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केसरिया रंग से नहाया बासुकीनाथ

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12:27 PM Aug 09, 2017 IST | Desk Team

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केसरिया रंग से नहाया बासुकीनाथ
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देवघर : श्रावणी पूर्णिमा को होने वाले सावन के अंतिम और पांचवें सोमवारी के मौके पर केसरिया रंग से नहाया बासुकीनाथ का अलौकिक विहंगम दृश्य देखते ही बनता था। संपूर्ण बासुकीनाथ नगरी शिवस्वरूप प्रतीत हो रहा था। शिव के उपासक अद्र्धरात्रि से ही लंबी लंबी कतार में जलार्पण किए जाने का इंतजार कर रहे थे मंदिर प्रांगण शिव भक्तों से खचाखच भरा हुआ था और हर दिशा से बोल बम की नारी की गूंज निकल रही थी।

प्रात: 3:30 में पुरोहित पूजा के समापन के बाद श्रद्धालुओं की पूजा का दौर शुरू हो गया बम भक्तों के सहयोग में जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी डटे हुए थे। पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल सुबह सवेरे से मंदिर के सिंहद्वार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने की कवायद में पुलिस पदाधिकारियों को निर्देश देने में लगे हुए थे। उनके साथ प्रशिक्षु आईएएस विशाल सागर डीडीसी शशिरंजन एसडीओ जय प्रकाश झा विधि व्यवस्था का संयुक्त जायजा लेते देखे गए दोपहर के पूर्व डीसी मुकेश कुमार भी श्रावणी मेला का निरीक्षण के लिए बासुकीनाथ आ पहुंचे।

श्रावणी पूर्णिमा की असाधारण भीड़ की चुनौतियां से पार पाने के लिए बासुकीनाथ के सात किलोमीटर क्षेत्र के चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिए गए थे और पूरे मेले क्षेत्र पर नजर बनाए रखने के लिए ड्रोन कैमरे से मदद ली जा रही थी। शिवगंगा में देर रात से ही भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। यहां श्रद्धालुओं पर एनडीआरएफ के जवान निगाह डाले हुए थे। मोबाइल पुलिस के साथ एम्ंबुलेंस की गाडिय़ां कांवरिया पथ पर श्रद्धालुओं की सेवा में रात भर गश्त करती रही, स्वास्थ्य शिविर में स्वास्थ्य कर्मी घायल भक्त के उपचार में तल्लीन थे।

एनडीआरएफ और एसएसबी के स्वास्थ्य वीरों ने मेडिकल टीम भक्तों के इलाज में सक्रिय देखी गई पूर्णिमा के रोज उमडऩे वाले जन सैलाब मे स्थानीय लोगों की भरमार रही। बासुकीनाथ से लगने वाले 8 गांव के लोग बीते रोज शाम के वक्त से पूजा करने के लिए यहां इक_ा होना शुरू हो गए थे। इसके अलावा पड़ोसी बिहार के श्रद्धालुओं की बहुलता आज रही रात के 8 बजे मंदिर का कपाट बंद होने तक श्रद्धालुओं ने फौजदारी नाथ जलार्पण कर चुके थे। इस प्रकार अमूमन हर रोज बरसने वाले सावन को आखिरकार ग्रहण लग ही गया पूरे महीने झूमकर बरसने वाला सावन जाते-जाते गर्मी और उमस से भक्तों को झुलसा डाला।

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