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उच्चतम न्यायालय ने 2023 के उस कानून के तहत नए निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश को चयन समिति से बाहर रखा गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि निर्वाचन आयुक्तों के चयन के लिए बैठक पहले से प्रस्तावित थी। इस पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से इस तथ्य का उल्लेख करते हुए अलग से एक याचिका दायर करने को कहा।
पीठ ने 2023 के कानून के अनुसार की गयी नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘सामान्यत: और आम तौर पर, हम अंतरिम आदेश के जरिए किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं। उसने 2023 के कानून के तहत दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि जब कोई फैसला पारित किया जाता है तो उसका उल्लंघन नहीं हो सकता।
उन्होंने दलील दी कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा और कार्यकाल की शर्तें) अधिनियम, 2023 का साफ तौर पर उल्लंघन हुआ। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारियों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक समिति ने उनका चयन किया। अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और आठ मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद निर्वाचन आयोग में ये पद खाली हो गए थे।