दिल्ली के चावड़ी बाजार में स्थित मुबारक बेगम मस्जिद का नाम लेने से क्यों चिढ़ते हैं लोग, जानिए इसके पीछे की वजह...
05:17 PM Sep 13, 2023 IST
Advertisement
19वीं सदी में दिल्ली के हौज़ काज़ी इलाके में एक मस्जिद का निर्माण हुआ था। हालांकि लोगों में हमेशा से एक प्रश्न होता है कि आखिर इस मस्जिद को बनवाया किसने। इस मस्जिद का नाम है मुबारक बेगम मस्जिद। वो एक हिन्दू महिला थीं। आइए आपको इस 200 साल पुरानी मस्जिद के बारे में कुछ दिलचस्प बात बताते हैं।
दिल्ली के चावड़ी बाजार पर आप किसी से भी पूछेंगे कि मुबारक बेगम की मस्जिद कहां है, तो लोग आपको उसका रास्ता तुरंत बता देंगे। ये मस्जिद बेहद प्रसिद्ध है पर और इसका इतिहास काफी पुराना है। 200 साल पुरानी ये मस्जिद मुबारक बेगम के नाम पर बनी है जो एक मशहूर यौनकर्मीऔर नरतकी हुआ करती थी। आपको ये सुनकर जरूर हैरानी हुई होगी कि एक ऐसी स्त्री के नाम पर मस्जिद कैसे बन गई! पर उससे भी ज्यादा हैरानी ये जानकर होगी कि मुबारक बेगम असल में एक हिन्दू महिला थी। चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं।
आज के वक्त में यौनकर्मियों को बुरी नजर से देखा जाता था, पर उन दिनों, यौनकर्मी, संगीत की जानकार, बातें करने में निपुण हुआ करती थीं। इस वजह माना जाता है कि बाद में मुबारक बेगम ने धर्म परिवर्तन कर लिया था और उनका नाम बीबी महरातुन मुबारक-उन-निसा-बेगम पड़ गया था। मुबारक बेगम की शादी पहले ब्रिटिश रेजिडेंट जनरल डेविड ऑक्टरलोनी के साथ हुई थी जो दिल्ली में तैनात थे। वो मन से भारतीय परंपरा को अपना चुके थे इस वजह से लोग उन्हें ‘वाइट मुगल’ कहा करते थे। उन्हें मुगलों के तौर-तरीके ठीक लगते थे।
उस दौर में मस्जिद सिर्फ राजा-महाराजा या उनके परिवार की औरतें बनवा सकती थीं। आपको बता दें कि इसका असली नाम मुबारक बेगम मस्जिद है। मुबारक बेगम समाज के ऊंचे तबके में अपनी जगह बनाना चाहती थी। इस वजह से उसने एक ब्रिटिश जनरल से शादी की। डेविड की मौत के बाद उसकी शादी एक मुस्लिम से हुई थी। एक तबका मानता है कि यह मस्जिद मुबारक बेगम ने बनवाई थी। दूसरे तबके का मानना है कि जनरल डेविड ने यह मस्जिद बनवाई थी और इसका नाम मुबारक बेगम पर रख दिया था। लेकिन, असलियत यह है कि मस्जिद मुबारक बेगम ने बनवाई थी। डेविड ने इसके लिए पैसे दिए थे।
साल 2020 में तेज बारिश हुई थी, जिसकी वजह से इसमें से एक गुंबद गिर गया था। आज भी लोग इस मस्जिद को उसी आपत्तिजनक नाम से बुलाते हैं, जिससे लोग 19वीं सदी में बुलाया करते थे क्योंकि लोगों को इस बात की भी चिढ़ थी कि ऐसी महिला, समाज में इतना ऊंचा रुतबा कैसे पा सकती है।
Advertisement