वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा, धरती की ओर बढ़ रही तबाही, 22 परमाणु बमों के बराबर होगा इसका असर
पृथ्वी प्रलय की संभावना पर अक्सर चर्चा की जाती है। साथ ही, कई लोग अलग-अलग धारणाएं भी बना लेते हैं। हालाँकि, पृथ्वी पर जो विनाश आ रहा है, वह अब वैज्ञानिकों द्वारा शेयर की गई जानकारी की वजह से साफ़ हो गया है। पहली बार, वैज्ञानिकों ने बताया कि 22 परमाणु बमों की विस्फोटक शक्ति वाला एक विशाल क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर यात्रा कर रहा है।
अगर यह धरती से टकराया तो इसमें कोई शक नहीं है कि इससे बड़ी तबाही होगी। इसके अलावा वैज्ञानिक ने एक सटीक तारीख भी अब बता दी है। हालाँकि, आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि यह समय अभी बहुत दूर है।
क्या है तबाही का ये पूरा मामला?
एक रिपोर्ट के मुताबिक बेन्नू नाम का एक उल्कापिंड कथित तौर पर हमारे ग्रह की ओर बढ़ रहा है। इसके बावजूद कि यह हर छह साल में पृथ्वी के बहुत करीब आता है, इस बार चिंता का कारण अधिक है। क्योंकि उस दिन दुनिया पर भारी मार पड़ सकती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह टक्कर इतनी भयावह होगी कि 22 परमाणु बमों के बराबर विस्फोट होगा। साथ ही इससे धरती में छेद भी हो सकता है।
आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर हिरोशिमा और नागासाकी में कुछ बम गिराए गए तब उसका हाल इतना बुरा था कि आजतक लोगों को वह खामियाज़ा भुगतना पद रहा है। तो अगर 22 परमाणु बमों के बराबर टक्कर हो जाए तो पृथ्वी पर किस तरह का नुकसान होगा। 1945 में, हिरोशिमा पर गिराए गए लिटिल बॉय परमाणु बम ने लगभग 0.015 मेगाटन का टीएनटी ऊर्जा उत्पादन पैदा हुआ था। लेकिन अगर बेन्नू टकराता है तो 1200 मेगाटन टीएनटी मूल्य की ऊर्जा निकलेगी, जो हिरोशिमा में निकली ऊर्जा से कहीं अधिक है।
सतह पर नजर आया एक बड़ा होल
20 अक्टूबर, 2020 को इस उल्कापिंड का एक टुकड़ा NASA के OSIRIS-REx अंतरिक्ष यान द्वारा लिया गया था। केवल 10 सेमी प्रति सेकंड की गति से गिरने के बावजूद, नासा टीम ने दो साल के रिसर्च के बाद पाया कि इसने सतह पर एक बड़ा छेद छोड़ दिया है। इससे आठ मीटर चौड़ा गड्ढा बन गया और टनों भारी चट्टानी मलबा हर जगह बिखर गया। ऐसी खतरनाक ऊर्जा के निकलने के वजह से वहां के उपकरणों ने काम करना बंद कर दिया। सब कुछ केवल 30 सेकंड में हुआ, और यान सुरक्षित वहां से बाहर निकल आया।
उल्कापिंड का रास्ता बदलने की कोशिश जारी
वैज्ञानिकों के मुताबिक 159 साल बाद यह उल्कापिंड से धरती से टकराएगा। 24 सितंबर 2182 को संभावना है कि यह ग्रह से टकराएगा। हालाँकि, नासा, एक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, उल्कापिंड के दिशा को बदलने का प्रयास कर रही है, ताकि इसे पृथ्वी पर प्रभाव डालने से रोका जा सके। आपको याद दिला दें कि पृथ्वी के 4 अरब वर्ष से अधिक समय से अस्तित्व में होने के बावजूद, अब तक केवल 190 क्षुद्रग्रह ही इससे टकराए हैं। क्षुद्रग्रह केवल इतना बड़ा था कि तीन बार विनाश का कारण बन सकता था। वैज्ञानिकों के अनुसार जब भी ये टकराते तो बिना किसी शक के प्रलय तय होती हैं।