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वाहनों से प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा MCD और DDA से जवाब

वाहनों से प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

07:22 AM Jan 21, 2025 IST | Vikas Julana

वाहनों से प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

वाहनों से प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा mcd और dda से जवाब

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अपनी सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाहनों से होने वाले प्रदूषण में वृद्धि पर एमसीडी और डीडीए सहित विभिन्न प्राधिकारियों से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि वह अपार्टमेंट निर्माण की अनुमति देने वाले मानदंडों पर विचार-विमर्श करेगी और कहा कि निर्दिष्ट पार्किंग स्थल के बिना किसी भी इमारत को बनने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

पीठ ने सवाल किया कि ‘‘हमें इससे निपटने की जरूरत है, दिल्ली मास्टर प्लान क्या कहता है? किसी आवासीय भवन निर्माण की अनुमति देने की प्रक्रिया क्या है?’’ पीठ ने सवाल किया कि क्या दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में किसी परिवार द्वारा दूसरी या तीसरी कार खरीदने पर कोई प्रतिबंध है?

पीठ ने कहा कि ‘‘हमें एक मजबूत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वाहनों से होने वाला प्रदूषण न बढ़े।’’ शीर्ष अदालत ने सरकार से इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती बनाने की उसकी योजना के बारे में पूछा। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अलावा, शीर्ष अदालत ने केंद्र, दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी किया और सुनवाई की अगली तिथि 3 फरवरी निर्धारित की।

सीएक्यूएम ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण के खराब वायु गुणवत्ता में काफी सीमा तक जिम्मेदार होने को देखते हुए उसने दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों से उत्सर्जन मानकों और प्रदूषण मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने के लिए कहा है। पीठ 1985 में प्रदूषण के मुद्दे पर पर्यावरणविद् एम सी मेहता द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इसने हाल ही में देश में वाहनों के लिए होलोग्राम-आधारित कलर-कोडेड स्टिकर अनिवार्य बनाने पर विचार किया और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र मानदंडों के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एनसीआर से परे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्टिकर अनिवार्य करने पर विचार कर रही है।

वर्ष 2018 में, अदालत ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था, जिसमें परिकल्पना की गई थी कि एनसीआर में पेट्रोल और सीएनजी का उपयोग करने वाले वाहनों में होलोग्राम-आधारित हल्के नीले रंग के स्टिकर का उपयोग किया जाए, जबकि डीजल से चलने वाले वाहनों में नारंगी रंग के स्टिकर होंगे। इन स्टिकरों से वाहनों की पहचान ईंधन के आधार पर की जा सकेगी और इनमें वाहनों के पंजीकरण की तारीख भी शामिल होनी चाहिए। एनसीआर राज्यों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं।

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Vikas Julana

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