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सुनंदा : पूर्ण सत्य सामने आए

शशि थरूर विवादों के लिए अजनबी नहीं। संयुक्त राष्ट्र में पूर्व राजनयिक रहे और फिर राजनीति में आकर यूपीए सरकार में मंत्री बने शशि थरूर को इंडियन प्रीमियर लीग में एक टीम की नीलामी में अपनी भूमिका

06:35 PM May 12, 2017 IST | Desk Team

शशि थरूर विवादों के लिए अजनबी नहीं। संयुक्त राष्ट्र में पूर्व राजनयिक रहे और फिर राजनीति में आकर यूपीए सरकार में मंत्री बने शशि थरूर को इंडियन प्रीमियर लीग में एक टीम की नीलामी में अपनी भूमिका

शशि थरूर विवादों के लिए अजनबी नहीं। संयुक्त राष्ट्र में पूर्व राजनयिक रहे और फिर राजनीति में आकर यूपीए सरकार में मंत्री बने शशि थरूर को इंडियन प्रीमियर लीग में एक टीम की नीलामी में अपनी भूमिका को लेकर विवाद के कारण विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 2009 में ट्विटर पर थरूर के एक लाख साठ हजार से ज्यादा फॉलोअर थे और बहुत से लोग मजाक में उन्हें ट्विटर मिनिस्टर कहते थे। 2009 के लोकसभा चुनावों में थरूर ने अपने राजनीतिक करियर का बहुत शानदार आगाज किया था और सरकार में शामिल हुए थे। उस समय भारत के बुजुर्ग राजनीतिक तंत्र में शशि थरूर का युवा, प्रतिभाशाली, ऊर्जावान नेता के तौर पर जनता ने भी स्वागत किया था। शशि थरूर एक बार फिर चर्चा में हैं। इसका संबंध उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की रहस्यमय हालात में हुई मौत से जुड़ा हुआ है। सुनंदा पुष्कर की मौत का मामला इतनी परतों में उलझ चुका है कि अभी तक आधा सत्य ही सामने आया है। पूर्ण सत्य क्या है, अभी इसकी परतें खुलना बाकी हैं। जब उनकी पत्नी और दुबई की कारोबारी रही सुनंदा पुष्कर ट्विटर पर हुए एक विवाद के बाद दिल्ली के एक होटल में मृत पाई गईं तो इस ट्विटर विवाद से ऐसा लगा था कि थरूर और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के बीच अफेयर था। हालांकि थरूर और तरार दोनों ने ही अफेयर की बात का खंडन किया था। सुनंदा पुष्कर की मौत के बाद सोशल मीडिया पर तूफान उठ खड़ा हुआ था। कभी कहा गया कि इन दोनों के रिश्ते खराब थे, विभिन्न बीमारियों के चलते सुनंदा पुष्कर का उपचार चल रहा था। वह गम्भीर अवसाद की स्थिति में थीं।

किसी ने तो यहां तक लिखा था कि जो लोग ट्विटर पर रहते हैं, वह ट्विटर पर ही मर जाते हैं। इसके बाद ही सुनंदा पुष्कर की मौत का मामला उलझता ही गया। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भी काफी विवाद रहा। एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डा. सुधीर गुप्ता ने आरोप लगाया था कि उन पर सुनंदा पुष्कर की मौत को सामान्य बनाने का दबाव था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि सुनंदा की मौत अचानक और अप्राकृतिक कारणों से हुई थी। मेडिकल टीम ने खुलासा किया कि सुनंदा की मौत जहर देने से हुई। 20 मई, 2015 को ट्रायल कोर्ट ने मामले की जांच कर रही टीम को तीन लोगों के लाई डिटेक्टर टेस्ट की अनुमति दी थी। दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल ने अमरीकी जांच एजैंसी एफबीआई के अफसरों की मदद भी ली थी। नवम्बर 2015 में एफबीआई ने सुनंदा की मौत की वजह जहर होने की आशंका को खारिज कर दिया था। सुनंदा की विसरा रिपोर्ट में भी किसी तरह के रेडियो एक्टिव पदार्थ से मौत होने की पुष्टिï नहीं हुई। एफबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सुनंदा के विसरा के किसी सैम्पल में रेडियो एक्टिव पदार्थ नहीं था हालांकि रिपोर्ट में रेडियो एक्टिव पदार्थ की मौजूदगी से पूरी तरह इंकार भी नहीं किया गया था। एफबीआई ने कहा कि विसरा सैम्पल के डिग्रेड होने की वजह से ऐसे पदार्थों की मौजूदगी स्पष्ट नहीं हो सकी।

इस सारे घटनाक्रम के बीच शशि थरूर पर शक की सुई उठने लगी थी। अब एक निजी टीवी चैनल रिपब्लिक ने इस मामले में नया खुलासा करते हुए दावा किया कि सुनंदा की मौत के बाद शशि थरूर होटल के कमरा नम्बर 309 में सुबह और शाम को वापस आए थे। चैनल ने दावा किया कि शशि थरूर केकमरे में आने के बाद सबूतों से छेड़छाड़ की गई थी। यहां तक कि सुनंदा के शव को हटाया गया था। चैनल ने दावा किया कि इस सच को साबित करने के लिए उसके पास 19 आडियो रिकार्डिंग हैं। सुनंदा की मौत की वजह का पता लगाने के लिए छठे मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। उसकी भी रिपोर्ट अभी आनी है। इसके अलावा सीबीआई की रिपोर्ट और अमेरिका से भी एक रिपोर्ट आनी है। इस मामले में सुनंदा के नौकर नरेन्द्र का नाम भी सामने आ रहा है। सुनंदा की मौत के बाद शशि थरूर के ब्लैकबेरी फोन से चैट रिकार्ड भी मिटा दिए गए थे। इस चैट को रिकवर करने के लिए कनाडा में जाकर भी कोशिश की गई लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।  अब सवाल यह है कि इतनी उलझी हुई गुत्थियां क्या कभी सुलझ सकेंगी? हालांकि शशि थरूर ने चैनल के दावों को नकारा है लेकिन अब यह पुलिस और जांच एजैंसियों का काम है कि वह इस रहस्यमय मौत को कैसे सुलझाती है। सत्ता, सियासत और सस्पैंस से भी यह कहानी किसी जासूसी उपन्यास से कम नहीं। क्योंकि मामला एक राजनीतिज्ञ से जुड़ा है, इसलिए पूर्ण सत्य सामने आना ही चाहिए? तब तक शशि थरूर पर सवाल उठते ही रहेंगे।

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