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Sri Lanka crisis : श्रीलंका ‘‘बहुत गंभीर संकट’’ का सामना कर रहा है - जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में कहा कि श्रीलंका बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहा है और उससे वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति से दूर रहने का सबक लेना चाहिए।

12:17 AM Jul 20, 2022 IST | Shera Rajput

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में कहा कि श्रीलंका बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहा है और उससे वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति से दूर रहने का सबक लेना चाहिए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में कहा कि श्रीलंका ‘‘बहुत गंभीर संकट’’ का सामना कर रहा है और उससे वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और ‘‘ मुफ्त की संस्कृति’’ से दूर रहने का सबक लेना चाहिए।
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सरकार ने श्रीलंका संकट को लेकर मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रारंभिक टिप्पणी की।सरकार की ओर से बैठक में हिस्सा लेने वालों में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल थे जबकि विपक्ष की ओर से कांग्रेस के पी.चिदंबरम और मणिकम टैगोर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की ओर से शरद पवार और द्रमुक की ओर से टी.आर.बालू और एम.एम.अब्दुल्ला ने हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘ जिस कारण से हमने आप सभी से सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने का अनुरोध किया है, वह यह है कि.. यह एक बहुत गंभीर संकट है और श्रीलंका में जो हम देख रहे हैं, वह कई मायने में अभूतपूर्व स्थिति है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला करीबी पड़ोसी से संबंधित है और इसके काफी करीब होने के कारण हम स्वाभाविक रूप से परिणामों को लेकर चिंतित हैं।’’
जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका को लेकर कई गलत तुलनाएं हो रही हैं और कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या ऐसी स्थिति भारत में आ सकती है। उन्होंने इसे गलत तुलना बताया।
उन्होंने कहा,‘‘श्रीलंका से आने वाला सबक बहुत ही मजबूत है। ये सबक हैं वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति नहीं होनी चाहिए।’’
बैठक में अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तेलंगाना राष्ट्र समिति के केशव राव, बहुजन समाज पार्टी के रीतेश पांडे, वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी और एमडीएमके के वाइको आदि ने हिस्सा लिया।
श्रीलंका पिछले सात दशकों में सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जहां विदेशी मुद्रा की कमी के कारण भोजन, ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के आयात में बाधा आ रही है। सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शनों के बाद आर्थिक संकट से उपजे हालातों ने देश में एक राजनीतिक संकट को भी जन्म दिया है। कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया है।
संसद के मॉनसून सत्र से पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान तमिलनाडु के दलों द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने भारत से श्रीलंका के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
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