकें होती हैं।
शाह ने कहा कि मोदी को दक्षिण भारत से विशेष लगाव है और यही वजह है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने सागरमाला परियोजना के साथ-साथ विभिन्न बंदरगाहों को आधुनिक बनाने के लिए अन्य बड़ी परियोजनाएं शुरू की हैं ताकि इन तटवर्ती राज्यों का विकास हो सके।
एक बयान के अनुसार, शाह ने कहा कि इन परियोजनाओं में से 108 परियोजनाओं को 76,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरा कर लिया गया है, जबकि 1,32,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 98 परियोजनाएं अभी चल रही हैं।
उन्होंने कहा कि नीली क्रांति के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना चलायी जा रही है। 2015 से अभी तक आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना में मत्स्य पालन बुनियादी ढांचा विकास निधि योजना के तहत 4,206 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अपने लंबित मुद्दे सुलझाने का अनुरोध करते हुए शाह ने कहा कि इससे ना सिर्फ उनके राज्यों की जनता को लाभ होगा बल्कि पूरे दक्षिणी क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा।
गृह मंत्रालय ने मादक पदार्थों से जुड़ी समस्या पर कड़ाई से कार्रवाई की है।
केन्द्र सरकार के तहत लागू की गई विभिन्न योजनाओं पर शाह ने कहा कि 12 लाख से ज्यादा मछुआरों को क्यूआर-सहित पीवीसी के आधार कार्ड दिए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे ना सिर्फ तटवर्ती राज्यों के मछुआरों को पहचान मिलेगी बल्कि तटवर्ती सुरक्षा भी मजबूत होगी।’’
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Shera Rajput

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