महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा के बाद जरूर करें ये उपाय, बदल जाएगी किस्मत
शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है और देवी मां के सभी भक्त मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करेंगे।
06:17 AM Oct 05, 2019 IST | Desk Team
शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है और देवी मां के सभी भक्त मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करेंगे। मन्यता यह भी है कि मां दुर्गा का कालरात्रि स्वरूप साहस और दुष्टों का अंत करने का प्रतीक है। इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है इनका रंग काला होने की वजह से इन्हें कालरात्रि कहते हैं। मां दुर्गा की सातवीं शक्ति को कालरात्रि कहा जाता है। दुर्गा-पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है। सप्तमी की पूजा भी सुबह के समय अन्य दिनों की तरह से ही होती है।
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असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनके शरीर का रंग एकदम अंधकार की तरह काला है सिर के बाल बिखरे हुए है और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है। मां की ये अनोखी शक्ति अंधकारमय स्थितियों को विनाश करने वाली और काल से भी रक्षा करने वाली है।
मां कालरात्रि गर्दभ की सवारी करती है। देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसो से अग्नि निकलती है। इनक ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। वहीं दाहिनी ही ओर नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है यनि भक्तों को हमेशा निडर और निर्भय रहना चाहिए।
मां कालरात्रि का पसंदीदा रंग और भोग
नवरात्रि का आज सातवां दिन है यह खास दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। कालरात्रि को गुड़ सबसे ज्यादा प्रिय है इसलिए महासप्तमी के दिन उन्हें गुड़ का भोग अवश्य लगाएं। ऐसा करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां को गुड़ के भोग लगाने और ब्राह्मïणों को दान करने से मां प्रसन्न होती है। इसके साथ ही वह सारी विपदाओं का नाश करती है। वहीं मां कालरात्रि को लाल रंग अतिप्रिय है।
मां कालरात्रि के इन 108 नामों का जप अवश्य करें…
शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि को सुबह-शाम दोनों वक्त माता कालरात्रि के इन 108 नाम का श्रद्घा पूर्वक जप करने वाले लोगों पर मां कालरात्रि की विशेष कृपा जरूर बनी रहेगी। माता के इन नामों का जप पूरी तरह से किसी एकांत जगह पर करें। ध्यान रहे जप करते वक्त गाय के घी का एक दीपक जपकर्ता माता की मूर्ति के सामने जलाएं।
माता के इन 108 नामों का जप करें
काली, कापालिनी, कान्ता, कामदा, कामसुंदरी, कालरात्री, कालिका, कालभैरवपूजिता, कुरुकुल्ला, कामिनी, कमनीयस्वभाविनी, कुलीना, कुलकर्त्री, कुलवर्त्मप्रकाशिनी, कस्तूरीरसनीला, काम्या, कामस्वरूपिणी, ककारवर्णनीलया, कामधेनु, करालिका, कुलकान्ता, करालास्या, कामार्त्ता, कलावती, कृशोदरी,कामाख्या, कौमारी, कुलपालिनी, कुलजा, कुलकन्या, कलहा, कुलपूजिता, कामेश्वरी, कामकान्ता, कुब्जेश्वरगामिनी, कामदात्री, कामहर्त्री, कृष्णा, कपर्दिनी, कुमुदा, कृष्णदेहा, कालिन्दी, कुलपूजिता, काश्यपि, कृष्णमाला, कुलिशांगी, कला, क्रींरूपा, कुलगम्या, कमला, कृष्णपूजिता, कृशांगी कन्नरी, कर्त्री, कलकण्ठी, कार्तिकी, काम्बुकण्ठी, कौलिनी, कुमुदा, कामजीविनी, कुलस्त्री, कार्तिकी, कृत्या, कीर्ति, कुलपालिका, कामदेवकला, कल्पलता,
कामांगबद्धिनी, कुन्ती, कुमुदप्रिया, कदम्बकुसुमोत्सुका,कादम्बिनी, कमलिनी, कृष्णानंदप्रदायिनी, कुमारिपूजनरता, कुमारीगणशोभिता, कुमारीरंश्चरता, कुमारीव्रतधारिणी, कंकाली, कमनीया, कामशास्त्रविशारदा, कपालखड्वांगधरा, कालभैरवरूपिणि, कोटरी, कोटराक्षी, काशी, कैलाशवासिनी, कात्यायिनी, कार्यकरी, काव्यशास्त्रप्रमोदिनी, कामामर्षणरूपा, कामपीठनिवासिनी, कंकिनी, काकिनी, क्रिडा, कुत्सिता, कलहप्रिया, कुण्डगोलोद्-भवाप्राणा, कौशिकी, कीर्तीवर्धिनी, कुम्भस्तिनी, कटाक्षा, काव्या, कोकनदप्रिया, कान्तारवासिनी, कान्ति, कठिना, कृष्णवल्लभा।
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