W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

श्रीराम : शुभ घड़ी आई - 5

लगभग 480 साल बाद अयोध्या में आज श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। आज की पीढ़ी सौभाग्यशाली है जिसे श्रीराम की जन्म भूमि पर भव्य मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

12:20 AM Aug 05, 2020 IST | Aditya Chopra

लगभग 480 साल बाद अयोध्या में आज श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। आज की पीढ़ी सौभाग्यशाली है जिसे श्रीराम की जन्म भूमि पर भव्य मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

Advertisement
श्रीराम   शुभ घड़ी आई   5
Advertisement
लगभग 480 साल बाद अयोध्या में आज श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। आज की पीढ़ी सौभाग्यशाली है जिसे श्रीराम की जन्म भूमि पर भव्य मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। जिस मंदिर के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया, दंगे होते रहे, हमारे बच्चे मारे गए और आज उसी मंदिर का सपना साकार हो रहा है। राम-राम जपते हुए असंख्य साधु-संत मुक्ति को प्राप्त हो गए। प्रभु श्रीराम नाम के उच्चारण से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग ध्वनि विज्ञान से परिचित हैं वे जानते हैं कि ‘राम’ शब्द की महिमा अपरम्पार है। जब हम राम कहते हैं तो हवा या रेत पर एक विशेष आकृति का नि​र्माण होता है। जब व्यक्ति लगातार राम-राम कहता है तो रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बस जाते हैं। उसके आसपास सुरक्षा का आभामंडल बनना शुरू हो जाता है।
Advertisement
‘‘होइहि  सोई जाे राम रचि राखा
को करि  तर्क बढ़ावै साखा।’’
राम सिर्फ एक नाम नहीं और न ही सिर्फ एक मानव। भारतीयों की आस्था है कि राम शब्द में परम शक्ति निहित है।
समाजवादी विचारधारा के सुप्रसिद्ध चिंतक डा. राम मनोहर लोहिया ने कहा था-‘राम, कृष्ण, शिव’ हमारे आदर्श हैं। राम ने उत्तर-दक्षिण जोड़ा और कृष्ण ने पूर्व-पश्चिम जोड़ा। अपने जीवन के आदर्श इस दृष्टि से सारी जनता राम, कृष्ण और शिव की तरफ देखती है। राम मर्यादित जीवन का परमोत्कर्ष हैं। कृष्ण उन्मुक्त जीवन की सिद्धि हैं और शिव असीमित व्यक्तित्व की सम्पूर्णता हैं।
हे भारत माता, हमें शिव की बुद्धि दो, कृष्ण का हृदय दो और राम की कर्म शक्ति, एक वचनता दो। ऐसे राष्ट्रीय महापुरुष के जन्म स्थान की रक्षा करना हमारा राष्ट्रीय कर्त्तव्य है। देश की एकता और अखंडता के ​लिए यह जरूरी भी है।
यह भी सौभाग्य की बात है कि राम मंदिर निर्माण का कार्य देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले के अनुसार हो रहा है, जिसे सभी ने स्वीकार किया है। राम मंदिर को लेकर धर्मनिरपेक्षता बार-बार चिल्लाई, लालरंगी लोगों ने बहुत उछल-कूद मचाई और सवाल दागे लेकिन भारत में श्रीराम के आदर्शों की बहुत जरूरत है। नियति ने हमें उस चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां भारतवर्ष को बंटे हुए समाज को जोड़ने के लिए भावनात्मक एकता की बड़ी जरूरत है। आज समूचा विश्व जल रहा है। पश्चिम के विज्ञान ने विश्व को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां कभी भी और कहीं भी विध्वंस हो सकता है। वैश्विक शक्तियां आपस में टकरा रही हैं, परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाया जा रहा है। श्रीराम मंदिर समूचे विश्व को शांति का मार्ग बताएगा। जब मुस्लिम समाज आलीशान मस्जिद, अस्पताल या शिक्षा संस्थान का निर्माण करेगा तो वह भी विश्व में अपनी असल धर्मनिरपेक्षता का प्रमाण प्रस्तुत करेंगे। सारे विश्व के लोग हमारी इस धरोहर का लाभ उठाएं, आज यह जन-जन की इच्छा है। भावनात्मक एकता से ही यह सब सम्भव हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कर शिलान्यास करेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत, राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चम्पत राय और संत समाज से जुड़ी विभूतियां मौजूद रहेंगी। अयोध्या विवाद में वर्षों से मुकदमा लड़ रहे इकबाल अंसारी भी मौजूद रहेंगे। प्रधनामंत्री नरेन्द्र मोदी और जो विभूतियां भूमि पूजन में भाग लेंगी वे सभी इतिहास पुरुष हो जाएंगे।
गोस्वामी तुलसी दास ने रामायण में यह दोहा लिखा है…
सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेउ मुनिनाथ
हानि, लाभ, जीवन, मरण, जस, अपजस विधि हाथ।
यह सही है कि लाभ, हानि , जीवन, मरण ईश्वर के हाथ में है लेकिन यह हमारे भी हाथ में है कि लाभ को हम शुभ-लाभ में परिवर्तित कर लें। यह भी जीव के अधिकार क्षेत्र में आता है। शक्तिशाली का संयमी होना भी जरूरी है। राम मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास तो कांग्रेस शासनकाल में भी हुआ था। राम मंदिर के लिए राष्ट्रीय चेतना जगाने के अभियान का श्रेय लालकृष्ण अडवानी को दिया जाना चाहिए। भूमि पूजन और शिलान्यास का अवसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिला है। किसी भी देश का राष्ट्राध्यक्ष यश और अपयश का भागीदार होता है तो फिर नरेन्द्र मोदी यश के अधिकारी हैं। उनके शासनकाल में ही कश्मीर में अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए को खत्म किया गया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया। तीन तलाक की प्रथा को समाप्त किया गया। वर्षों से चला आ रहा अयोध्या विवाद खत्म हुआ और मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। जिन लोगों ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहकर तमाम आंधियों का मुकाबला किया लेकिन वे जरा भी टस से मस नहीं हुए, उन्हें मंदिर निर्माण का यश मिलना स्वाभाविक है।
देश के लोगों से आग्रह है कि वे घरों में वैसे ही दीपमाला करें जैसे दीपावली के दिन की जाती है। हो सकता है कि मेरी बातों में आपको भावना का पुट अधिक दिखाई दे परन्तु श्रीराम का चरित्र ही ऐेसा है, जिससे यह जलता हुआ विश्व शांति के मार्ग की ओर अग्रसर हो। कोई किसी की धार्मिक आस्थाओं को आघात न पहुंचाए। कट्टरवाद, आतंकवाद से मुक्ति मिले। हमें श्रीराम के नाम की पावन शक्ति को पहचानना होगा और उसके सदुपयोग से विश्व में अशांति को समाप्त करना होगा।
भारत में भी असहिष्णुता को खत्म करना होगा। आज से देश में अध्यात्म की नई क्रांति की शुरूआत होने जा रही है। श्रीराम मंदिर एक विश्व शांति स्थल के रूप में उभरेगा, ऐसी हम सबकी कामना है। देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई।
जय श्रीराम-जय श्रीराम!
(समाप्त)
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
Advertisement
×