Stone Astrology: मेष लग्न वालों के लिए कौन सा रत्न होता है लकी
Stone Astrology: रत्न पहनने की आवश्यकता क्यों होती है। यह एक बड़ा सवाल है। आमतौर पर माना जाता है कि रत्न और उससे संबंधित ग्रह का रंग उस ग्रह के शुभ फलों को रत्न अपने रंग के माध्यम से हमारे शरीर को प्रेषित करता है जिससे ग्रह के शुभ फलों को हम ग्रहण कर सकें। रत्न वास्तव में खनिज हैं और उनके कुछ रासायनिक सूत्र हैं जो कि कि शरीर के पांच तत्त्वों से सामंजस्य बैठा कर हमें शारीरिक और बौद्धिक दृष्टि से प्रभावित करते हैं। इसलिए जो ग्रह कमजोर इसका अर्थ है कि उसकी पूरी आभा हमें प्राप्त नहीं हो रही है। उसकी पूर्ति के लिए रत्न धारण किया जाता है। लेकिन उसका लाभ हमें तभी मिल पाता है जब कि वह रत्न बिल्कुल सटीक हो।
रत्न क्यों आवश्यक है
कुल बारह लग्न हैं और सभी के पृथक रत्न होते हैं। पाराशर ज्योतिष के अनुसार जब कोई रत्न धारण करने की बात हो तो सबसे पहले लग्न के रत्न को प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यहां यह बात भी ध्यान में रखने की है कि रत्न तभी पहनना चाहिए जब कि उसकी आवश्यकता हो। इसलिए रत्न हमेशा उस ग्रह का पहना जाता है जो कि न केवल कुंडली में कारक हो बल्कि वह कमजोर भी हो। यदि कोई कारक ग्रह कमजोर नहीं हो तो उसका रत्न धारण करने सीधा कोई लाभ दिखाई नहीं देगा। फिर लोग शिकायत करते हैं कि रत्न का पैसा भी खर्च किया और कोई लाभ नहीं मिला। दरअसल किसी भी रत्न का लाभ जीवन में तभी दिखाई देता है जब कि वह ग्रह कमजोर हो। यदि कारक ग्रह बलवान हो तो उसका रत्न धारण करने से कोई नुकसान तो नहीं होगा लेकिन तत्काल आपको उसका फायदा दिखाई नहीं देगा, या बहुत कम फायदा दिखाई देगा। इसका कारण यह है कि जो ग्रह बलवान है वह बिना किसी रत्न के भी हमें जीवन में बहुत कुछ दे देता है और रत्न धारण करने से उसके बल में कोई बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं होती है। इसलिए हमें लगता है कि रत्न धारण करने का कोई लाभ नहीं मिला।
लकी स्टोन का चुनाव कैसे करें
पहली बात तो आपको यह ध्यान में रखनी चाहिए कि किसी भी कुंडली में एक से अधिक कारक ग्रह हो सकते हैं। कारक होने का मतलब है कि आप उनका स्टोन पहन सकते हैं। अब सरल सा तरीका है कि इन दो या दो से अधिक कारक ग्रहों में से जो ग्रह कमजोर हो, उसका रत्न पहनें, तुरंत लाभ दिखाई देगा। इनमें भी प्राथमिकता लग्नेश को देनी चाहिए। लेकिन ऐसा तभी करें जब कि लग्नेश कमजोर हो। उपरोक्त विधि से ही सभी लग्नों के रत्नों का चुनाव किया जा सकता है। लेकिन किसी की जन्म कुंडली नहीं हो तो उसे अपनी नाम राशि या फिर बिजनेस या सर्विस की प्रकृति के अनुसार भी रत्न धारण किया जा सकता है।
मेष लग्न के लिए लकी स्टोन क्या हैं
मेष लग्न में मुख्य तौर पर मूंगा, पुखराज, माणिक्य और नीलम रत्न सबसे शुभ फल देने वाले होते हैं। इन सब में भी पहला है मूंगा रत्न, जो कि लग्न के मालिक का रत्न होने के कारण सबसे आवश्यक रत्न है। यदि लग्नेश पीड़ित हो या बलहीन हो तो मूंगा धारण करने से तुरंत लाभ होता है। मूंगा को प्रवाल या अंग्रेजी में रेड कोरल भी कहा जाता है। आमतौर पर लग्नेश का रत्न ज्यादातर मामलों में धारण किया जा सकता है। कुछ स्थिति ऐसी होती है कि शनि-राहु जैसे पाप ग्रहों के कारण लग्नेश दूषित हो जाता है और उसका रत्न धारण करने से हमें कोई समस्या पैदा हो सकती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता है।
मूंगा रत्न
