W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

‘‘आवारा कुत्ते और सुप्रीम फैसला...’’

04:30 AM Aug 24, 2025 IST | Kiran Chopra
‘‘आवारा कुत्ते और सुप्रीम फैसला   ’’
पंजाब केसरी की डायरेक्टर व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा

आवारा कुत्तों के मामले में देश की राजधानी दिल्ली समेत कितने ही महानगर समस्याएं झेल रहे हैं। कुत्तों के हमलों व बच्चों तथा बड़ों के काटे जाने की बढ़ती घटनाओं से क्षुब्ध होकर लोग छोटी अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कुछ दिन पहले सुप्रीम आर्डर जारी हुए कि दिल्ली सरकार व एमसीडी सड़कों पर आवारा कुत्तों को पकड़े, उन्हें शैल्टर घरों में रखे ताकि नागरिकों को राहत मिल सके लेकिन इस फैसले के​ खिलाफ डॉग लवर्स फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और इस मामले में नए ऑर्डर दो ​िदन पहले जारी किए गए। जहां डॉग लवर्स संगठन खुश हैं वहीं आम जनता भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी हद तक संतुष्ट है। यहां सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी देख लीजिए तो अच्छा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शैल्टर होम भेजे गए कुत्तों को स्टरलाइजेशन के बाद छोड़ने का आदेश दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वह पूरे देश के लिए एक समान नियम लागू करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सभी राज्यों को नोटिस भेजा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि खतरनाक कुत्तों को नहीं छोड़ा जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने कुत्तों को खाना देने के लिए एक निर्धारित स्थान बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हर जगह कुत्तों को खाना देने से समस्या होती है। कोर्ट ने कहा कि हम इस फैसले को पूरे देश में लागू करना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि पशुपालन केंद्रों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और राज्यों के सचिवों को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने राज्यों के हाईकोर्ट में ऐसे ही लंबित मामलों को लेकर जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे सभी मामले शीर्ष अदालत में ट्रांसफर किए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए आदेश में कहा है कि जिन कुत्तों को पकड़ा जाएगा या पकड़ा गया है उनकी नसबंदी और टीकाकरण कराने के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाएगा। हालांकि कोर्ट का ये आदेश रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों पर लागू नहीं होगा लेकिन कोर्ट के पहले आदेश की तुलना में नया आदेश डॉग लवर्स के लिए एक बड़ी राहत की तरह जरूर है। सुप्रीम कोर्ट ने नया आदेश देते समय इसके साथ कुछ शर्तें भी लगाई हैं।
फैसले के अनुसार रेबीज से संक्रमित और आक्रामक कुत्तों को सड़क पर नहीं छोड़ा जाएगा। इसके अलावा नगर निगम को कुत्तों के लिए अलग फीडिंग प्वाइंट बनाने होंगे और सड़क या सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाना मना रहेगा। यह आदेश पूरे देश में लागू होगा। हालांकि, डॉग लवर्स का कहना है कि अब भी उनकी दो बड़ी चिंताएं बरकरार हैं। पहली, आक्रामक कुत्तों की परिभाषा स्पष्ट नहीं है। कौन सा कुत्ता आक्रामक है और कौन सा नहीं, इसका निर्णय कैसे होगा, यह सवाल सभी के मन में है। दूसरी, फीडिंग प्वाइंट से जुड़ी समस्या है। अदालत ने कहा है कि एमसीडी एक जगह खाना खिलाने के लिए जगह फिक्स करें, लेकिन हमारा मानना है कि इससे कुत्तों में लड़ाई हो सकती है और आम लोगों को भी इसकी सफाई की चिंता है, जो जायज है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्थाओं के बावजूद चिंतनीय रहेगा। अगर एमसीडी ठीक से काम करे तो यह मामला इतना बढ़ता नहीं। कई पशु प्रेमियों ने अपने खर्च से कुत्तों का टीकाकरण और देखभाल की है, अब एमसीडी को भी इस दिशा में ​िजम्मेदारी निभानी होगी। हमारा मानना है ​िक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
आक्रामक कुत्तों की पहचान और फीडिंग प्वाइंट की व्यवस्था पर अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं। देशभर में आवारा कुत्तों को लेकर विवाद और टकराव का सिलसिला तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक अदालत के आदेशों को पूरी तरह लागू नहीं किया जाता। एक तरफ डॉग लवर्स उन्हें खुला छोड़ने के पक्ष में हैं, जबकि दूसरी तरफ आम लोग चाहते हैं कि आवारा कुत्तों को शैल्टर्स में रखा जाए ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से अन्यत्र ले जाए जाने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने वाले कुत्ता प्रेमियों और गैर सरकारी संगठनों से मामले में सुनवाई से पहले एक सप्ताह के भीतर क्रमश: 25,000 रुपये और दो लाख रुपये जमा करने को कहा, इसका स्वागत किया जाना चा​िहए। विशेष पीठ ने कहा कि इस धनराशि का उपयोग संबंधित नगर निकायों के तत्वावधान में आवारा कुत्तों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और अन्य सुविधाओं में किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘ इस अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले प्रत्येक कुत्ता प्रेमी और प्रत्येक एनजीओ को सात दिन के भीतर इस अदालत की रजिस्ट्री में क्रमश: 25,000 रुपये और दो लाख रुपये जमा कराने होंगे। ऐसा न करने पर उन्हें मामले में आगे शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’ फिर भी हमारा मानना है कि कुत्तों की बढ़ती आबादी पर रोक लगाना जरूरी है और सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले से कुत्तों की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण हो जाएगा।
दिल्ली या किसी शहर में भी कुत्तों का आतंक नहीं होना चाहिए लेकिन डॉग पकड़ने वालों पर हमले भी नहीं होने चाहिए। अभी कुत्तों की फीडिंग तथा नसबंदी टीकाकरण की चुनौतियां भी बरकरार हैं। फिलहाल एक बड़ा खतरा तथा टकराव सुप्रीम कोर्ट की योग्य पीठ ने अपने विवेक से टाल दिया है। डॉग लवर्स संगठनों व आम नागरिकों तथा अन्य नेताओं को भी इसका सम्मान करना चाहिए। हमारा देश दया व अहिंसा का देश है तथा यह जियो और जीने दो की नीति पर चलता है। जानवर या ​िकसी इंसान पर हिंसा नहीं होनी चाहिए, यही सोच कर हमें आगे बढ़ना चाहिए।

Advertisement
Advertisement W3Schools
Author Image

Kiran Chopra

View all posts

Advertisement
×