W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

स्टूडेंट्स सोशल मीडिया संस्कार और हम लोग...

नई पीढ़ी के लिए मां-बाप सब कुछ करते हैं और हम समझते हैं कि नई पीढ़ी को सबसे ज्यादा जरूरत उन संस्कारों की है जो आगे चलकर जिंदगी में मिठास पैदा कर सकें।

05:26 AM Jan 05, 2020 IST | Kiran Chopra

नई पीढ़ी के लिए मां-बाप सब कुछ करते हैं और हम समझते हैं कि नई पीढ़ी को सबसे ज्यादा जरूरत उन संस्कारों की है जो आगे चलकर जिंदगी में मिठास पैदा कर सकें।

स्टूडेंट्स सोशल मीडिया संस्कार और हम लोग
Advertisement

आज के जमाने में सीखना-सिखाना और पढ़ना-पढ़ाना बहुत जरूरी है। यह एक ऐसा सिलसिला है जो कभी खत्म नहीं हो सकता परंतु फिर भी हमारी नई पीढ़ी यानी कि स्टूडेंट्स जिस तरह से आज नई टेक्नोलॉजी को एडोप्ट कर आगे बढ़ रहे हैं उससे हमारे सामाजिक रिश्ते बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। नई पीढ़ी के लिए मां-बाप सब कुछ करते हैं और हम समझते हैं कि नई पीढ़ी को सबसे ज्यादा जरूरत उन संस्कारों की है जो आगे चलकर जिंदगी में मिठास पैदा कर सकें। बच्चों को मोबाइल मिला तो उसके साथ ही व्हाट्सएप, ईमेल, फेसबुक और इंस्टाग्राम की सुविधा उन्हें अपने आप मिल गई। 

एक अमरीकी सर्वे के अनुसार इस समय पूरी दुनिया में 70 प्रतिशत लोग मोबाइल से 18 घंटे जुड़े हुए हैं। भारत में तो यह आंकड़ा 95 प्रतिशत तक पहुंच रहा है अर्थात देश का एक बड़ा हिस्सा विशेषकर यूथ 18 घंटे तक मोबाइल से जुड़ा हुआ है। यहां तक कि सड़क पार करने से लेकर टू-व्हीलर चलाते हुए भी सब कुछ मोबाइल से चल रहा है, यह एक बहुत घातक ट्रेंड है हमें इससे बचना चाहिए। हमारा मानना है कि बच्चों को परिवारों के बारे में बताने के साथ-साथ जिम्मेदारियों का अहसास भी कराना चाहिए। ऐसा लगता है कि जिस शिक्षा की सबसे ज्यादा उन्हें जरूरत है वे उन्हें एक किताबी बोझ समझकर उसे आगे ढोए जा रहे हैं। 

उन्हें तो लगता है कि सब कुछ मोबाइल ही है और इसी से ही सब कुछ हो जाना चाहिए। यहां तक कि बाजार जाकर कुछ खरीदो-फरोख्त करने की बजाय सब कुछ ऑनलाइन चल रहा है। यही अमरीकी रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में बड़े-बड़े बाजारों में अगर ऑडियो-वीडियो कैसेट, सीडी, ग्रोसरी, क्रोकरी और कास्मेटिक्स के साथ-साथ वूमैन साजो-सजावट की दुकानें बड़े-बड़े माल्स आदि में सिमट रही हैं तो इसके पीछे वजह ऑनलाइन का ट्रेंड है। ऑनलाइन के धुआंधार प्रचार ने सब कुछ खत्म कर दिया है। 

एक्सपर्ट लोग सोशल मीडिया पर इस ट्रेंड को घातक मान रहे हैं और अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरे की घंटी। रही बात भारत की तो यहां तो आर्थिक मंदी और आर्थिक सुस्ती को लेकर खुद सरकार बहुत तेजी से नए-नए पग उठा रही है और बराबर सोशल मीडिया पर इसका जिक्र भी हो रहा है तो इसलिए हमें ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है। हम फिर से उसी बिंदु पर आते हैं जिसे हम बच्चों के साथ जोड़कर आगे बढ़ रहे हैं कि बच्चे अत्यधिक मोबाइल यूज कर रहे हैं। आधुनिक शिक्षा टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ रही है। 

इस प्वाइंट को हम घातक तो नहीं कहते लेकिन सोशल मीडिया पर जिस तरह से ट्रेंड चल रहा है उससे यह जरूर पता चलता है कि हमारे बच्चे पढ़ने-पढ़ाने के सिलसिले से दूर हो रहे हैं। शिक्षा कोई बोझ नहीं लेकिन हमारे यूथ, हमारे स्टूडेंट्स, हमारे पैरेट्स और हमारे संस्कारों के बीच एक कन्फ्यूजन जरूर पैदा कर रही है। इस सब का उल्लेख भी सोशल मीडिया पर नियमित रूप से एक्सपर्ट लोग कर रहे हैं। परिवारों में बढ़ रहे कलेश और विवाद के पीछे मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग बताया जा रहा है। 

बच्चे स्टूडेट्स लाइफ से ही अपने माता-पिता को नजरंदाज करने लगे हैं। संस्कार एक जिम्मेवारी है, यह प्यार पर आधारित है। यही हमारी संस्कृति है इसे जीवित रखना ही होगा। नई पीढ़ी की भावनाओं को संस्कारों के रूप में समझकर इसे स्थापित करना ही होगा। अब भी समय है वरना बहुत देर हो जायेगी।

Advertisement
Author Image

Kiran Chopra

View all posts

Advertisement
Advertisement
×