राष्ट्रपति भवन में सीजेआई गवई के लिए विशेष रात्रिभोज का आयोजन
सीजेआई गवई के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में भव्य रात्रिभोज…
राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष रात्रिभोज में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई का सम्मान किया। इस मौके पर देश के शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारियों और न्यायपालिका के प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिसमें उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और विभिन्न मंत्रियों के साथ-साथ पूर्व मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हुए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में पदभार संभालने वाले भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के सम्मान में राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में सोमवार को एक भव्य रात्रिभोज का आयोजन किया। इस विशेष अवसर पर देश के शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारियों और न्यायपालिका से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। रात्रिभोज में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित रहे। इसके अलावा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशगण, देश भर के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस समारोह में शामिल हुए।
बता दें कि जस्टिस बी.आर. गवई ने 14 मई को देश के 52वें सीजीआई के रूप में शपथ ली थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई थी। गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन इस पद पर आसीन रहे थे। जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत की दुनिया में कदम रखा और शुरुआत में दिवंगत राजा एस. भोंसले, जो पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं, के साथ कार्य किया। वर्ष 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र वकालत की, और इसके बाद मुख्य रूप से नागपुर पीठ के समक्ष विभिन्न मामलों की पैरवी करते रहे।
President Droupadi Murmu hosted a dinner at Rashtrapati Bhavan Cultural Centre to welcome the newly sworn-in Chief Justice of India, Shri Justice Bhushan Ramkrishna Gavai. Vice President Shri Jagdeep Dhankhar, Speaker Lok Sabha Shri Om Birla, Defence Minister Shri Rajnath Singh,… pic.twitter.com/28CJHLearJ
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 26, 2025
संवैधानिक और प्रशासनिक कानून उनके प्रमुख क्षेत्र रहे हैं। वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे हैं। इसके अलावा एसआईसीओएम, डीसीवीएल जैसे स्वायत्त निकायों और विदर्भ क्षेत्र की नगर परिषदों के लिए भी वे नियमित रूप से अदालत में पेश होते रहे। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक वे नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्त रहे। बाद में, 17 जनवरी 2000 को उन्हें सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।
14 नवंबर 2003 को वे बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 12 नवंबर 2005 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए। उन्होंने मुंबई की मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में भी विभिन्न प्रकार के मामलों की अध्यक्षता की। 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
अपने छह वर्षों के कार्यकाल में न्यायमूर्ति गवई करीब 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं, इनमें कई संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले भी शामिल हैं, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े हैं। न्यायमूर्ति गवई ने उलानबटार (मंगोलिया), न्यूयॉर्क (अमेरिका), कार्डिफ़ (यूके) और नैरोबी (केन्या) जैसे शहरों में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में संवैधानिक और पर्यावरणीय विषयों पर व्याख्यान भी दिए हैं। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।