किसी भी जन्म कुंडली में पहले खाने में जो राशि होती है वह उस कुंडली का लग्न होता है और उस राशि का स्वामी लग्नेश कहा जाता है। निर्विवाद रूप से किसी भी कुंडली में लग्नेश सबसे शुभ ग्रह होता है। यहां यह विचार नहीं किया जाता कि लग्नेश पाप ग्रह है, शुभ ग्रह है या फिर क्रूर ग्रह है। इसी क्रम में यदि कुंडली के पहले खाने में या भाव में एक नंबर राशि या अंक लिखा हो तो इसका अर्थ है कि यह कुंडली मेष लग्न की है। मेष राशि का स्वामी मंगल है, जो कि एक पाप ग्रह है। इस राशि में शनि नीच का होता है और सूर्य महाराज उच्चस्थ होते हैं। वैसे सूर्य और मेष राशि के स्वामी मंगल में नैसर्गिक मित्रता है। मेष एक राजसी राशि है। मेष का स्वामी मंगल होने से मेष लग्न वालों के लिए मूंगा सबसे फलदायी स्टोन होता है। इसलिए मेष लग्न वालों को अनामिका अंगुली में मूंगा स्टोन धारण करना चाहिए। मूंगा ऑस्ट्रेलिया और जापान का सबसे बेहतर आता है। आकार की बात की जाए तो दूसरे रत्नों की तरह मूंगा भी बहुत से आकार में प्राप्त होता है। आमतौर पर तिकोना, कैप्सूल और अण्डाकार, ये तीन तरह के मूंगे विशेष तौर पर पहने जाते हैं। आकार के अलावा मूंगा कई रंगों में प्राप्त होता है। लेकिन मंगल ग्रह के लिए जिस मूंगे की बात हो रही है वह हमेशा लाल या सिंदूरी कलर का होना शुभ होगा। मूंगे को हमेशा अनामिका अंगुली में चांदी, सोना या तांबा धातु में धारण किया जाता है। मूंगा मंगलवार को प्रातः 9 बजे से पहले धारण करें। अंगूठी या लॉकेट तैयार हो जाने के बाद मंगल के बीज मंत्रों का जाप करें।
पुखराज रत्न
एक ऑप्शन है पुखराज। क्योंकि बृहस्पति नवमेश होने से बहुत शुभ ग्रह हो गया है, इसलिए पुखराज धारण किया जा सकता है। हालांकि बृहस्पति द्वादशेश भी है। जिसके कारण वह खर्च बढ़ा सकता है, लेकिन बृहस्पति शुभ ग्रह है और वह अच्छे कामों में खर्च करवाता है। इसलिए आप निःसन्देह यलो सफायर यानि पुखराज तर्जनी अंगुली में धारण कर सकते हैं। पुखराज के स्थान पर उसका विकल्प सुनहला भी पहना जा सकता है। पुखराज को धारण करने से पूर्व बृहस्पति के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए। पुखराज का वजन 3 से 5 कैरेट होना चाहिए। हालांकि इससे ज्यादा वजन का पुखराज भी पहन सकते हैं। यदि सुनहला धारण कर रहे हैं तो उसका वजन कम से कम 9 कैरेट होना चाहिए।
माणिक्य रत्न
मूंगे के अलावा बात करें तो मेष लग्न के दूसरा सबसे शुभ रत्न माणिक्य है। मानिक के मामले में शंका नहीं है। सूर्य पंचमेश होने से शुभ ग्रह हो जाता है। इसलिए अनामिका उंगली में रविवार को प्रातः मेष लग्न वालों को माणिक अवश्य धारण कर लेना चाहिए। माणिक्य को सोने, चांदी या ताम्र धातु में, अनामिका अंगुली में रविवार को प्रातः किसी क्षत्रिय के हाथों से धारण करना चाहिए। माणिक्य को धारण करने से पहले सूर्य के 11000 बीज मंत्रों से अभिमंत्रित करना चाहिए। बहुत कम ऐसे योग बनते हैं जो मेष लग्न में मानिक हमें कोई नुकसान पहुंचाए। इसलिए यह समझना चाहिए कि ज्यादातर मामलों में मेष लग्न वाले माणिक धारण कर सकते हैं। मेष लग्न में सूर्य चूंकि पंचम भाव का स्वामी है लेकिन जन्म कुंडली में जब सूर्य की स्थिति ठीक नहीं हो तो आप 3 से 5 कैरेट का बर्मा माइंस का माणिक्य अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। हालांकि यह भी ध्यान में रखें कि यदि जन्म कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो तो माणिक्य धारण करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उच्चाकांक्षी लोगों को अवश्य ही माणिक्य धारण करना चाहिए। जो लोग सरकारी क्षेत्र से संबंधित हैं, राजनीति में हैं, सरकारी ठेकेदार हैं या फिर सीधे सरकारी नौकरी में हैं उन्हें जरूरी माणिक्य धारण करके लाभ उठाना चाहिए।
नीलम रत्न
मेष लग्न में शनि दशमेश और एकादशेश होता है इसलिए यदि शनि कुंडली में पीड़ित है तो आप अपने बजट के आधार पर सिलोन श्रीलंका का ब्लु स्फायर अर्थात जिसे नीलम कहा जाता है, मध्यमा अंगुली में पहन सकते हैं। नीलम एक महंगा स्टोन है। इसलिए नीलम के स्थान पर नीली भी धारण कर सकते हैं। नीलम का वजन लगभग 3 से 5 कैरेट हो होना चाहिए। यदि साफ नीलम है तो 3 कैरेट से कम की नीलम भी अच्छा परिणाम दे सकती है। लेकिन नीलम या नीली को धारण करने से पूर्व जन्म कुंडली में शनि की स्थिति को देखना चाहिए। शनि यदि कमजोर हो तभी नीलम पहने, अन्यथा दूसरे रत्नों को प्राथमिकता दें।
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