अर्थव्यवस्था में सुस्ती ‘चक्रीय गिरावट’
भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मौजूदा दौर को ‘नरमी का ऐसा दौर बताया जो चक्रीय गिरावट में बदल’ गया।
06:52 AM Aug 30, 2019 IST | Desk Team
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मौजूदा दौर को ‘नरमी का ऐसा दौर बताया जो चक्रीय गिरावट में बदल’ गया। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नीति निर्माताओं और सरकार की शीर्ष प्राथमिकता उपभोग और निजी निवेश बढ़ाने की होनी चाहिए। वित्त वर्ष 2018-19 की बृहस्पतिवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने इस बात को स्वीकार किया है कि सही समस्या की पहचान करना मुश्किल है।
लेकिन इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि जमीन, श्रम और कृषि उपज विपणन क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को छोड़कर अन्य मुद्दों की प्रकृति संरचनात्मक नहीं है। रिजर्व बैंक ने इसी महीने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत किया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष इस समय जो बड़ा सवाल हैं : वह यह कि क्या हम अस्थाई नरमी में है या यह चक्रीय गिरावट है अथवा इस सुस्ती के पीछे संरचनात्मक मुद्दे बड़ी वजह हैं? केंद्रीय बैंक ने कहा कि नरमी का यह दौर एक गहरी संरचनात्मक सुस्ती के बजाय चक्रीय गिरावट का हो सकता है।
रिजर्व बैंक ने वर्ष 2019 में महत्वपूर्ण नीतिगत दर रेपो में 1.10 प्रतिशत की कटौती की है। लगातार चार बार की गई कटौती के बाद रेपो दर 5.4 प्रतिशत पर नौ साल के निचले स्तर पर आ गई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अब सभी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता उपभोग में सुधार और निजी निवेश में बढ़ोतरी की है।
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