W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

हिन्दू विवाह की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

08:54 PM May 01, 2024 IST | Jivesh Mishra
हिन्दू विवाह की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
Advertisement

Hindu Marriage Supreme Court Big Decision: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि हिंदू विवाह ‘‘नाचने-गाने, खाने-पीने’’ या वाणिज्यिक लेनदेन का अवसर नहीं है और वैध रस्मों को पूरा किए बिना किसी शादी को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्यता नहीं दी जा सकती है।

Highlights:

  • आवश्यक रस्मों के बिना हिंदू विवाह वैध नहीं - उच्चतम न्यायालय
  • विवाह एक संस्कार और पवित्र बंधन है - उच्चतम न्यायालय
  • हिन्दू विवाह की मान्यता के लिए हिंदू विवाह सप्तपदी आवश्यक- उच्चतम न्यायालय

विवाह एक संस्कार और पवित्र बंधन है :उच्चतम न्यायालय

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह एक संस्कार और पवित्र बंधन है जिसे भारतीय समाज में काफी महत्व दिया जाता है। हाल ही में पारित अपने आदेश में पीठ ने युवक-युवतियों से आग्रह किया कि वे “विवाह की संस्था में प्रवेश करने से पहले ही इसके बारे में गहराई से विचार करें’’ पीठ ने दो प्रशिक्षित वाणिज्यिक पायलटों के मामले में अपने आदेश में यह टिप्पणी की। दोनों पायलटों ने वैध रस्मों से विवाह किए बिना ही तलाक के लिए मंजूरी मांगी थी।

शादी कोई वाणिज्यिक लेनदेन नहीं :उच्चतम न्यायलय

पीठ ने कहा, “शादी नाचने-गाने और खाने-पीने का आयोजन या अनुचित दबाव डालकर दहेज और उपहारों की मांग करने का अवसर नहीं है, जिसके बाद आपराधिक कार्यवाही शुरू हो सकती है। शादी कोई वाणिज्यिक लेनदेन नहीं है, यह एक पवित्र बंधन है जो एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंध स्थापित करने के लिए है, जो भविष्य में एक विकसित परिवार के लिए पति और पत्नी का दर्जा प्राप्त करते हैं, जो भारतीय समाज की एक बुनियादी इकाई है।'' पीठ ने शादी को पवित्र बताया क्योंकि यह दो लोगों को आजीवन, गरिमापूर्ण, समान, सहमतिपूर्ण और स्वस्थ मिलन प्रदान करती है। उसने कहा कि हिंदू विवाह परिवार की इकाई को मजबूत करता है और विभिन्न समुदायों के भीतर भाईचारे की भावना को मजबूत करता है।

हिन्दू विवाह की मान्यता के लिए हिंदू विवाह सप्तपदी आवश्यक- पीठ

पीठ ने कहा, हम उन युवा पुरुषों और महिलाओं के चलन की निंदा करते हैं जो (हिन्दू विवाह) अधिनियम के प्रावधानों के तहत वैध विवाह समारोह के अभाव में एक-दूसरे के लिए पति और पत्नी होने का दर्जा हासिल करना चाहते हैं और इसलिए कथित तौर पर शादी कर रहे हैं...।" पीठ ने 19 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि जहां हिंदू विवाह सप्तपदी (दूल्हा एवं दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के समक्ष सात फेरे लेना) जैसे संस्कारों या रस्मों के अनुसार नहीं किया गया हो, उस विवाह को हिंदू विवाह नहीं माना जाएगा।

 

 

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Author Image

Jivesh Mishra

View all posts

Advertisement
×