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शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती बोले- बिना भेदभाव सेवा में जुटा है अदाणी समूह

अदाणी समूह का महाकुंभ में योगदान श्रद्धालुओं के लिए वरदान: शंकराचार्य

11:11 AM Feb 18, 2025 IST | IANS

अदाणी समूह का महाकुंभ में योगदान श्रद्धालुओं के लिए वरदान: शंकराचार्य

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में अदाणी समूह द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों की द्वारका शारदा मठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने प्रशंसा की। उन्होंने इसे अति पुण्य का कार्य बताते हुए कहा कि महाप्रसाद की अनवरत व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी सेवा है। शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अदाणी समूह को इसके सेवा कार्यों के लिए शुभकामनाएं दी और कहा, “धर्म की सच्ची सेवा वही है जो जरूरतमंदों, श्रद्धालुओं और निर्बलों को बिना भेदभाव के मिले। अदाणी समूह का यह कार्य निश्चित रूप से अतुलनीय और प्रेरणादायक है।”

उन्होंने कहा कि अदाणी समूह द्वारा प्रतिदिन एक लाख से अधिक लोगों को भोजन कराया जा रहा है, जो पिछले एक महीने से अनवरत जारी है। श्रद्धालु इस सेवा से अत्यंत संतुष्ट हैं और इसे महाकुंभ के सबसे उत्कृष्ट भंडारों में से एक मान रहे हैं।

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि अध्यात्म, संस्कृति और सेवा का संगम है। उन्होंने अदाणी समूह के योगदान को विशेष रूप से सराहा और कहा कि इतने बड़े पैमाने पर भोजन की व्यवस्था करना न केवल श्रद्धालुओं के लिए राहतकारी है, बल्कि यह धर्म और मानवता की सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण भी है।

शंकराचार्य ने बताया कि जब वे सेक्टर 19 से सेक्टर 12 जा रहे थे, तो उन्होंने अदाणी समूह द्वारा संचालित विशाल भंडारे को देखा। वहां श्रद्धालुओं की एक किलोमीटर तक लंबी कतारें थीं, जहां भोजन अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से परोसा जा रहा था। उन्होंने इसे अदाणी समूह की सेवा भावना का प्रतीक बताया। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं, जिनमें से कई पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। ऐसे में निःशुल्क और सुसंगठित भोजन सेवा उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। महाप्रसाद की यह सेवा पिछले एक महीने से अनवरत जारी है और कुंभ समाप्ति तक चलती रहेगी। बता दें कि अदाणी समूह ने इससे पहले भी विभिन्न धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महाकुंभ 2025 में उनकी यह पहल समाज के लिए प्रेरणादायक है और यह दिखाता है कि बड़े औद्योगिक समूह भी धार्मिक और सामाजिक दायित्वों को निभाने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।

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