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स्वदेशी यानी अपनी शर्तों पर दुनिया से जुड़ना

05:00 AM Sep 30, 2025 IST | Rohit Maheshwari
स्वदेशी यानी अपनी शर्तों पर दुनिया से जुड़ना
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भारत एक त्यौहाराें का देश है, हर महीने कोई न कोई त्यौहार होता है। लोग त्यौहार पर जमकर खरीदारी करते हैं, इस खरीदारी का असर देश की इकोनॉमी पर भी होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न अवसरों पर स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया है, ताकि देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। उन्होंने लोगों से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देने और "वोकल फॉर लोकल" के मंत्र को अपनाने का आग्रह किया है। पीएम मोदी लगातार स्वदेशी को प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिल सके। अभी सामने दिवाली है, आप यहीं से बदलाव की शुरूआत कर सकते हैं।  पीएम मोदी ने 'वोकल फॉर लोकल' को खरीदारी का मंत्र बनाने का आग्रह किया। उनका कहना है कि हमें हमेशा उन्हीं चीजों को खरीदना चाहिए जो देश में बनी हो और देश के लोगों ने बनाई हों।

उन्होंने स्वदेशी की अपनी परिभाषा भी स्पष्ट की, जिसमें कहा गया कि "उत्पादन में लगा पसीना मेरे देशवासियों का है"। वास्तव में, स्वदेशी वस्तुएं केवल उत्पाद ही नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय अस्मिता, धरोहर और हमारे मान-सम्मान का प्रतीक हैं। बीती 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के झारसुगुड़ा से एक ऐतिहासिक पहल करते हुए भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल की पूरी तरह स्वदेशी 4G सेवा को देशभर में लॉन्च किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारा संकल्प है चिप से लेकर शिप तक, हर चीज में भारत आत्मनिर्भर बने। बीती 28 सितंबर को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता स्वदेशी उत्पादों से ही होकर गुजरता है।

आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने लोगों से आगामी त्यौहारों को स्वदेशी उत्पादों के साथ मनाने और वोकल फॉर लोकल को अपना मंत्र बनाने का आग्रह किया। उन्होंने नागरिकों से देश में उत्पादित उत्पाद खरीदने का संकल्प लेने का आह्वान किया। बीती 21 सितंबर को, पीएम मोदी ने भारतीयों से गर्व से कहने के लिए कहा, "मैं स्वदेशी खरीदता हूं।" उन्होंने कहा कि हर घर और दुकान को आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाना चाहिए। स्वदेशी को प्राथमिकता देने से स्थानीय कारीगरों और उद्योगों का समर्थन,आर्थिक विकास को बढ़ावा, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम, गुणवत्ता और विश्वसनीयता का लाभ मिलता है। स्वदेशी अपनाना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। हर त्यौहार पर बाजार में स्वदेशी और विदेशी सामान होते हैं, अधिकतर लोग सस्ते के चक्कर में विदेशी सामान खरीद लेते हैं। हालांकि अधिकतर मोबाइल समेत इलेक्ट्रॉनिक्स सामान अभी भी भारत में असेंबल होकर बिकता है, ऐसे प्रोडक्ट्स मेड इन इंडिया कैटेगरी में आते हैं।

धार्मिक भावनाओं से जुड़े होने के कारण मूर्तियों का चीनी आयात व्यापक विरोध का विषय रहा है। दावा किया जा रहा है कि मूर्तियों में चीनी हिस्सेदारी 70-80 फीसदी  से घटकर 10 फीसदी रह गई लेकिन अभी भी लक्ष्मी-गणेश की चाइनीज मूर्तियां खूब बिकती हैं, खरीदार आप-हम जैसे लोग ही हैं। दिवाली और बाकी त्यौहाराें पर चाइनीज झालर खूब बिकती हैं, क्योंकि ये सस्ती होती हैं लेकिन इसकी क्वालिटी बेहद खराब होती है। व्यापार संगठन कैट ने 500 से ज्यादा चीनी सामानों की बहिष्कार सूची में इसे भी रखा है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2024 में दिवाली पर सजावटी सामानों जैसे एलईडी झालर, लाइट्स और गिफ्ट आइटम्स का चीन से आयात करीब 10,000-15,000 करोड़ रुपये का रहा था।  कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स ने 2024 की दिवाली पर लगभग 4.25 लाख करोड़ रुपये का खुदरा कारोबार होने का अनुमान लगाया था। यह पिछले त्यौहारी सीजन के मुकाबले एक रिकॉर्ड कारोबार था, क्योंकि लोगों ने चीनी सामानों की जगह भारतीय सामानों को प्राथमिकता दी।

