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'मेरे कंधों पर मेरा तिरंगा..', अंतरिक्ष जा रहे Shubhanshu Shukla ने भेजा पहला मैसेज

03:19 PM Jun 25, 2025 IST | Neha Singh
Shubhanshu Shukla

Shubhanshu Shukla : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और 3 अन्य यात्रियों को लेकर एक्सिओम-4 मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हो गया है। यह मिशन बुधवार दोपहर 12:01 बजे लॉन्च किया गया। शुभांशु के अलावा इस मिशन में 3 अन्य लोग भी मौजूद हैं, जो 28 घंटे की यात्रा के बाद भारतीय समय के अनुसार गुरुवार शाम 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचेंगे। फ्लाइट के उड़ान भरते ही शुभांशु शुक्ला का पहला संदेश सामने आया है।

'यह भारत के अंतरिक्ष मिशन की शुरूआत'

अंतरिक्ष यान से पहला संदेश भेजते हुए शुभांशु ने कहा, "नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों, 41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं। इस समय हम 7.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं। मेरे कंधे पर तिरंगा है, जो मुझे बता रहा है कि मैं अकेला नहीं हूं, आप सब मेरे साथ हैं।" उन्होंने आगे कहा, "यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की मेरी यात्रा की शुरुआत नहीं है, यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए। आइए हम सब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद! जय भारत!"

चार यात्रियों ने भरी उड़ान

नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान की निदेशक पैगी व्हिटसन इस वाणिज्यिक मिशन की कमान संभालेंगी, जबकि इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे। इनके अलावा, 2 मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) परियोजना के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के हुनोर (हंगेरियन टू ऑर्बिट) के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू हैं।

दूसरी बार भारत ने अंतरिक्ष में लगाई छलांग

राकेश शर्मा दूसरे भारतीय बने हैं, जिसने अंतरिक्ष में अपनी छाप छोड़ी है और देश को गर्वित किया है। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के सोयूज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष में कदम रखा था। उन्होंने अंतरिक्ष में भारतीय ध्वज लहराया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बातचीत में उन्होंने कहा था कि ‘सारे जहां से अच्छा’। यह भारत के लिए गर्व का पहला पल था। अब 41 साल बाद शुभांशु शुक्ला इस विरासत को आगे बढ़ाने जा रहे हैं।

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