Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

AMU Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना ही फैसला, जानें पूरा विवाद

Supreme Court Of India : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर विवाद फिर गहरा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलट दिया है। यह यूनिवर्सिटी स्थापना काल से अल्पसंख्यक दर्ज को लेकर कानूनी मामले झेल रही है।

07:12 AM Nov 08, 2024 IST | Rahul Kumar Rawat

Supreme Court Of India : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर विवाद फिर गहरा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलट दिया है। यह यूनिवर्सिटी स्थापना काल से अल्पसंख्यक दर्ज को लेकर कानूनी मामले झेल रही है।

Aligarh Muslim University : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि एएमयू संविधान के आर्टिकल-30 के तहत अल्पसंख्यक दर्ज की हकदार है। हालांकि, अब फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच करेगी। कोर्ट ने आज कहा कि बेंच इस फैक्ट की जांच-पड़ताल करेगी कि क्या AMU को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था। अहम बात है कि 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा नहीं कर सकती है। तब अजीज बाशा केस में कोर्ट ने कहा था कि एएमयू सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, जिसकी स्थापना न तो अल्पसंख्यकों ने की थी और न उसका संचालन किया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं माना था अल्पसंख्यक संस्थान

बता दें, ताजा विवाद साल 2005 में शुरू हुआ था। तब इस विश्वविद्यालय ने खुद को अल्पसंख्यक संस्थान माना और मेडिकल के पीजी कोर्स की 50 प्रतिशत सीटें मुस्लिम छात्रों के लिए आरक्षित कर दी थीं। इसके खिलाफ हिंदू छात्र इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना। हाईकोर्ट फैसले के विरुद्ध एएमयू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में 7 जजों की संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर किया था।

कैसे हुई थी एएमयू की स्थापना?

साल 1817 में दिल्ली के सादात (सैयद) खानदान में जन्मे सर सैयद अहमद खान 24 साल की उम्र में सैयद अहमद मैनपुरी में उप-न्यायाधीश बने थे। तभी उन्हें मुसलमानों के लिए अलग से शिक्षण संस्थान की जरूरत महसूस हुई। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी शुरू करने से पहले सर सैयद अहमद ने मई 1872 में मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी बनाई। कमेटी ने साल 1877 में मुहम्मदन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत की।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दान दी थी जमीन: एबीवीपी

इस बीच अलीगढ़ में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग तेज हुई, जिसके बाद मुस्लिम यूनिवर्सिटी एसोसिएशन की स्थापना की गई। साल 1920 में ब्रिटिश सरकार के सहयोग से कमेटी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इसकी स्थापना के बाद पहले से बनी सभी कमेटी भंग कर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी नाम से नई कमेटी बनाई गई। इसी कमेटी को ही सभी अधिकार और संपत्ति सौंप दी गई। दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और दूसरे दक्षिणपंथी संगठनों का कहना था कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए साल 1929 में 3.04 एकड़ जमीन दान दी थी। इस लिहाज से इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक सिर्फ सर अहमद खान को नहीं थे। हिंदू राजा महेंद्र प्रताप सिंह भी थे।

साल 1951 में गैर-मुस्लिमों के लिए भी खुले विवि के दरवाजे

एएमयू एक्ट 1920 के सेक्शन 8 और 9 को खत्म कर सभी जाति, लिंग, धर्म के लोगों के दाखिले के लिए यूनिवर्सिटी का दरवाजा खोल दिया गया। एएमयू एक्ट 23 में बदलाव कर यूनिवर्सिटी कोर्ट की सर्वोच्च शक्ति को घटाकर बाकी यूनिवर्सिटी की तरह इसके लिए एक बॉडी बनाई गई। यूनिवर्सिटी को उस समय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन लाया गया।

साल 1967 में छीना अल्पसंख्यक का दर्जा

साल 1967 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच के सामने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे का मामला पहुंचा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तर्क दिया कि सर सैयद अहमद खान ने इस यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए जो कमेटी बनाई थी, उसने इसे बनाने के लिए चंदा करके धन जुटाया। एक अल्पसंख्यक की कोशिशों से अल्पसंख्यकों के फायदे के लिए यूनिवर्सिटी शुरू हुई है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सर अहमद खान और उनकी कमेटी ब्रिटिश सरकार के पास गई। सरकार ने कानून बनाकर यूनिवर्सिटी को मान्यता दी। यही कारण है कि इस यूनिवर्सिटी को न मुस्लिमों ने बनाया और न इसे चलाया है। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना भारत सरकार ने की थी, इसलिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा नहीं दिया जा सकता।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI‘ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Next Article