कुछ शुरुआती अनुमानों के अनुसार, 2025 में दिवाली के दौरान ई-कॉमर्स और ऑफलाइन दोनों तरह के खुदरा कारोबार में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण स्वदेशी की भावना का संचार, जीएसटी दरों में कटौती और अन्य धार्मिक और सामाजिक कारण भी शामिल हैं। रिसर्च फर्म रेडसीर के अनुमान के मुताबिक, 2025 में त्यौहारी ई-कॉमर्स बिक्री 1.15 लाख करोड़ रुपये  के आंकड़े को पार कर सकती है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 20-25 फीसदी की वृद्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जीएसटी दरों में कटौती से बाजार में ग्राहकों का उत्साह बढ़ा है। भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आर्थिक सुधार से जुड़े कदम लगातार उठाए जा रहे हैं, वो दिन दूर नहीं है जब भारत एक विकसित राष्ट्र कहलाएगा। विकसित राष्ट्र बनाने में हर एक भारतीय का योगदान होगा। हर किसी को अपने स्तर पर देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करना होगा।

इस बीच भारत की तरक्की को कई देश पचा नहीं पा रहे हैं, भारत को रोकने के लिए साजिशें रची जा रही हैं लेकिन यह नए दौर का भारत है, आत्मनिर्भर भारत है। ऐसे में जब 140 करोड़ लोग मिलकर देश को संवारने का काम करेंगे तो विदेशी ताकतें भी टिक नहीं पाएंगी। 22 सितंबर से देश जीएसटी रिफॉर्म लागू हो गया है जो कि आर्थिक तौर पर एक बड़ा कदम है। दिनचर्या की 90 फीसदी से ज्यादा चीजें के दामों पर इनका सीधा असर अब दिखाई देने लगा है। त्यौहाराें पर स्वदेशी वस्तुएं कैसे चुनें यह अहम सवाल है। नवरात्रि और दिवाली जैसे त्यौहाराें के लिए चीनी उत्पादों के बजाय मिट्टी के दीये, हस्तनिर्मित सजावटी सामान और भारतीय कारीगरों द्वारा बनाए गए अन्य सजावटी सामान खरीदने को प्राथमिकता देनी होगी, वहीं अपने प्रियजनों को उपहार देने के लिए भारतीय हस्तशिल्प, पारंपरिक कलाकृति और स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों को चुनें।

त्यौहाराें के लिए खादी और हैंडलूम जैसे स्वदेशी कपड़ों को प्राथमिकता दें जो भारतीय बुनाई और वस्त्र कला को दर्शाते हैं, वहीं सबसे खास बात मिठाई, नमकीन और अन्य खाद्य पदार्थों के लिए स्थानीय मिठाई की दुकानों और उत्पादकों का समर्थन करें। भारत एक श्रम आधारित अर्थव्यवस्था है। हमारे युवा पूरे विश्व में अपनी स्किल्स के लिए पहचान रखते हैं। आज समय आ गया है कि हम स्वदेशी उत्पादों को अधिक से अधिक अपनाएं और बढ़ावा दें। अपने आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

त्यौहारों के समय स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देना, 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे अभियानों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि जब हम भारतीय उत्पाद खरीदते हैं तो छोटे और बड़े व्यवसायों को मदद मिलती है, नौकरियों के अवसर बढ़ते हैं।  इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूरा राष्ट्र स्वदेशी के प्रति वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध है। हमारी संस्कृति ही हमें स्वदेशी का भाव सिखाती है। हम देशी वस्तुओं के प्रति अपने अंतर्मन से जुड़े हुए हैं। यह भावना ही स्वदेशी उत्पादों को और बेहतर स्वरूप देने की प्रेरणा देती है। स्वदेशी का अर्थ दुनिया से अलग-थलग होना नहीं है, बल्कि एक मजबूत और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में अपनी शर्तों पर दुनिया से जुड़ना है। यह देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की एक महत्वपूर्ण रणनीति है।

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